नई दिल्ली : झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के अब तक के रुझान से संकेत साफ़ है कि भारतीय जनता पार्टी के पाले से एक और राज्य निकलता दिख रहा है। जे एम् एम् नेता हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जे एम् एम् – कांग्रेस- राजद गठबंधन बहुमत की सीमा पार चुका है। रुझान बता रहा है कि इस हिंदी राज्य में अगली सरकार कांग्रेस गठबंधन की बननी तय है. संभावना प्रबल है कि हेमंत सोरेन इसके मुख्यमंत्री होंगे। महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद सत्ता से दूर रहेगी।
झारखंड विधानसभा चुनाव के अबतक आए नतीजों में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन बहुमत पार करता हुआ दिखाई दे रहा है। ताजा रुझानों के अनुसार, गठबंधन को अब तक 44 सीटों पर बढ़त हासिल है। वहीं, बीजेपी सिर्फ 26 सीटों पर आगे है। इन आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में रघुवर दास से ताज छिनकर हेमंत सोरेन के पास जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
झारखंड के गोमिया से आज्सू के लंबोदर महतो, चंदनक्यारी से भाजपा के मंत्री अमर कुमार बाउड़ी, खूंटी से भाजपा के मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, बेरमो से कांग्रेस के राजेंद्र सिंह, कोलेबीरा से कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी और डुमरी से झामुमो के जगन्नाथ महतो ने जीत हासिल की है।
इस बार चौकाने वाली बात यह है कि भाजपा के वोटशेयर में वृद्धि हुई है लेकिन यह वृद्धि उनके लिए सीट में तब्दील नहीं हुई . लोगों ने इस बार झामुमो-राजद-कांग्रेस गठबंधन में भरोसा जताया है। भाजपा की हार की सबसे बड़ी वजहों में सीएम पद के लिए आदिवासी चेहरे का न होना बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास गैर-आदिवासी हैं और वे मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। राज्य में आदिवासियों की आबादी करीब 29 प्रतिशत है। इस लिहाज से सीएम पद के लिए आदिवासी चेहरा अहम हो जाता है।
दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ा। हेमंत सोरेन आदिवासी समुदाय के प्रमुख चेहरा है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के पुत्र हैं . हेमंत स्वयं भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सोरेन महागठबंन के पास आदिवासी समुदाय से एक प्रमुख चेहरा जबकि भाजपा ने अपने पुराने चेहरे रघुवरदास पर भरोसा जताया। अब साफ है कि सीएम पद की दौड़ में हेमंत सोरेन ने बढ़त ले ली।