फ्लैट का कब्जा देने के लिए ली थी 5 हजार रुपए की रिश्वत
गुडग़ांव: हाऊसिंग बोर्ड के फ्लैट का कब्जा देने की एवज में बोर्ड के एस्टेट मैनेजर द्वारा ली गई रिश्वत के मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अश्विनी कुमार मेहता की अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उसकी सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। संभवतया: अदालत आगामी 30 जुलाई को सजा पर फैसला सुनाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार रोहतक के कृष्णलाल ने वर्ष 2016 की 14 दिसम्बर को राज्य चौकसी ब्यूरो के गुडग़ांव स्थित थाना में शिकायत दी थी कि उसने व उसके पुत्र ने गुडग़ांव में हाऊसिंग बोर्ड के फ्लैट खरीदे हुए हैं, जिनका कब्जा लेने के लिए उसने सरस्वती विहार स्थित एस्टेट मैनेजर रघुवीर सिंह से संपर्क किया था। सभी कागजात भी ऑफिस में जमा करा दिए थे, लेकिन एस्टेट मैनेजर किसी न किसी बहाने से उसे तंग करता रहा। 4 माह कार्यालय के चक्कर काटने के बाद उसे पजेशन मिल पाया। एस्टेट मैनेजर ने उससे 5 हजार रुपए रिश्वत की मांग की कि यह धनराशि उसे पंचकूला स्थित बोर्ड के ऑफिस में देनी है।
शिकायतकर्ता ने राज्य चौकसी ब्यूरो से गुहार लगाई थी कि वह रिश्वत देना नहीं चाहता। जिस पर चौकसी ब्यूरो ने छापामार टीम का गठन कर उपायुक्त ने सोहना के तहसीलदार सुशील शर्मा को ड्यूटी मजिस्टे्रट के रुप में नियुक्त किया। छापामार टीम ने शिकायतकर्ता को 2-2 हजार रुपए के 2 नोट व 100-100 रुपए के 10 नोट एस्टेट मैनेजर को देने के लिए दिए। हाऊसिंग बोर्ड के कार्यालय में जाकर शिकायतकर्ता ने एस्टेट मैनेजर को 5 हजार रुपए रिश्वत के दिए तो टीम ने उसे रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया था। मामला अदालत में चला। राज्य चौकसी ब्यूरो ने अदालत में जो सबूत व गवाह पेश किए, उनसे आरोपी पर लगे आरोप सिद्ध होना पाते हुए उसे दोषी करार देते हुए हिरासत
में लेकर जेल भेज दिया है। अदालत दोषी की सजा पर आगामी 30 जुलाई को अपना फैसला सुनाएगी।