संस्कृत विवि में पहली बार कार्यक्रम आयोजित
दरभंगा : संस्कृत विवि की कुलपति डा0 नीलिमा सिन्हा ने अक्षय नवमीं पर आयोजित कार्यक्रम के मौके पर कहा कि वैसे तो पूरे कार्तिक माह का एक अलग ही धार्मिक महत्व है लेकिन शुक्ल पक्ष की नवमीं का उसमें विशेष स्थान है। यह नवमीं सांस्कृतिक अवधारणाओं को काफी मजबूती देती है और अपने धार्मिक मूल्यों को आगे भी बढ़ाती है। साथ ही भाई चारे का खुला सन्देश भी देती है।
वर्ष भर स्वस्थ रहेंगे
अक्षय नवमी के दिन संध्या काल में आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर लोगों को खाना खिलाने से बहुत ही पुण्य मिलता है. ऐसी मान्यता है कि भोजन करते समय थाली में आंवले का पत्ता गिरे तो बहुत ही शुभ माना जाता है साथ ही यह संकेत होता है कि आप वर्ष भर स्वस्थ रहेंगे.
उन्होंने कहा कि अक्षय नवमी के विषय में यह भी कहा जाता है कि इस दिन ही त्रेता युग का आरम्भ हुआ था। इसे कहीं कहीं कुष्मांडी नवमी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि देवी कुष्माण्डा इसी दिन प्रकट हुई थीं.
विष्णु एवं शिव का निवास
उन्होंने बताया कि अक्षय नवमी के अवसर पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है. कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु एवं शिव जी यहां आकर निवास करते हैं. आज के दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नदान करने का बहुत महत्व होता है. पुराणों में वर्णन आया है कि भोजन करते वक्त थाली में आंवले का पत्ता गिर जाए तो आपके भविष्य के लिए यह मंगलसूचना का संकेत है. मान्यता के अनुसार आने वाला साल सेहत के लिए तंदरूस्ती भरा होगा। उनके अनुसार आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने की प्रथा का आरंभ देवी लक्ष्मी ने किया था.
प्रमुख हस्तियां भी शामिल
उल्लेखनीय है कि संस्कृत विवि में अक्षय नवमीं पर इस प्रकार का आयोजन पहली बार किया गया है. इस विशेष कार्यक्रम में मुख्य रूप से नगर विधायक संजय सरावगी, मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत झा, सिंडिकेट सदस्य डा0 विनय कुमार चौधरी, कांग्रेस के बरिष्ठ नेता व अधिवक्ता डा0 पवन चौधरी, डा0 श्रीपति त्रिपाठी समेत विवि के कई पदाधिकारी मौजूद थे। वहीं इस ऐतिहासिक मौके पर धात्री यानी आंवला पेड़ के नीचे पूजा अर्चना के बाद विशेष विधि विधान से तैयार भोजन को भी ग्रहण किया गया। इस कार्यक्रम से विवि कर्मियों में खुशी है।