शहीदों ने शोर्य की परंपरा को जीवित रखा : डॉ सिन्हा

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गुरूग्राम :  लद्दाख के हाट स्प्रिंग नामक स्थान पर तैनात भारत के पुलिस जवानों की एक टुकड़ी पर चीनी आक्रमणकारियों ने वर्ष 1959 में आज ही के दिन अचानक धावा बोल दिया था. अपनी चौकी की रक्षा करते हुए उन वीरों ने अपने जीवन की आहुति देकर शोर्य की परंपरा को जीवित रखा। तभी से उन महान शहीदों की स्मृति में उनका अनुसरण करने के लिए 21 अक्तुबर को पुलिस शहीदी दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है।
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ये बात पुलिस महानिदेशक डा0 बी के सिन्हा ने भौंडसी के पुलिस कम्पलैक्स में शहीद स्मारक पर पुष्प चढ़ाकर शहीद पुलिस श्रद्धांजली देते हुए कही। उन्होंने कहा कि देश आज आतंकवाद और नक्सलवाद से जूझ रहा है। हमारी आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने के तमाम प्रयासों को नस्तेनाबूत कर दिया जायेगा। हमारे संकल्प के सामने अपराधी तत्वों की चालें नाकाम होकर रहेगी। हरियाणा पुलिस बल का प्रत्येक कर्मचारी अपनी कर्तव्यनिष्टा में कुछ भी कसर नहीं छोडेगा।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष देश की आंतरिक सुरक्षा व नागरिकों की जान-माल की रक्षा हेतू भारतीय पुलिस बलों के 471 अधिकारियेां व कर्मचारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। इनमें हरियाणा के रेवाड़ी से भी एक पुलिस सैनिक था। पुलिस जवानों ने श्रद्धांजली देेते समय शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन भी रखा।

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