अब देश में ही बनेंगे लिथियम आयन बैटरी !

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सीएसआईआर प्रयोगशाला भारत की पहली स्वदेशी लिथियम आयन बैटरी परियोजना के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराएगी

सेंट्रल इलेक्ट्रो कैमिकल रिसर्च इंस्टीच्यूट (सीईसीआरआई) एवं आरएएएसआई सोलर पावर प्रा. लिमिटेड के बीच समझौता 

 

सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

नई दिल्ली : वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत सेंट्रल इलेक्ट्रो कैमिकल रिसर्च इंस्टीच्यूट (सीईसीआरआई) एवं आरएएएसआई सोलर पावर प्रा. लिमिटेड ने भारत की पहली लिथियम आयन (एलआई-आयन) बैटरी परियोजना के लिए प्रौद्योगिकी के अंतरण हेतु एक सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौते पर सीईसीआरआई के निदेशक डॉ. विजयमोहन के. पिल्लई एवं आरएएएसआई समूह अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक सी. नरसिम्हन द्वारा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की उपस्थिति में शनिवार (09 जून, 2018) को बंगलुरु में हस्ताक्षर किया गया।

डॉ. गोपु कुमार की अध्यक्षता में सीएसआईआर- सीईसीआरआई में एक समूह ने सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल) नई दिल्ली, सीएसआईआर-सेंट्रल ग्लास एंड सिरेमिक्स रिसर्च इंस्टीच्यूट (सीएसआईआर-सीजीसीआरआई ) कोलकाता एवं भारतीय रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईआईसीटी) हैदराबाद की साझेदारी में लिथियम-आयन बैटरियों की एक स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकसित की है। सीएसआईआर- सीईसीआरआई ने प्रोटोटाइप लिथियम-आयन बैटरियों के विनिर्माण के लिए चेन्नई में एक डेमो सुविधा केंद्र की स्थापना की है।

वर्तमान में भारतीय विनिर्माता कुछ अन्य देशों समेत चीन, जापान एवं दक्षिण कोरिया से लिथियम-आयन बैटरियों का आयात करता है। भारत इसके सबसे बड़े आयातकों में से एक है और 2017 में इसने लगभग 150 मिलियन डॉलर के मूल्य के बराबर की लिथियम-आयन बैटरियों का आयात किया।

डॉ. हर्षवर्धन ने हस्ताक्षर समारोह के समापन के बाद कहा कि, ‘ आज का घटना क्रम अन्य क्षेत्रों के अतिरिक्त, हमारे उद्योग की सहायता करने के लिए महत्वचपूर्ण क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी की पूर्ति करने में सीएसआईआर एवं इसकी प्रयोगशालाओं की क्षमता का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि , ‘ इससे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दो प्रमुख योजनाओं-2022 तक 175 गीगावाट, जिसमें 100 गीगावाट सौर ऊर्जा होगा, के सृजन के द्वारा ऊर्जा बास्केट में स्वच्छ ऊर्जा के हिस्से को बढ़ाना, तथा दूसरा, 2030 तक पूरी तरह बिजली के वाहनों में बदल देने की राष्ट्रीय बिजली गतिशीलता मिशन- को बेशुमार बढ़ावा मिलेगा।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, ‘ यह परियोजना भारत को एक विनिर्माण हब में रूपांतरित कर देने तथा विदेशी मुद्रा के देश से बाहर जाने में कमी लाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के -मेक इन इंडिया- के विजन के अनुरूप है।

सी. नरसिम्हन ने कहा कि ‘ आरएएएसआई समूह बंगलुरु के निकट तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में विनिर्माण सुविधा केंद्र की स्थापना करेगा।‘ उन्होंने कहा कि ‘हम लीड एसिड बैटरी को विस्थापित करने के लिए बैटरी विनिर्माण की लागत प्रति केडब्ल्यू 15000 रुपये से कम पर लाना चाहते हैं। ‘

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