सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना कार्यक्रम (एमपीलैड) की वार्षिक समीक्षा
सुभाष चौधरी /प्रधान सम्पादक
नई दिल्ली : सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) की 21 वीं अखिल भारतीय समीक्षा बैठक केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वय मंत्री डी वी सदानंद गौडा की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित की गयी। बैठक में हुए विचार विमर्श में योजना के कार्यान्वयन की देखरेख करने वाले राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के नोडल सचिवों ने हिस्सा लिया। चर्चा में मुख्य रूप से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सहयोग से योजना के कार्यान्वयन से संबधित मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया गया ताकि मंत्रालय इसमें सुधार के लिए जरूरी कदम उठा सके। बैठक में जानकारी दी गयी कि एमपीलैड निधि का सर्वाधिक इस्तेमाल करने के मामले में लक्ष्य द्वीप, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा ।
मुख्य मुद्दे:
बैठक के मुख्य एजेंडे में राशि की लंबित किस्तों की स्थिति, सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना निधि के इस्तेमाल में प्रगति, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में सुझाए गए कामों की स्थिति और प्रगति, अतिविशिष्ट लोगों के सुझाव और शिकायतें, एमपीलैड की राज्य स्तर पर समीक्षा,खातों को बंद करना तथा दिशानिर्देशों में हाल में किए गए बदलाव आदि शामिल थे।
यह राय व्यक्त की गयी कि जिला स्तर पर इस योजना के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा ऑडिट प्रमाण पत्र , निधि के इस्तेमाल का प्रमाण पत्र, निधि के इस्तेमाल का अंतरिम प्रमाण पत्र, मासिक प्रगति रिपोर्ट, बैंक की ओर से दिया गया विवरण और मासिक आनलाइन प्रगति रिपोर्ट जैसे आवश्यक इस्तावेजों को मंत्रालय में आवश्यक दस्तावेजों का समय पर जमा नहीं किया जाना है।
प्रदर्शन:
एमपीलैड वेब पोर्टल पर मासिक प्रगति रिपोर्ट तथा कार्यानुसार ब्यौरा अपलोड करने के मामले में हरियाणा, छत्तीसगढ़,मिजोरम, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, गुजरात और ओडिशा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा। प्रतिशत के हिसाब से एमपीलैड निधि का सर्वाधिक इस्तेमाल करने के मामले में लक्ष्य द्वीप, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा ।
एमपीलैड के तहत किए जाने वाले कार्य:
लोकसभा और राज्य सभा के सांसदों द्वारा अप्रैल 2014 से अबतक कुल 4,67,144 कामों की सिफारिश की जिसमें से 4,11,612 कामों को मंजूरी दी गयी और इनमें से 3,84,260 काम 31 जुलाई, 2018 तक पूरे कर दिए गए। एमपीलैड कार्यक्रम के शुरू होने के बाद 31.07.2018 तक इसके लिए कुल 47,922.75 करोड़ रुपय जारी किए जा चुके हैं जिसमें से 45604.94 करोड रूपय इस्तेमाल किए जा चुके हैं जो कि जारी की गयी राशि का करीब 95 प्रतिशत है।
बैठक में अपने संबोधन में श्री गौडा ने कहा कि एमपीलैड योजना 1993 में शुरु की गयी थी। यह अपनी रजत जयंती पूरी कर चुकी है । उन्होंने योजना को सफल बनाने में सहयोग देने वाले सभी लोगों का आभार जताया और जिला अधिकारियों से कहा कि वह जरुरी कार्यो को मंजूरी दें और निधि का तेजी से इस्तेमाल करने के प्रयासों में तेजी लाएं। उन्होंने सांसदों के सुझाव पर देरी से जवाब दिए जाने पर चिंता जताते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों से इसपर तय सीमा के भीतर उचित तरीके से जवाब दिए जाने का अनुरोध। उन्होंने सांसदों से केरल में आयी विनाशकारी बाढ़ के मद्देनजर वहां पुनर्वास कार्यों के लिए मदद देने की अपील की। श्री गौडा ने इसके साथ ही उम्मीद जताई कि बैठक में हुए विचार विमर्ष से भवष्यि में एमपीलैड योजना के कार्यान्वयन में और सुधार लाया जा सकेगा।.
मंत्रालय के सचिव श्री केवी अयप्पन ने इस अवसर पर योजना से जुडे विभिन्न पक्षों की भूमिका और उत्तर दायित्तवों को रेखाकिंत किया।
एमपीलैड के तहत मंत्रालय द्वार शुरु की गयी पहल :
मंत्रालय ने सांसदों को उनकी नीधियों की जानकारी मुहैया कराने के लिए मासिक स्तर पर बुलेटिन निकालने तथा www.mplads.gov.in पर योजना के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने जैसी पहल की है। इसकेसाथ ही जारी दिशानिर्देश के तहत सभी जिला अधिकारियों तथा कार्यक्रम को लागू करने वाली एजेंसियों को योजना के तहत जारी धन राशि पीएफएमस के तहत खर्च करने की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी है।