नई दिल्ली : गुरुग्राम पुलिस एक मामले में एक शख्स की तलाश में राजस्थान पहुंची, तब तक उसे अंदाजा नहीं था कि वो जिस शख्स की तलाश में वो राजस्थान के अलवर जिले पहुंची है वो कितना बड़ा शातिर है और कितने बड़े गैंग का सदस्य है. पुलिस ने अलवर पहुंचकर जलालुद्दीन नाम के इस शख्स को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ शुरू की. इस दौरान पुलिस को ऐसी जानकारी मिली कि वो दंग रह गई।
पूछताछ के दौरान आरोपी जलालुद्दीन ने पुलिस को बताया कि उसने पिछले एक साल में दो हजार से ज्यादा फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाए हैं जिन्हें कैब ड्राइवर उससे खरीदा करते थे। दरअसल इस पूरे केस की शुरुआत कुछ दिनों पहले गुरुग्राम की पुलिस चौकी से शुरू हुई, जहां पर पुलिस ने एक कैब चालक के ड्राइविंग लाइसेंस को फर्जी पाया था. इसके बाद पुलिस ने नाके पर चेकिंग बढ़ा दी जिसके बाद कुछ ही समय में ऐसे कई ड्राइवर पकड़े गए जो नकली लाइसेंस के साथ गाड़ी चला रहे थे. इसके बाद पुलिस ने केस की जांच के लिए एक टीम बना दी. जांच के दौरान टीम को जलालुद्दीन के बारे में पता चला.
इसके बाद पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस के जरिए जलालुद्दीन को अलवर से दबोच लिया। पूछताछ में जलालुद्दीन ने पुलिस को बताया कि उसने बेहद कम समय में करीब 2 हजार नकली लाइसेंस बना कर कैब चालकों को बेचे. उनमें से कई तो रेडियो टैक्सी चलाते हैं। पुलिस के मुताबिक ड्राइवर की नौकरी की तलाश में जो लोग गुरुग्राम पहुंचते थे पहले तो ये उन्हें किसी टैक्सी सर्विस में नौकरी दिलवाते, और फिर किसी के पास ड्राईविंग लाईसेंस नहीं होता तो उसे लाईसेंस के लिए अकरम नाम के एक बदमाश से मिलवा देते.
इसके बाद अकरम और जलालुद्दीन बिल्कुल असली सा दिखने वाला नकली ड्राईविंग बनाकर ड्राईवरों को दे देते थे। हकीकत तो ये है कि कई ड्राईवरों को तो ये पता तक नहीं है कि उनका लाइसेंस नकली है. नकली लाइसेंस के बदले ये दो हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक वसूलते थे. पुलिस ने जलालुद्दीन से पूछताछ के बाद अकरम को भी गिरफ्तार कर लिया लेकिन अभी भी इस गैंग के कई बदमाश फरार हैं।