नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई शुरू हुई।
न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान के समक्ष नौकरशाह से राजनीति में आए शाह फैजल और अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचन्द्रन ने बहस शुरू की। रामचन्द्रन ने इस मामले में अपनी बहस के दायरे के बारे में पीठ को अवगत कराया।
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत शामिल हैं।
रामचन्द्रन ने कहा कि वह इस सवाल पर बहस करेंगे कि क्या अस्थाई राष्ट्रपति शासन की आड़ में राज्य और केन्द्र के बीच संघीय रिश्तों में ‘अपरिवर्तनीय बदलाव’ लाये जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वह इस सवाल पर भी बहस करेंगे कि क्या निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से जम्मू कश्मीर की जनता की भागीदारी के बगैर ही ऐसा किया जा सकता है क्योंकि अब इस राज्य को दो केन्द्रशासित राज्यों में बांट दिया गया है।
रामचन्द्रन ने कहा, ‘‘दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा विशेषकर जम्मू कश्मीर के संदर्भ में है कि जब अनच्छेद 370 में ही संबंधों में बदलाव की व्यवस्था है तो क्या अपरिवर्ततीय बदलाव करते समय उस व्यवस्था को नजरअंदाज किया जा सकता है।