जानिये, विपक्ष ने क्यों किया संसद में हंगामा ? 

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दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर बाधित रही 

नई दिल्ली : देश में 1000 और 500 रुपये के नोटों को गैरकानूनी घोषित किये जाने के नरेन्द्र मोदी सरकार के निर्णय के खिलाफ विपक्ष ने गुरुवार को भी  संसद में सरकार पर जम कर प्रहार किया और संसद में हंगामा किया. उनका आरोप है कि इस निर्णय से आम आदमी को परेशानी हो रही है. विपक्ष के जोरदार हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर बाधित रही। एक तरफ लोकसभा में विपक्ष ने इस मुद्दे पर मत विभाजन के नियम के तहत चर्चा कराने की मांग जबकि राज्यसभा में इस चर्चा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सदन में उपस्थिति की मांग करते हुए हंगामा किया.

लोकसभा में विपक्ष ने क्या कहा ?

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मतदान वाले नियम के तहत इस मुद्दे पर चर्चा करने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया. हंगामे के कारण सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब साढ़े बारह बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी.

राज्यसभा में विपक्ष ने क्या मांग की ? 

राज्यसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर बुधवार को ही चर्चा शुरू हो गे थी लेकिन गुरुवार को विपक्ष इस मांग पर अड़ गया कि चर्चा के दौरान सदन में प्रधानमंत्री को उपस्थित रहना चाहिए. सरकार ने भी अपना तर्क रख जिससे विपक्ष सहमत नहीं था . इसके चलते हंगामे लगातार होते रहे और उच्च सदन को भी पांच बार स्थगीत किया जाता रहा   अंतत: अपराह्न करीब सवा तीन बजे कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गयी.

सरकार का क्या तर्क था ? 

नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में चर्चा पर प्रधानमंत्री से जवाब देने की विपक्ष की मांग गुरुवार को सरकार ने खारिज कर दी. सरकार की ओर से आरोप लगाया गया कि विपक्षी दल इस विषय पर चर्चा को बाधित करने के बहाने तलाश रहे हैं क्योंकि यह उनके खिलाफ जा रहा है. सूचना प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सदन के नियमों और स्थापित चलन के मुताबिक सरकार की ओर से चर्चा का जवाब संबंधित मंत्री या कोई अन्य व्यक्ति देंगे. नायडू ने कहा कि राज्यसभा में आधी चर्चा हो जाने के बाद विपक्ष को लगने लगा कि इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और उनपर उल्टा पड़ने जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब मुझे लगता है कि वे इससे बाहर आने के लिए रास्ते तलाश रहे हैं और इसके मद्देनजर ही चर्चा बाधित कर रहे हैं.

 

लोक सभा अध्यक्ष का निर्णय 

इधर लोकसभा में मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा कराए जाने की मांग को अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी. सरकार इस बात पर दृढ रही कि वह नियम 193 के तहत ही इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार है. विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी.

कार्य स्थगन नोटिस किसने दिया ? 

कांग्रेस, तृणमूल, वाम दलों ने सरकार के फैसले के कारण आम लोगों को हो रही परेशानियों और इस निर्णय को चुनिंदा तरीके से लीक करने का आरोप लगाते हुए नियमित कार्य स्थगित कर तत्काल चर्चा शुरू कराने की मांग की.

संसदीय कार्य मंत्री क्या बोले ? 

संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार, कालाधन और जाली नोट को खत्म करने और इसके आधार पर पनपने वाले आतंकवाद को खत्म करना हमारी सरकार की प्राथमिकता है और इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने यह पहल की है. उन्होंने कहा कि संसद से और देश की सबसे बड़ी महापंचायत से इस विषय पर दो स्वर नहीं निकलने चाहिए, अगर ऐसा होता है तो देश में अच्छा संदेश नहीं जाएगा. किन्तु विपक्षी सदस्य इस पर तैयार नहीं थे और वे कार्यस्थगित कर चर्चा कराने की मांग करते रहे.

मल्लिकार्जुन खड़गे का नोटिस किस नियम के तहत ? 

इससे पहले कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 500 रूपये और 1000 रूपये के नोटों को अमान्य करने के निर्णय के कारण आम लोगों, किसानों, छोटे कारोबारियों को हो रही परेशानियों और आर्थिक संकट एवं इसे कथित रूप से लीक करने के विषय को लेकर हमने नियम 56 के तहत नोटिस दिया है और इस पर तत्काल चर्चा शुरू करायी जाए.

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि सरकार के फैसले के कारण आम लोग और गरीब काफी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि इस निर्णय पर रोक लगाई जाए. हम सभी भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं और हम सब को मिलकर इससे निपटना है.

हंगामें के बीच चला प्रश्नकाल 

लोकसभा में राजद के जयप्रकाश नारायण यादव और माकपा के मोहम्मद सलीम ने भी कहा कि नोटबंदी के कारण लोग परेशान हैं तथा इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा करायी जाए. हंगामे के बावजूद लोकसभा में प्रश्नकाल पूरा चला. हंगामे के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल, अन्नाद्रमुक के सदस्य अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे.

तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ने पीएम के बारे में क्या कहा ? 

उधर, राज्यसभा में सुबह बैठक शुरू होने पर विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने नोटबंदी मुद्दे पर जवाब के लिए प्रधानमंत्री के सदन में आने की मांग कर डाली. तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि सवाल यह है कि जिन व्यक्ति ने 8 नवंबर की रात को नोटबंदी का ऐलान किया था, वह कहां हैं ? ओ ब्रायन के इस बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई. सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि यह अपनी बात रखने का कोई तरीका नहीं है. प्रधानमंत्री के खिलाफ इस तरह नहीं बोला जा सकता.

राज्यसभा में नोकझोंक क्यों ? 

कांग्रेस सदस्यों ने ओ ब्रायन की बात का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री के सदन में मौजूद रहने की मांग उठाई. इस बीच, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और सपा के सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी करने लगे. उधर अन्नाद्रमुक सदस्यों ने भी आसन के समक्ष आकर कावेरी नदी के पानी से जुड़ा अपना मुद्दा उठाना शुरू कर दिया. नायडू ने कहा कि वह आसन से प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई टिप्पणी को कार्यवाही से निकालने का अनुरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि कल भी एक विपक्षी सदस्य ने प्रधानमंत्री के खिलाफ एक टिप्पणी की थी और उसे भी कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए। इस पर उपसभापति पीजे कुरियन ने कहा कि वह रिकॉर्ड देखेंगे और समुचित कार्रवाई करेंगे.

40 निरपराध लोगों की मौत का मामला 

प्रधानमंत्री के सदन में आने की मांग करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार की नीति के कारण देश भर में लाखों लोगों को परेशानी हो रही है. उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार के नोटबंदी के फैसले के चलते 40 निरपराध लोगों की मौत हो गयी जो उरी में पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलीबारी में मारे गये लोगों की तुलना में भी अधिक हैं. उन्होंने कहा कि इन लोगों की मौतों की जिम्मेदारी भाजपा और सरकार पर है.

पाकिस्तान का जिक्र किसने किया ? 

आजाद द्वारा पाकिस्तान का जिक्र किए जाने पर सत्ता पक्ष ने तीखी आपत्ति जतायी. केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने उनके बयान को राष्ट्रविरोधी बताते हुए कहा कि गुलाम नबी आजाद पाकिस्तान को प्रमाण पत्र दे रहे हैं. नायडू ने उनके बयान को सदन की कार्यवाही से निकालने का आसन से अनुरोध किया. इस पर आजाद ने कहा कि वह सरकार के फैसले के कारण हुई मौतों का सिर्फ जिक्र कर रहे थे. उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि हम (कश्मीर के लोग) 24 घंटे पाकिस्तान को झेलते रहते हैं जबकि आप वहां शादी विवाह में शामिल होने जाते हैं. आप उन्हें तोहफे भिजवाते हैं.

किनके पास तर्क नहीं है ? 

रिकार्ड पर गौर करने का आश्वासन देते हुए उपसभापति पीजे कुरियन ने आजाद से कहा कि क्या वह नायडू की बात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे. हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा की सदस्यों की मांग स्वीकार कर ली. उन्होंने कहा कि अफसोस है कि कुछ लोगों के पास तर्क नहीं है, इसलिए यह स्थिति बन रही है। सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने दावा किया कि वित्त मंत्री को पता ही नहीं है कि उनके विभाग में क्या हो रहा है.

नकवी की क्या थी आपत्ति ? 

उनकी टिप्पणी पर उपसभापति कुरियन और संसदीय कार्य राज्य मंत्री नकवी ने आपत्ति जतायी. नकवी ने कहा कि नोटबंदी का फैसला वापस नहीं होगा.  उल्लेखनीय है कि उच्च सदन में नोटबंदी के विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर कल दिन भर चली चर्चा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, प्रमोद तिवारी, बसपा प्रमुख मायावती, जदयू नेता शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी सहित कई विपक्षी सदस्यों ने सरकार के इस फैसले से आम जनता को होने वाली परेशानी की ओर ध्यान दिलाया था. सत्ता पक्ष की ओर से शहरी विकास मंत्री नायडू और बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि इस निर्णय से भ्रष्टाचार, काला धन पर रोक लगेगी और आतंकवादियों को मिलने वाले धन पर लगाम कसेगी.

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