प्रारंभिक सहायता और वित्तीय मदद के लिए 550 से ज्यादा स्टार्ट अप का मार्गदर्शन
नई दिल्ली : स्टार्टअप इंडिया द्वारा जून 2018 तक प्रारंभिक सहायता और वित्तीय मदद के लिए 550 से ज्यादा नवउद्यमों (स्टार्टअप्स) को परामर्श सेवा प्रदान की गयी, 220000 लाख का पंजीकरण किया गया और एक लाख से ज्यादा सवालों के जवाब दिए गए।यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सी.आर.चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
उन्होंने बताया कि मई 2018 में घोषित स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के दूसरे चरण के तहत वित्तीय मदद के लिए नीति आयोग द्वारा अटल इन्क्यूबेशन केन्द्रों और स्थापित इन्क्यूबेशन केन्द्रों सहित कुल अस्सी केन्द्रों का चयन किया गया। वर्ष 2017-18 के दौरान पहले चरण में 19 इन्क्यूबेशन केन्द्रों का चयन किया गया था।
इन्क्यूबेशन केन्द्रों की निगरानी और मूल्याकंन के लिए अटल इनोवेशन मिशन के तहत जुलाई 2018 में एक प्लैटफार्म शुरु किया गया था जिसके तहत इन्क्यूबेशन केन्द्रों के प्रदर्शन से जुडे आंकडे इन्क्यूबेटरों द्वारा हर महीने उपलब्ध कराए जाते हैं। प्रति महीने प्राप्त होने वाली ऐसी रिपोर्ट से पर्याप्त मात्रा में आंकडे प्राप्त हो जाने पर उनके आधार पर इन्क्यूबेशन केन्द्रों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाता है।
वर्तमान में अटल नवोन्मेषण मिशन के तहत 360 से ज्यादा स्टार्टअप्स को अटल इनक्यूबेशन केन्द्रों और स्थापित इनक्यूबेशन केन्द्रों में शुरुआती मदद दी गयी है।
उन्होंने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत 31 इनक्यूबेटर स्थापित किए गए हैं। राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा सालाना स्तर पर इन केन्द्रों के प्रदर्शन की समीक्षा की जाती है। स्टार्टअप कार्य योजना के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रौद्योगिकी कारोबार से जुडे 11 इन्क्यूबेटर बनाए हैं। राष्ट्रीय विशेषज्ञ सलाहकार समिति द्वारा नवाचार तथा इन्क्यूबेशन और प्रौद्योगिकी उद्यमिता के आधार पर इन केन्द्रों के प्रदर्शन की सावधिक समीक्षा की जाती है। अटल नवोन्मेषण मिशन के तहत टिंकरिंग प्रयोगशालाएं खोलने के लिए 2441 स्कूलों का चयन किया गया है। ऐसी 1657 प्रयोगशलाओं में से प्रत्येक को 12 लाख रूपए आवंटित किए गए हैं। राष्ट्रीय संस्थानों में नवाचार केन्द्र स्थापित करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 15 स्टार्टअप केन्द्र खोले जाने को मंजूरी दी गयी है।
स्टार्टअप इंडिया से जुड़ी सभी जानकारी और समाधान एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए ही स्टार्टअप इंडिया पोर्टल विकसित किया गया है। इसके साथ ही यूजर्स के लिए स्टार्टअप मोबाइल ऐप भी बनाया गया है। इस वर्ष 15 जुलाई तक लर्निंग और डेवलेपमेंट मॉड्यूल के तहत कुल 11,129 स्टार्टअप्स को मान्यता दी गयी और 215000 से ज्यादा ऐसे स्टार्टअप पंजीकृत किए गए।
उन्होंने बताया कि स्टार्टस-अप के लिए पेटेंट और ट्रेडमार्क हासिल करने में मदद के लिए 1029 सहायता केन्द्रों का पैनल बनाया गया है। कुल 743 आवेदकों को पेटेंट शुल्क में 80 प्रतिशत की छूट दी गई है साथ ही उन्हें कानूनी सहायता भी प्रदान की की गई है। जून 2018 तक कुल 1095 स्टार्ट-अप को ट्रेडमार्क हासिल करने में मदद दी गई।
स्टार्ट-अप के लिए कुल आवंटित 10000 करोड़ रुपये में से सिडबी की ओर से वित्त वर्ष 2016 में 500 करोड़ रुपये तथा वित्त वर्ष 2017 में 100 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। 2025 तक पूरे 10 हजार करोड़ रुपयेजारी कर दिए जाएंगे।