सवाई माधोपुर में अवैध खनन करने वालों का आतंक चरम पर, लोगों की नींद हराम

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जिला प्रशासन मौन, पुलिस मूक दर्शक
अवैध बजरी वाले सैकड़ों वाहनों से स्कूली बच्चे भी परेशान

सवाई माधोपुर , जीतराम गुर्जर । ग्राम पंचायत मुख्यालय पीपलवाडा में आम बाजार में रोजाना गुजरने वाले अवैध बजरी के सैकड़ो ट्रैक्टर ट्रॉलीयों के बीच स्कूल में जाने वाले बालक बालिकाओं को काफी परेशानी सामना करना पड़ता है। गांव के सभी लोग और वाहन इन ट्रैक्टरों के बीच में फस जाते हैं । जिला के पुलिस अधीक्षक एवं आईजी रेंज भरतपुर ने एक आदेश जारी कर इस गांव में पुलिस सुरक्षा गार्ड जो बजरी रोकने का काम करती थी की नियुक्ति भी की थी। पुलिस द्वारा उनको यहां से हटाकर बांस की पुलिया में लगाया गया जहां से उनकी चेक पोस्ट के सामने से रोजाना 24 घंटे में 15 सौ से अधिक अवैध बजरी के ट्रैक्टर ट्रॉली खुलेआम बिना किसी डर के ₹300 की एंट्री फीस देखकर निर्भीक होकर गुजर रहे हैं।

हालांकि यह जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना कराए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कि जा रही है। सवाई माधोपुर जिला इस मामले में लावारिश हो गया लगता है। इसका कारण या तो प्रशासन बजरी माफियाओं पर कार्रवाई करने से परहेज कर रहा है या फिर उनके राजनीतिक रसूख के आगे जिला प्रशासन पंगु है। इसलिए जिला में अवैध खनन ज़ोरों पर जारी है जबकि अवैध बजरी वाले वाहनों का कहर जनता पर हो रहा है।

इससे भी बुरे हालात गांव बांसड़ा की नदी का है जो ग्राम पंचायत हथडोली में आती है। इस गांव के बीचो-बीच 1500 से अधिक ओवरलोडेड बजरी के ट्रैक्टर निकलते हैं। इन वाहनीं का आतंक इतना अधिक है कि स्कूल जाने वाले बालक बालिकाए कई बार एक 1 घंटे तक कीचड़ युक्त आम रास्ते में फंस जाते हैं। लेकिन लोग करें भी तो क्या आखीर शिकायत सुनने वाला कोई है ही नहीं।

इलाके की हालत यह है कि अगर रात में किसी महिलाओं को प्रसव पीड़ा हो उसको इलाज के लिए बोली जाना हो तो 6 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 5 घंटे से अधिक का समय चाहिए होता है। तब तक भले ही उस महिला की मौत हो जाती है। उसका किसी को डर नहीं है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? यह इलाका भगवान भरोसे है। जिला प्रशासन का किसी को भय नहीं है।

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