अहमदाबाद: गुजरात की जामनगर सेशन कोर्ट ने लगभग 30 वर्ष पूर्व हिरासत में हुई मौत के एक मामले में बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला वर्ष 1990 का है जिसमें आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया था. इस घटना के दौरान संजीव भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे. उनके कार्यकाल में ही एक व्यक्ति की हिरासत में मौत हुई थी। संजीव भट्ट ने वहां हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान सौ से अधिक लोगों को हिरासत में लिया था जिनमें एक व्यक्ति की की अस्पताल में मौत हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि गत 12 जून को सुप्रीम कोर्ट ने भी हिरासत में मौत के मामले में 11 अतिरिक्त गवाहों का परीक्षण करने की मांग करने वाली संजीव भट की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था। भट ने शीर्ष अदालत में कहा था कि मामले में निष्पक्ष फैसले के लिए इन 11 गवाहों का परीक्षण जरूरी है।
भट ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते दी थी. गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने हिरासत में मौत के मुकदमे की सुनवाई के दौरान पूछताछ के लिये अतिरिक्त गवाहों को बुलाने का संजीव भट का की मांग को ठुकरा दिया था।
भट की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद पेश हुए थे. उन्होंने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि मामले में निष्पक्ष सुनवाई के लिए इन गवाहों का परीक्षण बहुत जरूरी है। लेकिन शीर्ष अदालत ने इसे नहीं माना.