सुभाष चौधरी
नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए नीति आयोग द्वारा स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) को विकसित किया गया। इस सूचकांक का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी मज़बूती और कमजोरियों की पहचान करने और अपेक्षित सुधार या नीतिगत हस्तक्षेप करने के लिए एक मंच प्रदान करना और उसके द्वारा शिक्षा नीति पर ‘परिणाम’ आधारित ध्यान केंद्रित करना है। इस सूचकांक का पहला संस्करण आज नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार द्वारा जारी किया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार बड़े राज्यों में केरल, छोटे राज्यों में मनिपुर और केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ प्रथम स्थान पर रहे।
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल, सीईओ अमिताभ कांत और मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव रीना रे और विश्व बैंक के प्रतिनिधि मौजूद थे।
प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद की भावना को बढ़ावा देने वाले नीति आयोग के जनादेश के अनुरूप स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करने की कोशिश करता है। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, विश्व बैंक और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों जैसे प्रमुख हितधारकों समेत एक सहयोग भरी प्रक्रिया के माध्यम से विकसित इस सूचकांक में 30 महत्वपूर्ण संकेतक हैं जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वितरण का आकलन करते हैं। इन संकेतकों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है:
श्रेणी 1: परिणाम (आउटकम्स)
(क) डोमेन 1: परिणाम सीखना
(ख) डोमेन 2: परिणामों तक पहुंच
(ग) डोमेन 3: परिणामों के लिए बुनियादी ढांचा और सुविधाएं
(घ) डोमेन 4: परिणाम में साम्य
श्रेणी 2: शासन प्रक्रिया सहायता परिणाम
स्कूली शिक्षा के सीखने वाले सफल परिणाम सामने आने चाहिए। ज़रूरी उपचारात्मक कदमों को डिजाइन करने के लिए इस संबंध में मूल्यांकन की एक विश्वसनीय व्यवस्था काफी महत्वपूर्ण है। यह व्यवस्था सीखने की दिशा में तत्पर है, ऐसा सुनिश्चित करने के लिएस्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक अपना तकरीबन आधा वजन सीखने के परिणामों के लिए प्रदान करता है। यह पूरे देश में एक मजबूत संकेत भेजता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सबका ध्यान सीखने के परिणामों पर ही केंद्रित रहे।
एक जैसी तुलना की सुविधा के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बड़े राज्यों, छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन समूहों में से प्रत्येक के अंदर संकेतक मूल्यों को उचित रूप से आकार दिया गया है, सामान्यीकृत किया गया है और भारित किया गया है ताकि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक समग्र प्रदर्शन स्कोर और रैंकिंग उत्पन्न की जा सके।
राज्यों का समग्र प्रदर्शन अपनी अंतर्निहित श्रेणियों में अपने प्रदर्शन में भिन्नताओं को छिपा सकता है। 20 बड़े राज्यों में से 10 राज्य, परिणाम श्रेणी में बेहतर प्रदर्शन करते हैं जिनमें सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शन अंतरों को कर्नाटक, झारखंड और आंध्र प्रदेश के मामलों में देखा गया है। अन्य बड़े राज्य शासन प्रक्रिया सहायता परिणामों की श्रेणी में बेहतर प्रदर्शन करते हैं जिनमें सबसे अधिक उल्लेखनीय प्रदर्शन अंतर ओडिशा, पंजाब और हरियाणा के मामलों में देखे गए हैं।
आठ छोटे राज्यों में से सात परिणाम श्रेणी में बेहतर प्रदर्शन करते हैं जिनमें मणिपुर, त्रिपुरा और गोवा के मामलों में सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शन अंतर देखा गया है। सिक्किम एकमात्र ऐसा छोटा राज्य है जो शासन प्रक्रिया सहायता परिणामों की श्रेणी में बेहतर प्रदर्शन करता है।
सात केंद्र शासित प्रदेशों में से चार परिणाम श्रेणी में बेहतर प्रदर्शन करते हैं जिनमें सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य प्रदर्शन अंतर दादरा और नगर हवेली में पाया गया है। दिल्ली, दमन और दीव और लक्षद्वीप शासन प्रक्रिया सहायता परिणामों की श्रेणी में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का परिणाम सीखने में प्रदर्शन दरअसल नेशनल अचीवमेंट सर्वे (एनएएस) 2017 में उनके परिणामों से प्रेरित है। परिणामों तक पहुंच में उनका प्रदर्शन मुख्य रूप से माध्यमिक स्तर पर नामांकन अनुपात और उच्च-प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक परिवर्तन दरों से प्रेरित है। जहां तक परिणामों के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का सवाल है, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन को प्राथमिक स्तर पर कंप्यूटर एडेड-लर्निंग (सीएएल) और माध्यमिक व वरिष्ठ-माध्यमिक स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा की मौजूदगी से मज़बूती से जोड़ा जाता है।
20 बड़े राज्यों में से 18 राज्यों ने वर्ष 2015-16 और 2016-17 के बीच अपने समग्र प्रदर्शन में सुधार किया। इन 18 राज्यों में औसत सुधार 8.6 प्रतिशत अंकों का है, हालांकि सबसे तेज और सबसे धीमी गति से सुधार करने वाले राज्यों के मामले में उस औसत के आसपास बहुत अधिक भिन्नता है। इस भिन्नता के कारण कई राज्यों ने अपने समग्र प्रदर्शन स्कोर में सुधार किया लेकिन फिर भी उनकी रैंक में गिरावट देखी गई।
पांच छोटे राज्यों ने 2015-16 और 2016-17 के बीच अपने समग्र प्रदर्शन स्कोर में सुधार दिखाया है जिसमें औसत सुधार 9 प्रतिशत अंकों के आसपास का है। हालांकि जहां तक बड़े राज्यों का सवाल है, उनमें सबसे तेज और सबसे धीमी गति से सुधार करने वाले राज्यों के बीच काफी भिन्नता है। मेघालय, नागालैंड और गोवा जैसे राज्यों ने क्रमश: 14.1, 13.5 और 8.2 प्रतिशत अंकों के सुधार के साथ अन्य राज्यों को पीछे छोड़ दिया और इससे इस प्रक्रिया में उनकी रैंक में भी सुधार हुआ।
सभी सात केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने समग्र प्रदर्शन स्कोर में सुधार दिखाया है। इनमें औसत सुधार 9.5 प्रतिशत अंकों का हुआ है। दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली और पुदुचेरी ने अपने समग्र प्रदर्शन स्कोर में क्रमशः 16.5, 15.0 और 14.3 प्रतिशत अंकों का सुधार किया है जिससे उन्हें वृद्धिशील प्रदर्शन में अपनी रैंकिंग में सुधार करने में मदद मिली।
स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) में अध्ययन के अंतर्गत प्रत्येक संकेतक के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विश्लेषण को भी शामिल किया गया है। मसलन कि संकेतक जैसे – भाषा और गणित के लिए कक्षा 3, 5 और 8 में औसत स्कोर, प्राथमिक से उच्च-प्राथमिक स्तर पर परिवर्तन दरें, समाज के सामान्य और हाशिए पर पड़े तबकों के बीच सीखने वाले परिणामों में साम्यता की पहचान करना, हर राज्य के लिए नीति डिजाइन और भविष्य की कार्यवाही के लिए आंकड़ों की संपदा की आपूर्ति।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग 2016-17 के संदर्भ वर्ष में उनके समग्र प्रदर्शन पर और साथ-साथ इस संदर्भ वर्ष और आधार वर्ष (2015-16) के बीच उनके वार्षिक वृद्धिशील प्रदर्शन (समग्र प्रदर्शन में अंतर) के आधार पर की जाती है। ये रैंकिंग राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा की स्थिति और समय के साथ उनकी सापेक्ष प्रगति के मामले में अद्भुत अंतर्दृष्टि प्रस्तुत करती हैं।
शीर्ष और सबसे निम्न प्रदर्शन करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एक संक्षिप्त झलक निम्नानुसार है। इसकी विस्तृत रिपोर्ट यहां पर देखी जा सकती है: http://social.niti.gov.in/
स्कूल शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (एसईक्यूआई) एक गतिशील उपकरण है जो निरंतर विकसित होता रहेगा। समय के साथमौजूदा संकेतकों की प्रासंगिकता और नए संकेतकों के लिए डेटा की उपलब्धता को भी इसकी इंडेक्स डिज़ाइन में ध्यान में रखा जाएगा। विशेष रूप सेस्कूली शिक्षा में सुधार के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किए गए प्रयासों को प्रतिबिंबित करने के लिए नीतिगत कार्यों और एसईक्यूआई संकेतकों के बीच की कड़ियों का विश्लेषण किया जाएगा।
इस रिपोर्ट का लिंक: https://niti.gov.in/content/school-education-quality-index
एजुकेशन डैशबोर्ड का लिंकः http://social.niti.gov.in/edu-new-ranking