लखनऊ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज लखनऊ में चौथे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान हमेशा भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। सदियों पूर्व हमारे पूर्वज गणित के रहस्यों और शून्य की अवधारणा की खोज कर रहे थे। वे विज्ञान की सीखों का इस्तेमाल खेतों से लेकर औषधि और धातुकर्म के क्षेत्र में कर रहे थे। हरित क्रांति से लेकर अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ ही एक उन्नत जैव-प्रौद्योगिकी और औषधि उद्योग के निर्माण तक विज्ञान के बल पर स्वतंत्रता के पश्चात देश का आधुनिकीकरण हो रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय विकास के एजेंडे में विज्ञान और वैज्ञानिक खोज की भूमिका दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। वर्ष 2017 में भारतीय स्टार्टअप कंपनियों द्वारा पेटेंट आवेदनों की संख्या बढ़कर 909 हो गई। वर्ष 2016 में इसकी संख्या केवल 61 थी, इस प्रकार इसमें 15 गुणा वृद्धि हुई। वर्ष 2018 में अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में भारत का निवेश बढ़कर 83.27 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगा। सरकार ने प्रधानमंत्री अनुसंधान फेलोशिप योजना की घोषणा की है।
राष्ट्रपति ने उच्च शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी में कमी के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद में 3,446 कार्यरत वैज्ञानिकों में महिलाओं की संख्या सिर्फ 632 यानी 18.3 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि एक ऐसे सप्ताह का यह आंकड़ा है, जिसमें महिला वैज्ञानिकों को भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। यह हमारी बेटियों की वैज्ञानिक क्षमता का परिचायक है, जिसका हम पर्याप्त लाभ नहीं लेते। यह सामाजिक और प्रणाली से जुड़ी चुनौती दोनों है, किंतु इस पर विजय पाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।