परिवारवाद से तौबा करने की कोशिश में भाजपा
सुभाष चौधरी
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस बात के संकेत मंगलवार को उन्होंने भाजपा के संगठन महासचिव राम लाल से हुई मुलाकात में दिया। मीडिया में आई खबर में इस बात का दावा किया गया है कि वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को भी पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना लिया है। खबर है कि आडवाणी से उनके बेटे व बेटी को टिकट देने का प्रस्ताव दिया गया लेकिन उन्होंने परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति में उतारने से मना कर दिया जबकि जोशी को लेकर अभी दुविधा बरकरार है। ऐसा लगता है कि भाजपा ने इस बार टिकट वितरण के मामले में परिवारवाद को पूरी तरह दरकिनार करने के मन बना लिया है।
मंगलवार को हुई भाजपा के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, संगठन महासचिव राम लाल सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बैठक लंबी चली और यूपी, बिहार, छत्तीसगढ़ , गुजरात एवं मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों की उन सीटों पर चर्चा हुई जिस पर बड़े नेता चुनाव लड़ते हैं और इस बार भी उन्हें ही उतारने की संभावना है।
चर्चा यह है कि लाल कृष्ण आडवाणी ने स्वयं ही चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। अब वे लगभग 91 वर्ष के हैं और उम्र के इस पड़ाव पर चुनावी राजनीति से अलग होना चाहते हैं। गांधीनगर सीट लर अब अमित शाह सहित कई नामों की चर्चा हो रही है लेकिन गांधी नगर लोकसभा सीट के सभी सात भाजपा विधायकों ने एक स्वर से इस सीट से किसी राष्ट्रीय नेता को ही टिकट देने की मांग की है। बताया जाता है कि अमित शाह ने यह साफ कर दिया है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन किसे टिकट दिया जाएगा यह स्पष्ट नहीं है।
उधर बिहार से शत्रुघन सिन्हा का पत्ता साफ है। उन्हें पटना साहिब से टिकट नहीं देने और उनकी जगह रविशंकर प्रसाद को उतारने की संभावना प्रबल है जबकि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को नवादा की बजाय बेगूसराय से टिकट देने की बात हो रही है। यह सीट लोजपा के खाते में चली गयी है। उनके बारे में बताया जा रहा है कि वे नाराज हैं। भागलपुर से पिछली बार चुनाव लड़ने वाले शाहनवाज हुसैन भी इस बार यहां से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे क्योंकि यह सीट जद यू के खाते में चली गईं है। हालाकिं चर्चा यह है कि शाहनवाज को इस बार अररिया सीट से उतारा जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा अपने सभी वर्तमान सांसदों को बदलना चाहती है। पार्टी के प्रभारी डॉ जैन ने खुलासा किया है कि यहां सभी 10 सीटों पर नए प्रत्याशियों को उतारा जाएगा। बताया जाता है कि यहाँ भाजपा सांसदों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। सांसद निधि कोष हो या फिर आदर्श ग्राम योजना सहित सभी केंद्रीय योजनाओं को लागू करने में यह राज्य सबसे पीछे रहा है। पिछले दिनों विधानसभा के चुनाव में यहाँ भजपा बुरी तरह हारी। इसलिए पार्टी यहां से सभी सीटों पर नए उम्मीदवार उतारना चाहती। केवल पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह को राजनानाद गांव से टिकट दिया जा सकता जबकि उनके बेटे को टिकट देने से मना कर दिया गया है।
उत्तराखंड से भुवनचंद खंडूरी को भी टिकट नहीं देने की बात सामने आ रही है क्योंकि उनके बेटे कांग्रेस में चले गए हैं। यहां से भगत सिंह कोशियारी भी अब टिकट की लाइन से बहर्वकर दिये गए हैं ऐसी चर्चा जोरों पर है।
उत्तरप्रदेश से मुरली मनोहर जोशी सहित डेढ़ दर्जन वर्तमान सांसदों के टिकट काटे जाने की चर्चा है। इनमें कई सांसद पहले ही पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं। यहां पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह सरीखे कुछ नाम ऐसे हैं जो पहले से ही तय हैं जिन्हें पूर्ववत रखा जाएगा।
पार्टी मुरली मनोहर जोशी का टिकट कानपुर से काट सकती है। इनकी जगह भाजपा उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना को टिकट दे सकती है। कहा जा रहा है कि राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को एटा से टिकट दिया जा सकता है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर से वाराणसी से चुनाव लड़ सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपने 24 प्रत्याशियों की लिस्ट को अंतिम रूप दे दिया है। लिस्ट के तहत बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान गृहमंत्री राजनाथ सिंह किस्मत वाले हैं। वे इस बार भी लखनऊ से ही ताल ठोकेंगे। वहीं, स्मृति ईरानी इस बार भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से मैदान में उतड़ेंगी। इसी तरह केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा नोएडा, फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी मथुरा, रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ग़ाज़ीपुर और वीरेंदर सिंह भदोही से चुनावी दंगल में कूद सकते हैं।
इस लिस्ट के अनुसार रमाशंकर कठेरिया को आगरा, राघव लखनपाल को सहारनपुर, सत्यपाल सिंह को बागपत और कीर्ति वर्धन सिंह को गोंडा से टिकट दिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, कंवर सिंह तंवर अमरोहा, महेंद्र नाथ पांडे चंदौली, संतोष गंगवार बरैली, विनोद सोनकर कौशाम्बी और कृष्ण राज शाहजहांपुर से चुनाव लड़ सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को लेकर संशय बरकरार है।।उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे पीलीभीत से अपने बेटे वरुण गांधी को जबकि स्वयं हरियाणा करनाल से चुनाव लड़ने की जुगत में हैं। यहाँ से वर्तमान सांसद अश्वनी चोपड़ा अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका सीएम मनखर लाल से 36 का आंकड़ा रहा और पार्टी को नजर में भी उनकी उपयोगिता शून्य रही। पार्टी ने अभी मेनका गांधी को हरि झंडी नहीं दी है। दूसरी तरफ करनाल से कांग्रेस पार्टी से भाजपा में आने वाले पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को चुनाव लड़ाने की बात की जा रही है। शर्मा यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं। पहले कांग्रेस में थे फिर बसपा में चले गए थे और अब भाजपा में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें हरियाणा के कैबिनेट मंत्री रामबिलास शर्मा ने भाजपा जॉइन करवाया।
हरियाणा से भी भिवानी, करनाल, कुरुक्षेत्र , हिसार जैसे क्षेत्र से भाजपा अपने उम्मीदवारों को बदल सकती है। खबर है कि सोनीपत से केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह अपने बेटे को टिकट दिलवाना चाहते हैं। वे इसके बदले अपनी राज्यसभा सीट भी छोड़ने को तैयार हैं जबकि भिवानी से पूर्व सांसद सुधा यादव भी दावेदारी ठोंक रहीं हैं जिनका विरोध केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत कर रहे हैं। राव साहब वहां से वर्तमान सांसद धर्मबीर को ही उतारने के पक्ष में हैं।
मध्यप्रदेश से पूर्व सीएम बाबूलाल गौड़ भी अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं जबकि कर्नाटक से वी एस येदुरप्पा स्वयं चुनाव लड़ना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि गौड़ के बेटे को माना कर दिया गया है जबकि येदुरप्पा को कर्नाटक में राजनीति करने की नसीहत दी गयी है। यहां से उनके बेटे सांसद हैं इसलिए उन्हें ही प्रत्याशी बनाया जायेगा।