नई दिल्ली । लोकसभा में एसपीजी संशोधन बिल ध्वनिमत से आज पास हो गया। यहां गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘चंद्रशेखर जी की सुरक्षा ले ली गई तो कोई कांग्रेस कार्यकर्ता कुछ नहीं बोला, नरसिम्हरा राव की सुरक्षा चली गई, किसी ने चिंता नहीं दिखाई। आई के गुजराल की सुरक्षा हत्या की धमकी के बाद वापस ली गई। चिंता किसकी है, देश के नेतृत्व की या एक परिवार की ?’
इस दौरान कांग्रेस ने सदन से वॉक आउट कर दिया। इस बिल को पास करने के दौरान विशेष सुरक्षा समूह कानून में संशोधन को आवश्यक करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद एसपीजी और प्रभावी बनाना और कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है।
विशेष सुरक्षा समूह एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये रखते हुए शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए किया गया था और दुनिया के कई देशों में उनके शासनाध्यक्षों की सुरक्षा के मकसद से ऐसे ही विशिष्ट सुरक्षा इकाई बनाई गई हैं । गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद एसपीजी को और प्रभावी बनाना है और यह देखना है कि उसके काम में किसी भी तरह की कोई कोताही न हो। उन्होंने कहा कि इसका मकसद कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है । अतीत में सरकारों ने कई बार कानून में संशोधन किया।
गृह मंत्री ने कहा, ”मैं जो संशोधन लेकर आया हूं, उसके तहत एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आवास में रहने वालों के लिए ही होगी तथा सरकार द्वारा आवंटित आवास पर रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को पांच साल की अवधि तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त होगी। शाह ने कहा कि इस स्तर के सुरक्षा कवर के लिये ”विशेष शब्दावली का उपयोग किया गया। यह आदर्श रूप में प्रधानमंत्री के संदर्भ में होना चाहिए । यह सिर्फ शरीरिक सुरक्षा के संदर्भ में नहीं है बल्कि इसमें उनके विभाग, स्वास्थ्य, संचार एवं अन्य विषय भी हैं।
अमित शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन 1985 में बनी एक कमेटी के आधार पर हुआ था। 1985-88 तक एसपीजी एक अधिशासी आदेश के तहत काम करती थी। 1988 में एक कानून बना, जिसके तहत एसपीजी काम करने लगी। 1991, 1994, 1999 और 2003 में इसमें संशोधन हुआ। आज वह एक और संशोधन लेकर आए हैं।