नयी दिल्ली। जमीन और मकान सहित अन्य अचल संपत्ति की खरीद फरोख्त तथा पंजीकरण में फर्जीवाड़े को रोकने के लिये केन्द्र सरकार संपत्ति की मिल्कियत के पुख्ता निर्धारण से संबंधित कानून बनायेगी। आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय ने एक ही संपत्ति के एक से अधिक गैरकानूनी पंजीकरण को रोकने और संपत्ति की फर्जी बिक्री की समस्या से निपटने के लिये भूमि स्वामित्व (लेंड टाइटिल) अधिनियम बनाने की प्रक्रिया शुरु की है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संपत्ति संबंधी फर्जीवाड़े को रोकने के लिये जमीन की मिल्कियत के राष्ट्रीय स्तर पर जुटाये गये आंकड़ों को समेकित कर इस समस्या से निपटा जा सकता है।
एक अध्ययन के मुताबिक, अदालतों में लंबित संपत्ति संबंधी मामलों में लगभग 80 फीसदी मामले स्वामित्व से ही जुड़े होते हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में आवास एवं शहरी विकास मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि दिल्ली सहित देश के अन्य इलाकों में इस समस्या से निपटने के लिये यह कानून बनाया जायेगा। इसका मकसद देश में प्रत्येक भूखंड का एक विशिष्ट पंजीकरण नंबर निर्धारित कर इन आंकड़ों का डिजिटलीकरण करना है। सरकार द्वारा हालांकि 2008 में शुरु किये गये राष्ट्रीय भू अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत देश भर में संपत्ति के पंजीकरण संबंधी आंकड़ों का डिजिटल रूप में एकत्रीकरण किया जा रहा है। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस कानून में संपत्ति पंजीकरण प्राधिकरण गठित करने का प्रावधान होगा। अधिकारी ने बताया कि भूमि स्वामित्व अधिनियम का प्रारूप मंत्रालय द्वारा तय कर इसे संसद से पारित कराने की प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जा रहा है। केन्द्रीय कानून बनने के बाद अन्य राज्य इसे अपनी जरूरत के मुताबिक लागू कर सकेंगे।
दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में खेती की जमीन पर आवास एवं विकास कार्यों की जरूरतों की पूर्ति के लिये प्रस्तावित लैंड पूलिंग पॉलिसी भी इस कानून के दायरे में होगी। अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत जमीन के पंजीकरण की प्रक्रिया में एक ही भूखंड का अलग अलग व्यक्तियों द्वारा पंजीकरण कराने के आधार पर सामने आयी इस समस्या के समाधान के लिये मंत्रालय ने भूमि स्वामित्व कानून की जरूरत महसूस करते हुये यह पहल तेज की है।
उन्होंने बताया कि इस कानून के माध्यम से भूस्वामित्व के पंजीकरण की प्रक्रिया को पुख्ता और सरल बनाया जायेगा। उल्लेखनीय है कि मौजूद व्यवस्था में भूमि एंव संपत्ति के पंजीकरण की व्यवस्था राज्य सरकारों के मातहत है। इस व्यवस्था के तहत संपत्ति की खरीद महज विक्रय विलेख के आधार पर हो जाती है। बिक्री के बाद संपत्ति मालिक नाम अंतरण का दावा कर संपत्ति का पंजीकरण अपने नाम करा सकता है। इस प्रक्रिया में विक्रय वाली संपत्ति के स्वामी की पुख्ता पहचान का फिलहाल कोई तंत्र नहीं होने के कारण पंजीकरण में फर्जीवाड़े की समस्या सभी राज्यों में बढ़ रही है।