गुरूग्राम । गुरूजल परियोजना के तहत जिला के गांव बुढ़ेड़ा में लगभग 9 एकड़ भूमि पर तालाब विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही इस तालाब से सटी एक एकड़ भूमि पर पौधारोपण कर आस-पास के वातावरण को लोगों के सैर आदि करने के लिए स्वच्छ बनाया जाएगा। इस तालाब को विकसित करने के लिए राईट्स नामक कंपनी द्वारा सीएसआर के तहत एक करोड़ रूपये की राशि खर्च की जाएगी।
इस बारे में जानकारी देते हुए उपायुक्त अमित खत्री ने बताया कि जिला में गुरूजल परियोजना के तहत सबसे बड़ा तालाब गांव बुढ़ेड़ा में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तालाब के जीर्णोद्धार कार्य से पूर्व विशेषज्ञो की टीम द्वारा माइक्रो क्लाइमेट स्टडी के साथ साथ वहां की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन किया गया है। उन्होंने बताया कि माइक्रो क्लाइमेट स्टडी गुरूजल परियोजना के तहत जिला में चयनित सभी तालाबों की होगी जिसके परिणामों के आधार पर ही तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
श्री खत्री ने बताया कि तालाबों के आस पास की गई माइक्रो क्लामेट स्टडी के उपरांत तालाब के तैयार होने से पहले और बाद में हुए पर्यावरण बदलाव की स्थिति की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। गुरूजल परियोजना के तहत प्रथम चरण में जिला के 30 तालाबों का चयन किया गया है जिनमें से 16 तालाबों के जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर है। जिला में जिन 16 तालाबों का चयन प्रथम चरण में किया गया है उनमें गांव मैदावास, दौलताबाद, धर्मपुर, कासन, बिलासपुर, खेंटावास, बुढ़ेड़ा, फाजिलपुर बादली, ताजनगर, हरियाहेड़ा, नवादा फतेहपुर, मौजाबाद, नानूकलां, इकबालपुर, हसनपुर, भौड़ाकलां आदि के तालाब शामिल है ।
उन्होंने बताया कि तालाबों के जीर्णोद्धार के समय हर पहलु का बारिकी से अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन तालाबों के लिए जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों की टीम द्वारा संयुक्त रूप से काम किया जा रहा है जो ग्राउंड सर्वे करके काम कर रही है। इनके अलावा, गुरूजल परियोजना से जल संरक्षण को लेकर काम कर रही विभिन्न संस्थाओं के 6 विशेषज्ञों की टीम द्वारा अलग से काम किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि किसी भी तालाब में जल संरक्षण के लिए पहले ग्राउंड सर्वे करवाया जाता है। विभागीय टीम द्वारा साइट से तालाब के पानी के सैंपल एकत्रित किए जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद तालाब का डिजाइन तैयार किया जाता है जिसमें कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर तालाब के आस पास सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) की जरूरत है या नही आदि। विशेषज्ञों की टीम की स्वीकृृति उपरांत इस दिशा में काम शुरू किया जाता है। जिला में चयनित 16 तालाबों में से 13 तालाबों में एसटीपी लगवाया जा रहा है। जिन तीन तालाबों मे एसटीपी नही लगवाया जा रहा है उनमें इकबालपुर, हसनपुर व भौड़ाकलां शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि तालाब के जीर्णोद्धार का कार्य आगामी 3-4 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। श्री खत्री ने बताया कि तालाबों को प्राकृतिक रूप देने के लिए इसके आस-पास पौधारोपण भी किया जाएगा ताकि लोगों को वहां स्वच्छ व निर्मल वातावरण मिल सके। उन्होंने बताया कि तालाबों के आस पास विशेष पौधे लगाए जाएंगे जो अधिक मात्रा में आक्सीजन छोड़ते हों। तालाबों के जीर्णोद्धार का काम पूरा होने उपरांत इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी संबंधित गांव की पंचायत को दी जाएगी। पंचायत को इस कार्य के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
उपायुक्त ने बताया कि जिला में गुरूजल परियोजना से जुड़ने के लिए विभिन्न संस्थाएं भी आगे आ रही है जो पर्यावरण संरक्षण में जिला प्रशासन का सहयोग करना चाहती है। श्री खत्री ने बताया कि जिला में लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करवाए जा रहे हैं।
उपायुक्त ने आम जन से अपील करते हुए कहा कि वे जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों में जिला प्रशासन का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि गुरूग्राम जिला में तेजी से घटता भूमिगत जलस्तर आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है तभी हम इस समस्या का स्थाई समाधान कर सकते हैं।