नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ संसद में पहला अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार, शुक्रवार को होगी चर्चा औऱ वोटिंग

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नई दिल्ली। संसद का मॉनसून सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर पहला हमल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर बोला। हालांकि इस सत्र के लिए सरकार ने सदन चलाने को विपक्षी दलों से सहयोग मांगा है, वहीं कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। इस सत्र में कई अहम बिल लंबित हैं। सत्र के दौरान 40 बिल तो ऐसे हैं जिन्हें मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद लेकर आयी थी, लेकिन अब भी उनके संसद से पारित होने का इंतजार है। मौजूदा माहौल में जब विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर सरकार को सदन में घेरने की तैयारी कर रहा है, इन बिलों का पारित हो पाना मुश्किल लग रहा है।
अनंत कुमार ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार किए जाने पर कहा कि सरकार शक्ति परीक्षण के लिए पूरी तरह से तैयार है।

– केंद्र में पिछले करीब चार साल से सत्तारूढ़ मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का यह पहला अविश्वास प्रस्ताव है।

– लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस और टीडीपी सहित अन्य विपक्षी दलों का अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किया।

– एसपी और टीडीपी के सांसदों ने लोकसभा की वेल में जाकर किया मॉब लिंचिंग और अन्य मुद्दों पर विरोध-प्रदर्शन।

– लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मॉनसून सत्र की शुरुआत में सांसदों को खुशखबरी देते हुए बताया कि सदन में वाई-फाई की सुविधा शुरू कर दी गई है। सभी सदस्य रजिस्ट्रेशन के बाद इसका लाभ उठा सकेंगे। हालांकि सरकार का यह गिफ्ट विपक्षी सांसदों का दिल नहीं जीत सका और मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ।

केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास पूर्ण बहुमत है। ऐसे में साफ है कि मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा। मोदी सरकार को 312 सदस्यों का समर्थन हासिल है और खुद बीजेपी के पास जरूरी 268 सीटों से 4 सीट ज्यादा यानी 272 सीटें हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में हुए उप चुनावों में हारने के बाद बीजेपी के 272 सदस्य हैं। इसके सहयोगी दलों के 40 सदस्यों को मिला दिया जाए तो यह संख्या 312 पर पहुंच जाती है।

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