नई दिल्ली : जस्टिस रंजन गोगोई ने आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें देश के चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ दिलाई। देश के 46वें चीफ जस्टिस के तौर पर उन्होंने जस्टिस दीपक मिश्रा की जगह ली है, जो 02 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गए ।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर पिछले 6 साल में कई महत्वपूर्ण फैसले दे चुके जस्टिस गोगोई के समक्ष देश के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अब कई संवेदनशील और विवादास्पद मामलों को निपटाने की चुनौती है. इनमें अयोध्या विवाद और असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (NRC) का मुद्दा बेहद अहम है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस गोगोई का कार्यकाल करीब 13 महीने का होगा। वह 17 नंवबर, 2019 तक इस पद पर रहेंगे।
जस्टिस गोगोई पूर्वोत्तर भारत से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने वाले पहले न्यायमूर्ति हैं। उन्होंने ऐसे समय में यह जिम्मेदारी संभाली है, जबकि असम में एनआरसी का मुद्दा सुर्खियों में है। करीब 40 लाख लोगों के नाम एनआरसी ड्राफ्ट में नहीं हैं और ऐसे में इनके सिर पर देश से बाहर भेजे जाने का खतरा मंडरा रहा है। फिलहाल यह मामला शीर्ष अदालत में है।
रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 में असम के डिब्रूगढ़ में हुआ था। उनके पिता केशव चंद्र गोगोई 1982 में असम के 9वें मुख्यमंत्री थे। वह कांग्रेस नेता थे और डिब्रूगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहे।
जस्टिस गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने 12 जनवरी 2018 को एक अप्रत्याशित प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के कामकाज के तरीके और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए गए थे।
उन्होंने संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों में गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबे समय तक वकालत की। उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में ही परमानेंट जज के रूप में नियुक्त किया गया।
9 सितंबर 2010 को जस्टिस गोगोई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया। 12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 23 अप्रैल 2012 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त किया गया।