साइरस मिस्त्री व रतन टाटा में वाकयुद्ध चरम पर

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रतन टाटा ने कहा : मिस्त्री को हटाना ‘बहुत ही जरूरी’

नई दिल्‍ली : टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री व कंपनी के मौजूदा नेतृत्व के बीच वाकयुद्ध चरम पर पहुँच गया है. मंगलवार को अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा मैदान में खुद ही कूद पड़े. उन्होंने कहा कि समूह की सफलता के लिए मिस्त्री को हटाना ‘बहुत ही जरूरी’ हो गया था. दूसरी तरफ मिस्त्री ने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से मिलने का समय माँगा था लेकिन सरकार ने इस लड़ाई से दूर रहने का संकेत दिया है.

मिस्त्री ने कहा आक्षेप गलत

मंगलवार को ही हटाये गए चेयरमैन मिस्त्री के कार्यालय से एक बयान जारी किया गया था. इसमें कहा गया था कि यह आक्षेप गलत और शरारत भरा है कि उन्होंने टाटा-डोकोमो मामले में जो कार्रवाई की वह अपनी मर्जी से की और रतन टाटा को उसकी जानकारी नहीं थी.

टाटा ने कर्मचारियों को लाख पत्र 

दूसरी तरफ टाटा समूह ने डोकोमो मामले को न्यायालय के विचाराधीन बताते हुए इस पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. रतन टाटा ने अपने समूह के कर्मचारियों को लिखे एक संदेश में कहा है कि टाटा संस के नेतृत्व में परिवर्तन का फैसला सुविचारित था और निदेशक मंडल के सदस्यों ने पूरी गंभीरता से विचार कर यह फैसला किया था. यह कठिन फैसला सावधानीपूर्वक और सोच-विचार के साथ चर्चा के बाद लिया गया. बयान में यह भी कहा गया कि निदेशक मंडल मानता है कि टाटा समूह की भविष्य की सफलता के लिए यह निर्णय अति आवश्यक था.

 

बागडोर संभालने के निर्णय को उचित बताया

मिस्त्री के बयान के ठीक बाद जारी इस पत्र में रतन टाटा ने फिर से समूह की बागडोर संभालने के अपने निर्णय को उचित बताया और कहा कि उन्होंने यह स्थिरता को बनाए रखने और नेतृत्व की निरंतरता के लिए फिर से अंतरिम चेयरमैन का पद संभाला है.

विश्वस्तरीय नेतृत्वकर्ता प्रदान करेंगे

उन्होंने कर्मचारियों से वादा किया है कि वह समूह को एक विश्वस्तरीय नेतृत्वकर्ता प्रदान करेंगे. मिस्त्री को पिछले महीने के आखिर में टाटा संस के चेयरमैन पद से अचानक से हटाकर रतन टाटा को चार माह के लिए अंतरिम चेयरमैन बनाया गया है. नए चेयरमैन की तलाश के लिए पांच सदस्यों की एक समिति बनाई गई है, जिसमें रतन टाटा स्वयं शामिल हैं.

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