नई दिल्ली । कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने आज देश भर में प्याज की बढ़ती कीमतों के मुद्दे की समीक्षा के लिए सचिवों की समिति की एक बैठक की अध्यक्षता की।
प्याज के 11 बड़े उत्पादक राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई बैठक में कैबिनेट सचिव को प्याज की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए राज्यों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी दी गई।
महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्य सचिवों ने इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया।
कैबिनेट सचिव ने राज्यों को निर्देश दिया कि प्याज की अस्थायी कमी और कीमतों को स्थिर रखने के मद्देनजर इसकी उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए। केंद्र पहले ही मौजूदा सीजन में प्याज के निर्यात की अनुमति न देने का फैसला कर चुका है।
राज्यों को उपयुक्त बफर स्टॉक बनाए रखने, व्यापारियों के लिए जमा सीमा निर्धारित करने और जमाखोरी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।
श्री राजीव गौबा ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस स्थिति से उबरने के लिए 29 नवंबर से प्याज के 11000 मीट्रिक टन आयात को मंजूरी दी है। इसकी आपूर्ति दिसंबर के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है।
यह आयात 22 नवंबर, 2019 को मिस्र से 6090 मीट्रिक टन प्याज का आयात करने के सरकार के फैसले के अतिरिक्त होगा। मिस्र से प्याज की आपूर्ति दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक हो जाने की संभावना है।
कैबिनेट सचिव ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे प्याज की खरीद और किफायती दामों पर उसके वितरण के लिए अपने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग का इस्तेमाल करें।
इस बैठक में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सचिव समेत भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।