नई दिल्ली : अंब तक की राजनीतिक घटनाक्रम से यह साफ़ हो गया है कि महारष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से शिवसेना की सरकार बनेगी. चर्चा जोरों पर है कि दोनों दलों ने समर्थन पत्र राजभवन भेज दिया है लेकिन कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि अभी शरद पावर से बातचीत चल रही है समर्थन पात्र सौंपने की बात नहीं की गयी है. दूसरी तरफ तीन निर्दलीय विधायकों ने उद्धव ठाकरे को समर्थन देने की घोषणा की है.
बताया जाता है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोनिया गाँधी से फोन कर समर्थन माँगा और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती गांधी ने एनसीपी नेता शरद पवार से बातचीत की . इससे अब शिवसेना के सरकार बनाने की राहें आसान होती दिख रही हैं . भाजपा से टकराव के बाद बनी स्थिति में शिवसेना नेता इस बात अड़े रहे कि दोनों पार्टियों की ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री रहेंगे , लेकिन भाजपा नेतृत्व इस बात के लिए तैयार नहीं हुआ. अंतत कल देवेन्द्र फडनवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. हालाँकि राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया लेकिन भाजपा ने बहुमत प्राप्त नहीं होने के कारण सरकार बनाने से मना कर दिया. जाहिर इस स्थिति में राज्यपाल की भूमिका अहम हो गयी है लेकिन उनके पास विकल्प सीमित हैं. उन्हें पहले शिवसेना सहित अन्य दलों को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना होगा. इसलिए अब शिवसेना सरकार गठन के लिए कांग्रेस और एनसीपी से समर्थन की उम्मीद में है जिसमें उन्हें सफलता हासिल होती नजर आ रही है.
कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया है कि महारष्ट्र की स्थिति को लेकर पार्टी की वर्किंग कमिटी की बैठक हुई जिसमें इस पर चर्चा की गयी. चर्चा के बाद एनसीपी नेता शरद पवार से इस सम्बन्ध में बात की गयी है. पार्टी ने कहीं भी शिवसेना को समर्थन देने का संकेत नहीं दिया है. चर्चा है कि कांग्रेस में शिवसेना को समर्थन देने को लेकर विरोध है. इसलिए पार्टी के लिए निर्णय लेना बेहद कठिन होगा. संभव है इसलिए ही शिवसेना नेता राज्यपाल से और समय मांग रहे हैं. खबर है कि शिवसेना और एनसीपी नेता राज्यपाल के पास पहुँच चुके हैं.