चण्डीगढ़ : मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा राज्य के अधिकार क्षेत्र से संबंधित पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की कार्यवाहियों के उदेश्य, कोई निर्णय, डिक्री या पारित आदेश को अंग्रेजी भाषा सहित हिन्दी को अधिकृत करने के लिए हरियाणा के राज्यपाल से भारत के राष्ट्रपति से सहमति लेने का अनुरोध करने का निर्णय लिया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 348 के तहत यह प्रावधान है कि जब तक कानून द्वारा संसद अन्यथा प्रदान नहीं करती है, तब तक सर्वोच्च न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी। अनुच्छेद 348 के तहत, राज्य के राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति सहित, उच्च न्यायालय की कार्यवाही में हिंदी भाषा या राज्य की अन्य आधिकारिक भाषा को किसी भी अधिकारिक उद्देश्य के लिए प्रयोग करने हेतु अधिकृत कर सकते हैं, क्योंकि उस राज्य में उच्च न्यायालय प्रमुख पीठ है, बशर्ते कि ऐसे उच्च न्यायालयों द्वारा पारित डिक्री, निर्णय या आदेशों में यह लागू नहीं होगा।
राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 7 में माननीय राष्ट्रपति के पूर्व सहमति सहित राज्य के माननीय राज्यपाल को अधिकार है कि वे किसी भी निर्णय के प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के अलावा हिंदी या राज्य की आधिकारिक भाषा के उपयोग को, उच्च न्यायालय द्वारा पारित या किए गए निर्णय, डिक्री या आदेश अधिकृत किया जा सकता है, जहां कोई भी निर्णय, डिक्री या आदेश पारित किया जाता है या ऐसी किसी भी भाषा में किया जा सकता है (अंग्रेजी भाषा के अलावा), उच्च न्यायालय के अधिकार के तहत जारी की गई भाषा में यह अंग्रेजी में उसी के अनुवाद के साथ होगा।
हरियाणा सरकार को हरियाणा राज्य के 78 विधायकों, हरियाणा के महाधिवक्ता और सैकड़ों अधिवक्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक मांग पत्र भी प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने न्यायालयों में उपयोग के लिए हिंदी भाषा को अधिकृत करने हेतू अपनी रुचि भी व्यक्त की है ताकि हरियाणा के नागरिक पूरी न्याय प्रक्रिया को अपनी भाषा में समझ सकें और आसानी से न्यायालयों के समक्ष अपने विचार रख सकें। हाल ही में, केरल उच्च न्यायालय के हीरक जयंती कार्यक्रम में, राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने स्वयं इस बात पर भी बल दिया कि न्यायालय के निर्णयों को वादी-प्रतिवादी की भाषा में उपलब्ध कराया जाना चाहिए। भारत के अधिवक्ताओं, बुद्धिजीवियों और न्यायविदों द्वारा शुरू किया गया भारतीय भाषा अभियान इस दिशा में भी काम कर रहा है कि भारत के न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में काम शुरू किया जाना चाहिए। इसलिए, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में हिन्दी भाषा के प्रयोग को अधिकृत करना विवेक सम्मत है।
हिंदी भाषा क्षेत्र होने के नाते, हरियाणा वर्ष 1966 में एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। वर्ष 1969 में, हरियाणा राजभाषा अधिनियम की धारा 3 के तहत, हिंदी को हरियाणा राज्य की आधिकारिक भाषा बनाया गया। तब से, हिंदी भाषा का उपयोग ज्यादातर प्रशासन की भाषा के रूप में किया जा रहा है। राज्य के लोगों की भाषा के रूप में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने के लिए यह आवश्यक है कि इस भाषा का उपयोग हमारे दिन-प्रतिदिन के कार्य में होना चाहिए। लोकतंत्र में न्याय का उद्देश्य यह है कि वादी को अपनी भाषा में जल्दी न्याय मिलना चाहिए और कार्यवाही के दौरान वह अवाक न रहे।
हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में संशोधन
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधीनस्थ न्यायालयों व अधिकरणों में हिंदी भाषा के उपयोग के संबंध में हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 के संशोधन को लाने के लिए एक प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। राज्य के लोगों की भाषा के रूप में हिंदी का प्रचार प्रसार करने के लिए यह आवश्यक है कि इस भाषा का उपयोग हमारे दिन-प्रतिदिन के काम में प्रयोग की जानी चाहिए। लोकतंत्र में न्याय का उद्देश्य यह है कि वादी को अपनी भाषा में जल्दी न्याय मिलना चाहिए और कार्यवाही के दौरान वह अवाक न रहे।
हरियाणा राज्य के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा हिंदी को अपनाने के लिए हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 को राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किया गया था। हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 के तहत हिंदी को हरियाणा राज्य की आधिकारिक भाषा बनाया गया। तब से, हिंदी भाषा का उपयोग ज्यादातर प्रशासन की भाषा के रूप में किया जा रहा है। पंजाब राजभाषा अधिनियम, 1967 में 1969 के पंजाब अधिनियम संख्या 11 द्वारा संशोधन किया गया था, जिसमें धारा 3ए और 3बी जोड़े गए थे, कि सभी सिविल न्यायालयों और आपराधिक न्यायालयों में पंजाब एवं हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ थे और सभी राजस्व न्यायालय और अधिकरण, में काम पंजाबी में किए जाएंगे।
इसी तरह के संशोधन को हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में भी लाया जाएगा, जो कि सभी न्यायालयों में उस कार्य को प्रदान करने के लिए, उच्च न्यायालय के अधीनस्थ और राज्य सरकार द्वारा गठित सभी न्यायाधिकरणों द्वारा हिंदी में देवनागरी लिपि में काम किया जाएगा और हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 में धारा 3ए को जोड़ा जाएगा, जिसके तहत पंजाब एवं हरियाणा के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी सिविल अदालतों और आपराधिक न्यायालयों में, सभी राजस्व अदालतें और रेंट ट्रिब्यूनलों या किसी अन्य अदालत या राज्य सरकार द्वारा गठित न्यायाधिकरण, ऐसी अदालतों और न्यायाधिकरणों में कार्यवाही, कोई भी निर्णय, डिक्री या आदेश पारित, हिंदी में होगा।
मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया कि प्रस्तावित संशोधन के सुचारू क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण सहित सभी अपेक्षित अवसंरचना को छह महीने के भीतर प्रदान किया जाएगा।
78 विधायकों का मांग पत्र
हरियाणा सरकार को हरियाणा राज्य के 78 विधायकों, हरियाणा के महाधिवक्ता और सैकड़ों अधिवक्ताओं द्वारा हस्ताक्षरित एक मांग पत्र भी प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने न्यायालयों में उपयोग के लिए हिंदी भाषा को अधिकृत करने हेतू अपनी रुचि भी व्यक्त की है ताकि हरियाणा के नागरिक पूरी न्याय प्रक्रिया को अपनी भाषा में समझ सकें और आसानी से न्यायालयों के समक्ष अपने विचार रख सकें। हाल ही में, केरल उच्च न्यायालय के हीरक जयंती कार्यक्रम में, राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने स्वयं इस बात पर भी बल दिया कि न्यायालय के निर्णयों को वादी-प्रतिवादी की भाषा में उपलब्ध कराया जाना चाहिए। भारत के अधिवक्ताओं, बुद्धिजीवियों और न्यायविदों द्वारा शुरू किया गया भारतीय भाषा अभियान इस दिशा में भी काम कर रहा है कि भारत के न्यायालयों में भारतीय भाषाओं में काम शुरू किया जाना चाहिए।
इसलिए, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधीन न्यायालयों व अधिकरणों द्वारा दिए गए या पारित किए गए किसी भी निर्णय, डिक्री या आदेशों के लिए हिंदी भाषा के उपयोग को अधिकृत करना विवेक सम्मत है।
तेजाब पीडि़त महिलाओं और लड़कियों को वित्तीय सहायता
हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में तेजाब पीडि़त महिलाओं और लड़कियों को वित्तीय सहायता योजना में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई। मौजूदा योजना के तहत 2 मई, 2011 को या उसके बाद तेजाबी हमलेे से पीडि़त ऐसी किसी भी महिला या लडक़ी, जोकि घटना की तीथि से कम से कम तीन वर्ष पहले से हरियाणा में रह रही हो, को ही वित्तीय सहायता दी जाती है। हालांकि, संशोधन के बाद, हरियाणा राज्य में रहने वाली ऐसी कोई भी महिला या लडक़ी इस योजना के तहत वित्तीय लाभ के लिए पात्र होगी जिसने तेजाबी हमले का सामना किया है। हालांकि, योजना के तहत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करने के बाद पीडि़ता को वर्तमान तिथि से वित्तीय सहायता दी जाएगी। मंत्रिमंडल ने यह भी निर्णय लिया है कि ऐसी तेजाबी हमले की पीडि़ताओंं को कोई बकाया राशि नहीं दी जाएगी।
हरियाणा फिल्म सैल का नाम बदलकर हरियाणा फिल्म प्रोत्साहन बोर्ड
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा फिल्म सैल का नाम बदलकर हरियाणा फिल्म प्रोत्साहन बोर्ड करने तथा हाई पावर कमेटी का नाम शासी परिषद करने सहित हरियाणा फिल्म नीति के प्रावधान के तहत इसके चेयमैन श्री सतीश कौशिक का पदनाम बदलने के सूचना, जन सम्र्पक एवं भाषा विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। शासी परिषद के अन्य नियम व शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी, जैसा कि नीति में वर्णित है।
शासी निकाय हरियाणा फिल्म नीति के प्रावधानों के क्रियान्वयन में कार्यकारी समिति का मार्गदर्शन करने के लिए परामर्शी निकाय के रूप में कार्य करेगा और परियोजनाओं के अनुमोदन तथा इस नीति के तहत धनराशि जारी करने के लिए उपयुक्त प्राधिकरण होगा।
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राज्य में हरियाणवीं और गैर-हरियाणवीं सिनेमा के विकास और फिल्म निर्माण के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए सितम्बर 2016 में हरियाणा फिल्म नीति की घोषणा की थी । इस फिल्म नीति का उद्देश्य हरियाणा में फिल्म उद्योग का विकास करना और सिनेमा के विकास के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध करवाना तथा प्रदेश मेें फिल्मों के लिए विद्यमान अपार संभावनाओं का अनवेषण करना और उनका सही ढंग से दोहन करना है।
राज्य सरकार द्वारा 17 अक्टूबर 2018 की अधिसूचना के तहत तुरंत प्रभाव से इसके प्रावधानों, नियमों और सेवा उप-नियमों को मिलाकर हरियाणा फिल्म नीति लागू की गई। इस अधिसूचना के तहत हरियाणा फिल्म नीति के प्रावधानों को लागू करने के लिए हरियाणा फिल्म सैल बनाया गया था। हरियाणा फिल्म सैल के तहत सरकारी अधिकारियों, पेशेवरों और फिल्म उद्योग से विशेषज्ञों को मिलाकर एक कार्यकारी समिति और एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया गया था।
नागरिक संसाधन सूचना विभाग का सृजन
मंत्रिमंडल की बैठक में नए विभाग यानी नागरिक संसाधन सूचना विभाग के सृजन की स्वीकृति प्रदान की गई। मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि राज्य सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन और डिजिटल साधनों के माध्यम से सरकारी सेवाओं की प्रदायगी के लिए सांझा डेटाबेस सृजित करने हेतु परिवार पहचान पत्र पर बल देने के उद्देश्य से यह नया विभाग सृजित किया जाएगा।
नया विभाग परिवार पहचान पत्र, सरकार से नागरिकों को सेवाओं की प्रदायगी हेतु भू-सूचना विज्ञान सहित सूचना विज्ञान और सूचना अवसंरचना के इस्तेमाल से सांझा डेटाबेस के रूप में नागरिक संसाधन सूची विकसित करने, विभागों में सांझा डेटाबेस को प्रोत्साहित करने और विकसित करने से संबंधित विषयों के लिए काम करेगा।
नया विभाग सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और सरकारी सेवाओं की प्रदायगी के लिए सरकार-नागरिक जुड़ाव के लिए ई-शासन से संबंधित सभी कार्य भी करेगा।नया विभाग, विभागों और एजेंसियों द्वारा सरकारी सेवाओं की प्रदायगी में अन्य सरकारी विभागों एवं एजेंसियों द्वारा उपयोग के लिए व्यक्तिगत, पारिवारिक और संपत्ति डेटा को जोडऩे वाला लिंक्ड डेटाबेस स्थापित करने का कार्य भी करेगा।
नया विभाग डिजिटल टेक्नॉलोजी का इस्तेमाल करके हरियाणा के नागरिकों को सरकारी सेवाओं और योजनाओं की दक्ष और प्रभावी प्रदायगी सुनिश्चित करेगा।
लापता हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए सहायता
हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में सेवा के दौरान मृत्यु को प्राप्त हुए या लापता हुए सरकारी कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों के लिए हरियाणा सिविल सेवाएं (अनुकंपा वित्तीय सहायता या अनुकंपा नियुक्ति) नियम, 2019 के नाम से नई एक्स-ग्रेशिया स्कीम को स्वीकृति प्रदान की गई। नई योजना पहली अगस्त, 2019 से घटनोत्तर लागू होगी।
नई योजनाओं में, ग्रुप-सी या डी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति या मृतक कर्मचारी की आयु के आधार पर 15/12/7 वर्ष की अवधि के लिए मासिक वित्तीय सहायता की अनुमति दी गई है। नई योजना के तहत अनुकंपा नियुक्ति दी जा सकेगी, बशर्ते कि मृतक कर्मचारी की आयु 52 वर्ष से अधिक न हो। उसने न्यूनतम 5 साल की नियमित सेवा पूरी कर ली हो और अनुकंपा नियुक्ति मृतक कर्मचारी द्वारा धारण किए गए अंतिम वेतनमान से कम वेतनमान वाले ग्रुप-सी या डी पद पर दी जाएगी।
जो सरकारी कर्मचारी बहादुरी और असाधारण साहस का प्रदर्शन करते हुए कार्यवाही में मारा गया हो, उसका परिवार 52 वर्ष की आयु या न्यूनतम 5 साल के सेवाकाल की शर्त के बिना अनुकंपा वित्तीय सहायता और अनुकंपा नियुक्ति, दोनों का लाभ उठाने का पात्र होगा।
मृतक सरकारी कर्मचारी के परिवार हेतु अनुग्रह अनुदान 25,000 रुपये से बढ़ाकर 1.00 लाख रुपये किया गया है, जोकि पिछले 30 वर्षों से संशोधित नहीं किया गया था।
मकान किराया भत्ता या सरकारी आवास की अनुमति एक वर्ष के बजाय दो वर्ष की अवधि के लिए दी गई है। अन्य लाभ अर्थात 10+2 तक बाल शिक्षा भत्ता, स्नातक तक की ट्यूशन फीस और निर्धारित चिकित्सा भत्ता अपरिवर्तित रहेंगे।
लापता सरकारी कर्मचारी का परिवार अब प्राथमिकी दर्ज होने की तिथि से केवल छह महीने बाद अनुकंपा वित्तीय सहायता का लाभ पाने का हकदार होगा।
पूर्ववर्ती प्रावधान के अनुसार संशोधित योजना के तहत ग्रुप-सी या डी के मृतक कर्मचारियों के सभी ऋण और अग्रिम राशि भी माफ की जाएगी। लंबित मामलों, जहां परिवार ने पुराने नियमों के तहत कोई लाभ नहीं लिया है, में 2019 की नई योजना या 2006 की पुरानी योजना के तहत लाभ लेने का विकल्प होगा।