हिंसक भीड़ का किसी दल विशेष से सम्बन्ध नहीं : सांप्रदायिक तनाव में कमी आने का दावा

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नयी दिल्ली :  सरकार ने भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) का संबंध किसी दल विशेष नहीं होने का दावा करते हुये स्पष्ट किया है कि देश में मॉब लिंचिंग का एक समान स्वरूप नहीं है। विभिन्न राज्यों में अलग अलग कारणों से ऐसी घटनायें दर्ज की गयी हैं। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में देश में सांप्रदायिक तनाव में कमी आने का दावा किया है।

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में बताया, ‘‘प्राप्त तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि देश में मॉब लिंचिंग का एक समान स्वरूप नहीं है। विभिन्न राज्यों में अलग अलग कारणों से इस तरह की घटनायें हुयी हैं।’’ रेड्डी ने कहा कि सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही देश को मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं से बचने के बारे में लोगों से अपील कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और केरल सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के शासन वाले राज्यों में अलग अलग समय पर इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनायें हो चुकी हैं।

रेड्डी ने कहा, ‘‘इससे किसी दल विशेष का कोई संबंध नहीं है। अलग अलग जगह विभिन्न समय पर मॉब लिंचिंग हुयी है। हमारी सरकार का मानना है कि किसी भी स्थान पर किसी भी समय मॉब लिंचिंग नहीं होनी चाहिये और इन घटनाओं को रोकने के लिये कानून के मुताबिके कार्रवायी हो, इसके लिये राज्य सरकारों को परामर्श जारी किया जाता है।’’

 

केन्द्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में देश में सांप्रदायिक तनाव में कमी आने का दावा किया है।

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में खुफिया ब्यूरो (आईबी) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि 2013 में सांप्रदायिक घटनाओं के 823 मामले दर्ज किये गये, जबकि 2018 में इनकी संख्या घटकर 708 रह गयी। रेड्डी ने कहा, ‘‘यह वास्तविकता है कि देश में सांप्रदायिक घटनाओं में कमी आयी है। सांप्रदायिक हिंसा या किसी अन्य प्रकार की हिंसा के प्रति हमारी सरकार का इरादा ‘जीरो टॉलरेंस (कतई बर्दाश्त नहीं करने)’ की नीति का पालन करने का है।’’

सांप्रदायिक हिंसा के मामलों का रिकॉर्ड दर्ज करने और इन आंकड़ों के स्रोत से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में रेड्डी ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 2014 से देश में सांप्रदायिक घटनाओं का रिकार्ड दर्ज करना शुरु किया है। हालांकि इसे 2017 में बंद करना पड़ा क्योंकि पहले (आईबी) इन मामलों के जो रिकार्ड दर्ज करती थी उसमें संबद्ध राज्य सरकारों द्वारा दर्ज प्राथमिकता से भिन्नता पायी गयी। इस पर राज्य सरकारों द्वारा रिकार्ड में भिन्नता पर आपत्ति दर्ज करने के कारण एनसीआरबी ने 2017 में इसका रिकार्ड दर्ज करना बंद कर दिया।

सांप्रदायिक हिंसा रोकने के लिये अलग से कानून बनाने के सवाल पर उन्होंने मौजूदा कानून को पर्याप्त बताते हुये कहा कि सांप्रदायिक तनाव और हिंसा से निपटने के लिये नया कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं है। केन्द्र सरकार समय समय पर राज्य सरकारों को इस बारे में खुफिया जानकारियां साझा करने के साथ साथ परामर्श भी जारी करती रहती है।

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