देश में रोजगार का अधिकार कानून बने : शील मधुर

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पूर्व डीजीपी ने केंद्र व राज्य में रोजगार आयोग गठित करने की भी मांग की

केंद्र व सभी राज्य सरकारों को अपने अधीन स्वीकृत पदों की समीक्षा करने का सुझाव दिया

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देश में रोजगार का अधिकार कानून बने : शील मधुर 2

नई दिल्ली । देश में प्रत्येक नागरिक को रोजगार का अधिकार देने के लिए रोजगार का अधिकार कानून बनाया जाना चाहिए। इस प्रकार के कानून को लागू करने के लिए रोजगार कमीशन का गठन राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर करने की जरूरत है। अगर हर हाथ को रोजगार मिलेगा तभी देश आने वाले समय में विश्वशक्ति बन सकता है।

यह विचार हरियाणा के पूर्व डी जी पी शील मधुर ने व्यक्त किया। श्री मधुर गुरुवार को नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित एक प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज देश में रोजगार की संभावना पैदा करने जबकि बेरोजगारी को पूर्णतः दूर करने की जरूरत है। जब तक देश से बेरोजगारी दूर नहीं होगी तब तक हम विश्वशक्ति नहीं बन सकते। उन्होंने कहा वे केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में’ हर एक को रोजगार अधिकार’ बिल लाये। इस विषय पर देश में गंभीरता से बहस होनी चाहिए ।

श्री मधुर ने स्पष्ट किया कि वे जल्दी ही देश की सभी पार्टियों के सांसदों व विधायको से मिल कर इस संबंध में एक प्रारूप रखेंगे और विचार विमर्श करेंगे। उनसे इस प्रकार का बिल लाने और उसका दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर समर्थन करने का निवेदन करेंगे। उनका कहना था कि यह आंदोलन से नहीं बल्कि रचनात्मक कोशिश से संभव हो सकता है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि देश के युवाओं की क्षमता के बेहतर उपयोग के लिये इस कानून के लिए आगे आएं।

उन्होंने रोजगार आयोग के गठन की मांग करते हुए कहा कि रोजगार से संबंधित तमाम पहलुओं को जमीनी स्तर पर लागू करवाना उनकी जिम्मेदारी होगी । साथ ही राज्य रोजगार आयोग के गठन का भी सुझाव दिया।

एक आई पी एस अधिकारी के रुप् में अपने लंबे प्रशासनिक अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत की स्थिति रोजगार की संभावना की दृष्टि से बेहद चिंताजनक है। देश के युवा मेहनत करना चाहते हैं लेकिन उनके लिए काम नहीं है जबकि उन्हें अपेक्षित तौर पर उनके रुझान के अनुसार ट्रेनिंग देने की व्यवस्था नहीं है। इस दिशा में भी सोचने की जरूरत है। यह केवल सरकार नहीं बल्कि समाज का भी दायित्व है। रोजगार की नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के लोगों को मिल कर काम करना होगा।

उनसे जब पूछा गया कि भारत में जहाँ जनसंख्या और रोजगार की संभावनाओं के बीच बड़ा गैप है उसे पाटना संभव है? तो उनका कहना था कि इसके लिये इच्छाशक्ति की जरूरत है जबकि सरकारी हो या निजी क्षेत्र दोनों में बड़े पैमाने पर युवाओं को तैनात करने की संभावना है। इसका आकलन कर वेकैंसी को भरने से बड़ी संख्या में नियुक्तियां हो सकती हैं। अकेले पुलिस महकमे को और समृद्ध बनाने के लिए हरियाणा में लगभग एक लाख पुलिस कर्मी जबकि यूपी में कम से कम 3 लाख पुलिस कर्मियों की जरूरत है। इसी तरह अलग अलग क्षेत्रों में विश्लेषण करने पड़ेंगे। इससे कर्मियों की क्षमता भी बढ़ेगी और दक्षता भी। उन्होंने मांग की कि केंद्र व सभी राज्य सरकारों को अपने अधीन स्वीकृत पदों की समीक्षा करनी चाहिये क्योंकि आज की जरूरत के अनुसार अब सभी विभागों में नए पद सृजित करने की जरूरत है। एक सवाल पर उनका कहना था कि आज देश में 720 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है जबकि सुरक्षा के इंतजाम को और पुख्ता करने के लिए इन अनुपात कल ठीक करने पड़ेंगे और ड्यूटी का अंतराल निर्धारित सीमा में होने से काम का माहौल भी बनेगा जबकि अधिक लोगों को रोजगार मिलेंगे। उनके जीवनस्तर में सुधार होगा।

पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने बताया कि रोजगार के अधिकार संबंधी बिल का एक प्रारूप उन्होंने कुछ विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श कर तैयार कराया है। जरूरत पड़ने पर इसे सांसदों के समक्ष विचारार्थ रखा जाएगा।

वर्तमान में आउटसोर्सिंग की नीति की खामियों को उजागर करते हुए उनका कहना था कि इसके तहत बहुत कम पारिश्रमिक दिया जाता जिससे उनकी कार्यकुशलता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। लंबे अर्से तक काम करने वाले ऐसे कर्मियों को नियमित करने का भी प्रावधान होना चाहिये।

पूर्व डीजीपी ने बताया कि युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए उन्होंने एक वेवसाइट www.makeindiastrong.com हाल ही में लांच किया है। इसमें नौकरी चाहने वाले हर उम्र के लोग अपना बायोडाटा रजिस्टर कर सकते हैं या [email protected] ईमेल द्वारा भी अपना बायोडाटा भेज सकते हैं। उनकी योग्यता के अनुसार उनका बायोडाटा संबंधित कंपनियों को भेज दिया जाता है। उनके अनुसार यह सुविधा पूर्णतः निःशुल्क है।

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