नई दिल्ली । अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के बैनर तले देशभर के लगभग दो सौ किसान संगठन आगामी 29 और 30 नवंबर को किसानों को कृषि कर्ज से मुक्ति दिलाने संबंधी कानून पारित कराने की मांग को लेकर दिल्ली में ‘संसद मार्च’ करेंगे।
किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने सोमवार को बताया कि 29 नवंबर को किसान संगठनों के प्रतिनिधि दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्र होंगे। इसके अगले दिन किसान संसद मार्च कर कृषि क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र आहूत करने की मांग करेंगे।
पूर्व सांसद मोल्लाह ने बताया कि किसान संगठनों की मुख्य मांग कृषि क्षेत्र को विभिन्न समस्याओं से उबारने के लिए संसद से किसान मुक्ति विधेयक पारित कराना है। इसके तहत हाल ही में किसान संगठनों द्वारा तैयार किए गए दो विधेयकों के प्रारूप को कानून के रूप में पारित कराना है। इनमें पहला विधेयक किसानों की कर्ज से मुक्ति से संबंधित है और दूसरा कृषि उत्पादों का किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मुहैया कराने का अधिकार सुनिश्चित करने से संबंधित है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को कानून का दर्जा देने पर ही किसानों को कृषि ऋण से निजात दिलाया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस समाज को बांटने वाले मुद्दों को बल देकर वास्तविक समस्याओं से लोगों का ध्यान हटाना चाहते हैं। मोल्लाह ने मोदी सरकार पर किसानों के किए सभी चुनाव पूर्व वादे पूरे करने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को किसान मुक्ति विधेयक पारित कराना चाहिए। इस दौरान भाकपा नेता और किसान सभा के सचिव अतुल कुमार अनजान ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है। इसके विरोध में किसानों का 30 नवंबर का ‘संसद मार्च’ सरकार पर माकूल दबाव बनाने वाला साबित होगा।