नई दिल्ली। शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह 2019 का आखिरी सत्र है । यह बहुत महत्वपूर्ण सत्र है। यह राज्यसभा का 250वां सत्र है। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस है. संविधान देश की एकता, अखंडता और सौंदर्य को अपने में समेटे हुए है.
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सभी दलों के नेताओं से मिलने का मौका मिला। पिछला सत्र अभूतपूर्व सिद्धियों से भरा रहा, यह सिद्धी पूरे सदन की होती है। सभी सांसद इसके हकदार होते हैं। यह सत्र देश के विकास को गति देगा.
उनका कहना है कि 250 सत्र की विवेचना करें तो कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक बिल यहां पास हुए हैं जो एक प्रकार से देश को चलाने का आधार बने हैं।
पीएम ने कहा कि मैं सकारात्मक सक्रिय भूमिका के लिए सभी सांसदों का आभार व्यक्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि ये सत्र भी देश की विकास यात्रा को, देश को गति देने में और दुनिया जिस तेज़ी से आगे बढ़ रही है उसके साथ कदम मिलाने का सामर्थ्य हम हमारी संसद में भी प्रकट करें।
मोदी ने कहा कि राज्य सभा के 250वें सत्र के दौरान मैं यहां उपस्थित सभी सांसदों को बधाई देता हूं। 250 सत्रों की ये जो यात्रा चली है, उसमें जिन-जिन सांसदों ने योगदान दिया है वो सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। मैं उनका आदरपूर्वक स्मरण करता हूं।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अनुभव कहता है संविधान निर्माताओं ने जो व्यवस्था दी वो कितनी उपयुक्त रही है। कितना अच्छा योगदान इसने दिया है। जहां निचला सदन जमीन से जुड़ा है, तो उच्च सदन दूर तक देख सकता है।
मोदी ने कहा कि परिस्थितियां बदलती गई और इस सदन ने बदली हुई परिस्थितियों को आत्मसात करते हुए अपने को ढालने का प्रयास किया।
उन्होंने बताया कि इस सदन के दो पहलू खास हैं
1- स्थायित्व
2- विविधता
स्थायित्व इसलिए महत्वपूर्ण है कि लोकसभा तो भंग होती रहती है लेकिन राज्य सभा कभी भंग नहीं होती।
और विविधता इसलिए महत्वपूर्ण है कि क्योंकि यहां राज्यों का प्रतिनिधित्व प्राथमिकता है।
पीएम ने चुनावी राजनीति की चर्चा करते हुए कहा कि इस सदन का एक और लाभ भी है कि हर किसी के लिए चुनावी अखाड़ा पार करना बहुत सरल नहीं होता है, लेकिन देशहित में उनकी उपयोगिता कम नहीं होती है, उनका अनुभव, उनका सामर्थय मूल्यवान होता है।
PM मोदी ने कहा कि सदन ने तीन तलाक पर परिपक्वता दिखाई, मुझे लगा था कि सदन में बिल अटक जाएगा।
पिछले पांच साल का आकलन करते हुए उन्होंने कहा कि मैं भी हिसाब-किताब देखूं तो मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि ऐसी अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी बनने का अवसर मुझे भी मिला है।
उनका कहना है कि हमारे देश में एक लंबा कालखंड ऐसा था जब विपक्ष जैसा कुछ खास नहीं था। उस समय शासन में बैठे लोगों को इसका बड़ा लाभ भी मिला। लेकिन उस समय भी सदन में ऐसे अनुभवी लोग थे जिन्होंने शासन व्यवस्था में निरंकुशता नहीं आने दी। ये हम सबके लिए स्मरणीय है।