मिड डे मील में बच्चों को दूध पिला रहे हैं या कुछ और, जांच की व्यवस्था नहीं !

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फरीदाबाद। फरीदाबाद के जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय द्वारा दिए गए एक आरटीआई के जवाब से चौकाने वाला खुलासा हुआ है। जिले के सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को मिड डे मील कार्यक्रम के अंतर्गत सप्ताह में 3 दिन दिए जाने वाले दूध की गुणवत्ता को लेकर किसी दिशा निर्देश का पालन नहीं किया जाता है। इसकी जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इससे स्पष्ट है कि मिड डे मील के मामले में विभाग द्वारा बरती जा रही घोर लापरवाही से बच्चों का स्वास्थ्य भगवान भरोसे है। बच्चों को संतुलित आहार देकर स्वस्थ रखने की इस योजना का लक्ष्य धूमिल हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि फरीदाबाद ज़िला के सरकारी विद्यालयों में बच्चों को दिए जाने वाले दूध पर हर माह लगभग 25 से 30 लाख रुपए का औसतन खर्च आता है। इसका भुगतान जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा वीटा मिल्क प्लांट को किया जाता है।

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बहल की ओर से मांगी सूचना में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। विभाग की ओर से बताया गया है कि स्कूल के बच्चों को दिए जाने वाले इस मिल्क पाउडर की किसी भी स्तर पर जिला शिक्षा विभाग या स्कूलों में कोई गुणवत्ता की जांच नहीं की जाती है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे कोई दिशानिर्देश भी निर्धारित नहीं किए गए हैं और ना ही कोई मानदंड निश्चित किए गए हैं।

आरटीआई के तहत मांगी जानकारी के जवाब में यह भी कहा गया है कि जिले के विभिन्न स्कूलों में बांटे जाने के लिए विभाग द्वारा वीटा मिल्क प्लांट को कोई भी पूर्व निर्धारित प्लेन नहीं दिया गया अपितु यह सब मिल्क प्लांट द्वारा अपने ही स्तर पर निर्धारित व कार्यान्वित किया जाता है।

इस विषय में गौरतलब यह बात है कि राज्य सरकार और वीटा मिल्क प्लांट के बीच किए गए करारनामें की अवधि 6 नवंबर 2018 को भी समाप्त हो चुकी है वह इस संबंध में किसी भी नए कारारनामे की जानकारी या तो विभाग के पास नहीं है या उस जानकारी को आरटीआई के अंतर्गत उपलब्ध नहीं कराया गया। स्पष्टतः इस मामले में विभाग मौन है जिससे आशंका इस बात की है कि एक वर्ष से यह विना किसी करार के ही चल रहा है।

*यह है मामला*

हरियाणा सरकार द्वारा दिसंबर 2016 में राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में मिड डे मील की योजना के तहत सप्ताह में 3 दिन प्रत्येक बच्चे को 200 मिलीलीटर दूध उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया था। इस योजना के सुचारू रूप से कार्यान्वित ना होने को लेकर
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बहल ने अक्टूबर 2019 में आरटीआई आवेदन लगाकर ज़िला मौलिक शिक्षा विभाग से मिड डे मील कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी स्कूलों के बच्चों को उपलब्ध करवाए जाने वाले दूध के संबंध में जानकारी माँगी थी ।विभाग द्वारा नवंबर और दिसंबर माह में उपलब्ध कराई गई जानकारी से यह खुलासा हुआ कि जिले के लगभग सभी 376 सरकारी स्कूलों जिनमें इस कार्य के लिए 764 कुक सह हेल्पर रखे गए हैं इस योजना का सही प्रकार से कार्यान्वयन नहीं कर पा रहे।

इसका एक बड़ा कारण इस योजना को लागू होने के 17 महीने में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी द्वारा केवल 223 स्कूलों का ही निरीक्षण किया जाना माना जा रहा है।जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी द्वारा औसतन हर माह केवल 13 ही स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है व बच्चों को दिए जाने वाले दूध की गुणवत्ता की जांच की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है और ना ही इस अवधि में विभाग द्वारा दूध के 120 सैंपल की जांच की यह करवाई गई है।

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बहल ने बताया कि उनके द्वारा मांग किए जाने के बावजूद अभी तक विभाग ने जांच के लिए दूध के सैंपल का कोई भी नमूना उपलब्ध नहीं करवाया है और ना ही विभाग द्वारा ऐसी किसी भी जांच के प्रमाणित नतीजे उपलब्ध करवाए हैं।

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