पत्रकार हत्या सच्चाई दबाने का खतरनाक तरीका: मोदी

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भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के स्वर्ण जयंती समारोह में पीएम 

मीडिया के कामकाज में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के स्वर्ण जयंती समारोह में पत्रकारों की हाल में हुई हत्याओं पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह बहुत दर्दनाक  है और सच्चाई को दबाने का सबसे खतरनाक तरीका है. उन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया के कामकाज में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. उन्होंने बाहरी नियंत्रण की बजाय समय के साथ उपयुक्त बदलाव कर स्व नियमन की सलाह दी. माना जाता है कि उनकी यह टिप्पणी बिहार में हल ही में हुई दो पत्रकारों की हत्या के मद्देनजर आई है।

स्व नियमन का समर्थन

इस अवसर पर पीएम मोदी ने मीडिया द्वारा स्व नियमन चाहे जाने पर अपनी बात के समर्थन में महात्मा गांधी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि बेलगाम लेखन भारी समस्याएं पैदा कर सकता है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी हस्तक्षेप अव्यवस्था पैदा करेगा. मीडिया को बाहर से नियंत्रित करने की कल्पना नहीं की जा सकती.

समय के साथ क्या उपयुक्त बदलाव

उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि सरकार मिडिया के कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है. हालांकि उन्होंने यह कहा कि यह सच है कि स्व नियमन आसान नहीं है. यह पीसीआई और प्रेस से जुड़ी अन्य संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे देखें कि आप समय के साथ क्या उपयुक्त बदलाव कर सकते हैं. बाहरी हस्तक्षेप से चीजें नहीं बदलती हैं. प्रधानमंत्री ने किसी खास बदलाव का जिक्र किये विना कहा कि अतीत में पत्रकारों के पास सुधार करने के लिए पर्याप्त समय होता था लेकिन इसके ठीक उलट अब तेज गति वाली इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल मीडिया के चलते ऐसी गुंजाइश नहीं है.

कंधार विमान अपहरण ने  स्व नियमन शुरू कराया

उन्होंने 1999 में कंधार विमान अपहरण का जिक्र करते हुए कहा कि इंडियन एयरलाइंस की उड़ान में सवार यात्रियों के परिवारों की रोष भरी प्रतिक्रिया की चैनलों द्वारा चौबीस घंटों की रिपोर्टिंग ने आतंकवादियों के हौसले बुलंद किए क्योंकि उन्हें लगा कि वे इस तरह के जन दबाव से भारत सरकार से कुछ भी हासिल कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि इस प्रकरण ने मीडिया में स्व नियमन शुरू कराया जो बाद में ऐसी घटनाओं की कवरेज के लिए नियमों के रूप में सामने आया.

 

स्व नियमन के बारे में पीएम मोदी ने एक उपमा देते हुए कहा कि एक मां अपने बच्चे को थोड़ा कम खाने या नहीं खाने को कहती है. बच्चा अपनी मां की सुनेगा लेकिन बाहरी व्यक्ति की नहीं सुनेगा. मीडिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका अंदर से नियमन होना चाहिए और समाज के हित में चीजें परिवार के अंदर ही सुलझाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकारों को दखल देने के इरादे से कदम नहीं बढ़ाना चाहिए.

 

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि स्व नियमन से जुड़े मुद्दों को संगठनों के माध्यम से देखना चाहिए जैसे कि प्रेस काउंसिल. साथ ही, वरिष्ठ लोगों के अनुभव का लाभ लेना चाहिए और समाज के हित में होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि स्व नियमन आसान काम नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मुंबई में हुए 26/11 हमले के बाद आत्मावलोकन का एक और मौका आया पर मामला अब भी अधूरा है. मेरा मानना है कि हम और आप गलतियां करते हैं. मीडिया का उसकी गलतियों से आंकलन नहीं करना चाहिए.

 

उन्होंने कहा कि 1975 में जब आपातकाल लगाया गया तब प्रेस काउंसिल बंद कर दिया गया और 1977 में जब मोरारजी देसाई की सरकार आई तब यह पुनर्जीवित हुआ. उन्होंने कहा कि प्रेस काउंसिल के लोगों को भी इस बारे में सोचना चाहिए कि चीजें कैसे बेहतर होंगी. उन्होंने कहा कि यहां तक कि सरकार को भी कहा जा सकता है कि इसके संचार को कैसे बेहतर किया जाए.

चुनिंदा तरीके से सूचनाएं लीक करने की कोशिश 

प्रधानमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से यहां तक कि सरकार भी कभी कभी अपने चहेते पत्रकारों को चुनिंदा तरीके से सूचनाएं लीक करने में शामिल रहती है. उन्होंने कहा कि यदि इस बारे में प्रेस काउंसिल में कुछ चर्चा होती है तो उन्हें सरकार के समक्ष उसे रखना चाहिए. मोदी ने कहा कि संस्थाओं को बेहतर करने के लिए संचार होना चाहिए जिससे लोगों को फायदा हो.

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