होंडा के अस्थायी श्रमिकों के समर्थन में कई प्रतिष्ठानों के श्रमिकों ने किया लंच का बहिष्कार

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श्रमिकों को न्याय दिलाने की प्रदेश सरकार से की मांग

गुडग़ांव : होण्डा मोटर्स प्रबंधन ने हजारों की संख्या में अस्थायी श्रमिकों को नौकरी से निकाला हुआ है। ये श्रमिक गत 5 नवम्बर से कंपनी के बाहर ही धरने पर बैठे हुए हैं और अपनी नौकरी बहाली की मांग कर रहे हैं।

इस दौरान कंपनी प्रबंधन व श्रमिकों के बीच वार्ताओं का दौर जारी रहा, लेकिन वार्ता किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची। धरने पर बैठे श्रमिक कंपनी प्रबंधन पर हठधर्मिता व उनका शोषण करने के आरोप लगाते आ रहे
हैं। विभिन्न श्रमिक संगठन भी आंदोलनरत श्रमिकों को पूरा सहयोग दे रहे हैं। श्रम विभाग भी इन श्रमिकों की समस्याओं का समाधान कराने में पूरी तरह से असफल रहा है। श्रमिक यूनियनों का प्रतिनिधत्व करने वाली ट्रेड
यूनियन काउंसिल के आह्वान पर धरने पर बैठे श्रमिकों के समर्थन में मंगलवार को विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों स्थित संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों ने लंच का बहिष्कार कर आंदोलनरत श्रमिकों को न्याय दिलाने की मांग की।

काउंसिल के सक्रिय सदस्य कामरेड अनिल पंवार, सतबीर सिंह व कुलदीप जांघू ने बताया कि मारुति सुजूकी संघ के प्रतिष्ठानों, रिको ऑटो, सनबीम, हीरो मोटो कॉर्प, सुजूकी पॉवर ट्रेन, बेलसोनिका, बावल व बिनौला स्थित औद्योगिक प्रतिष्ठानों में भी संयुक्त रुप से श्रमिकों ने लंच काबहिष्कार कर अपनी एकता का परिचय देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि आंदोलनरत श्रमिकों की नौकरी बहाल कर उन्हें न्याय दिलाया जाए। सभी प्रतिष्ठानों में कैंटीनें सूनी पड़ी रही। श्रमिक नेताओं जसपाल राणा,
राजकुमार, बलवंत सिह, शिव कुमार, अजमेर सिंह, अजय कुमार, राकेश यादव का कहना है कि नौकरी बचाने के लिए सभी श्रमिक पिछले 42 दिनों से इस कडक़ड़ाती
ठंड में धरना दे रहे हैं। क्षेत्र के श्रमिक उनके समर्थन में न केवल प्रदेश सरकार को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं, अपितु 2 बार 12 किलोमीटर का पैदल मार्च व मानव श्रृंखला बनाकर अपना विरोध भी दर्ज करा चुके हैं, लेकिन प्रदेश सरकार इस समस्या का समाधान आज तक भी नहीं करा पाई है। उन्होंने कंपनी प्रबंधन व प्रदेश सरकार से पुन: मांग की है कि आंदोलनरत श्रमिकों को नौकरी पर लिया जाए और उन्हें न्याय दिया जाए। धरने पर बैठे श्रमिक प्रबंधन विरोधी नारेबाजी करते हुए दिखाई दिए।

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