सूरज पाल अम्मू का भाजपा ने किया इस्तीफा नामंजूर

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पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने किया अम्मू को प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त 

पार्टी की मुख्य धारा में हुई अम्मू की वापसी, हरियाणा भाजपा के लिए अहम् घटना

फिल्म पद्मावती के विरोध में दिया था पार्टी से इस्तीफा 

आन्दोलन ने संघर्षशील , मुखर युवा राजपूत नेता के तौर पर स्थापित किया 

पूरे देश में भ्रमण कर राजपूत समाज के युवा चेहरों में मजबूत नेटवर्क स्थापित  

 

सुभाष चौधरी /प्रधान सम्पादक

गुरुग्राम : भारतीय जनता पार्टी के नेता सूरज पाल अम्मू का इस्तीफा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने नामंजूर कर दिया है. श्री बराला ने उन्हें पूर्व की भांति हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता के रूप में काम करने को कहा है. कुछ माह के अंतराल के बाद आई इस राजनीतिक खबर ने उनके समर्थकों की बांछें खिला दी हैं. उल्लेखनीय है कि श्री अम्मू ने भंसाली निर्मित पद्मावती फिल्म में दिखाए गए कंटेंट को लेकर राजपूत समाज के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. पार्टी की मुख्य धारा में हुई उनकी वापसी हरियाणा भाजपा के लिए अहम् घटना है.

राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि फिलहाल पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व किसी भी प्रकार की चूक नहीं करना चाहते हैं. पार्टी के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीस गढ़ राज्यों में विधान सभा चुनाव जीतना बेहद अहम् है. इन राज्यों में राजपूत समाज के मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. खास कर हरियाणा से लगते राज्य राजस्थान में पद्मावती फिल्म में आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर बड़ा आन्दोलन छिड़ गया था. उक्त आन्दोलन को हरियाणा के राजपूत समाज के बहुतायत लोगों ने भी अपना समर्थन दिया था. चूकि भाजपा के तत्कालीन प्रदेश मिडिया संपर्क प्रमुख सूरज पाल अम्मू राजपूत समाज से आते हैं और इस समाज का एक प्रमुख चेहरा होने के नाते इन्होने भी उक्त आन्दोलन में समाज का बढ़ चढ़ कर साथ ही नहीं दिया बल्कि एक समय ऐसा भी आया कि पद्मावती फिल्म के विरोध का नेतृत्व भी करने लगे  . स्पष्टतः, सूरज पाल अम्मू उक्त आन्दोलन में अपनी सक्रियता के कारन हरियाणा ही नहीं राजस्थान के साथ साथ देश के अन्य बड़े राज्यों में भी रहने वाले राजपूत समाज से सीधे सम्पर्क में आ गये और समाज में अपनी मजबूत पैठ बनाने में सफल रहे.

भाजपा नेतृत्व लोकसभा चुनाव 2019 की दृष्टि से हर उस व्यक्ति पर नजर रखे हुए है जिनका खुद का राजनीतिक या सामाजिक आधार है. इसी दृष्टिकोण से अलग अलग राज्यों में पार्टी ऐसे सभी सामाजिक रूप से मजबूत नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने नेटवर्क में लाने की कोशिश में जुट गयी है. पार्टी नेतृत्व को यह अच्छी तरह समझ आ गया है कि श्री अम्मू जिन्होंने पिछले कुछ माह में पूरे देश का भ्रमण किया और राजपूत समाज के युवा चेहरों से सीधा संवाद स्थापित करने में कामयाबी हासिल की राजनीतिक दृष्टि से फलदायी साबित हो सकते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा को अगले एक साल तक चुनावी समर में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों को पराजित करने के लिए देश के युवाओं का मजबूत साथ चाहिए और राजपूत समाज से आने वाले अम्मू इस मद में भाजपा के लिए फिट बैठते हैं क्योंकि उनका चेहरा एक संघर्षशील युवा राजपूत नेता के तौर पर स्थापित हो चुका है. आज इस समाज के हजारों युवा इनके सीधे सम्पर्क में हैं और इस बात का अंदाजा भाजपा के सोशल मिडिया विंग को संभालने वाले लोगों को बखूबी हो गया है जिसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय व हरियाणा प्रदेश नेतृत्व को भी गयी है. इनके एक कौल पर हजारों युवा एकत्र हो जाते हैं . यह देखते हुए इन्हें बहुत दिन तक नकारना पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकता था. हरियाणा के सीमांत प्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश की बात करें तो अंदरखाते पार्टी यह मानती है कि उस अन्तराल में यहाँ पद्मावती फिल्म विरोधी उनकी गतिविधियाँ सर्वाधिक हुईं थी जिसमें सूरजपाल अम्मू बेहद सक्रिय रहे थे.

दूसरी तरफ उनकी ओर से फिल्म निर्माताओं और किरदार निभाने वाले फ़िल्मी कलाकारों के विरोध में  सूरज पाल अम्मू के मुखर होने के बाद भाजपा नेताओं की ओर से इनके बयानों से दूरी बनाने की घटना व इनके खिलाफ मामला दर्ज करने की कार्रवाई से भी राजपूत समाज के युवाओं की सहानुभूति इनके साथ हो गयी. हालाँकि तब इसी राज्य व इलाके के कई राजपूत नेताओं ने इस विषय से स्वयं को अलग रखने की रणनीति अपनाई थी लेकिन स्वभाव से विनम्र लेकिन जिद्दी सूरज पाल ने इस आन्दोलन में कूद कर अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर की बना ली. राजपूत समाज का मुखर चेहरा बन चुके अम्मू की घर वापसी से पार्टी के कई नेताओं के पेट में दर्द भी हो रहे हैं लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने सारी स्थितियों का विश्लेषण कर उनके इस्तीफे को नामंजूर करने का फैसला सुना कर राजनीतिक दृष्टि से लाभ का खेल खेला है. संकेत है कि पार्टी इनका सदुपयोग, घोषित हो चुके राजस्थान विधान सभा चुनाव में जम कर करेगी जहाँ चुनाव जीतने के लिए राजपूत समाज के मतदाताओं और ख़ास कर युवाओं के समर्थन की बेसब्र दरकार है.   

वैसे भी कानून की डिग्री लिए हुए अम्मू भाजपा के लिए कोई नए सदस्य नहीं थे क्योंकि इन्होने 10 वर्ष की आयु से ही आर एस एस का दमन थाम लिया था जबकि छात्र जीवन में ये भाजपा की छात्र शाखा के सक्रीय सदस्य भी रहे थे. लगभग 25 वर्षों से भी अधिक समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं और एक बार फिर पार्टी की मुख्य धारा में वापस हो चुके हैं.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला ने इनके इस्तीफे को अस्वीकार करते हुए इन्हें पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी है. इस बात के संकेत आज प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की गुडगाँव में आयोजित प्रेसवार्ता में इनकी सक्रीय मौजूदगी से भी मिले थे लेकिन श्री बराला की ओर से जारी पत्र ने इस रहस्य से पर्दा पूरी तरह उठा दिया.

इस घटनाक्रम पर सूरज पाल अम्मू ने अपनी संक्षिप्त प्रतिक्रिया में कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में हमेशा काम करते रहे हैं और आगे भी पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए सतत प्रयासरत रहेंगे.         

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