दिल्ली मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर के तहत ‘फ्रेट विलेज’ प्रोजेक्ट को केंद्र की हरी झंडी

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हरियाणा के नांगल चौधरी में 886.78 एकड़ भूमि पर फ्रेट विलेज का दो चरणों में विकास किया जाएगा

 

चंडीगढ़ 16 मई– केंद्रीय आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने दिल्ली मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना के तहत ‘फ्रेट विलेज’ के रूप में समेकित मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स हब के लिए ट्रंक अवसंचना घटकों के विकास के लिए स्वीकृति प्रदान की है।

आज यहां यह जानकारी देते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी द्वारा औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

हरियाणा के नांगल चौधरी में 886.78 एकड़ भूमि पर फ्रेट विलेज परियोजना का स्पेशल पर्पस व्हीकल (एसपीवी) द्वारा दो चरणों में विकास किया जाएगा। पहले चरण के विकास के लिए 1029.4 9 करोड़ रुपये की वित्तिय मंजूरी दे दी गई है और दूसरे चरण के विकास के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। पहले चरण में व्यय होने वाली 266 करोड़ रुपये राशि में दूसरे चरण के विकास के लिए भी प्रयोग होने वाली पूरी भूमि की लागत शामिल है। राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) द्वारा एसपीवी में 763.4 9 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है जिसमें 266 करोड़ इक्विटी और 497.4 9 करोड़ रुपये ऋण के रूप में शामिल हैं।

प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष लाभ और अर्थव्यवस्था पर कई गुणा प्रभाव होने के दृष्टिगत इस परियोजना का बहुत अधिक आर्थिक मूल्य है। परियोजना के आर्थिक लाभों में रोजगार का निर्माण, ईंधन लागत में कमी, निर्यात में वृद्धि, वाहन (ट्रक) परिचालन लागत में कमी, दुर्घटना संबंधित लागतों में कमी, राज्य सरकार द्वारा करों के संग्रह में वृद्धि, प्रदूषण में कमी लाना आदि शामिल हैं।

मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब के रूप में फ्रेट गांव के प्रस्तावित विकास से चार हजार प्रत्यक्ष और छह हजार अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान है। रोजगार सृजन कोर लॉजिस्टिक सुविधाओं तक ही सीमित नहीं होगा बल्कि पूरे लॉजिस्टिक आपूर्ति श्रृंखला के अवसर भी मिलेंगे।
ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण को वित्तीय वर्ष 2020-21 तक लागू किया जाएगा। विभिन्न निर्माण पैकेजों को इस तरह से बनाया जाएगा ताकि ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर का पूरा निर्माण एक साथ पूरा हो जाए। प्रोजेक्ट के दूसरे चरण को वर्ष 2028 या उससे पहले, यदि आवश्यक होगा, तो उचित वित्तीय प्रतिबंधों के लिए पुन: मुल्यांकन किया जाएगा।

प्रस्तावित फ्रेट विलेज के क्रियान्वयन के लिए एक एसपीवी एनआईसीडीआईटी और एचएसआईडीसी के माध्यम से हरियाणा सरकार दवारा 50:50 के अनुपात में भारत सरकार का एक संयुक्त उद्यम बनाया गया है।

फ्रेट विलेज को डबला में वेस्ट्रन डेडिकेटिड कॉरिडोर (डीएफसी) के माध्यम से जोड़ा जाएगा, जिसकी दूरी लगभग 10 किलोमीटर है ।
डीएफसी के साथ एकीकृत लॉजिस्टिक्स हब में प्रमुख बंदरगाहों और औद्योगिक केंद्रों के लिए हाई स्पीड कनेक्टिविटी, माल की आपूर्ति की कम लागत – माल ढुलाई में तेजी और मल्टीपल हैंडलिंग लागत को खत्म करने, बेहतर सेवा की गुणवत्ता, रियल टाईम माल ढुलाई ट्रैकिंग और डेटा विश्लेषण, लोडिंग / एकत्रीकरण / पैकेजिंग / भंडारण जैसी लॉजिस्टिक्स आवश्यकताओं के लिए एकल बिंदु समाधान, हिनटरलैंड से बंदरगाहों तक त्वरित पहुंच, कम लागत और संचालन के समय के साथ आपूर्ति श्रृंखला संचालन में पैमाने की अर्थव्यवस्था, हिनटरलैंड से अंतिम मील गेटवे पोर्ट कनेक्टिविटी, कंटेनर फ्रेट स्टेशनों के असंगठित विकास जैसे घटक होंगे।

हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में फ्रेट विलेज के विकास का उद्देश्य, इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना, मौजूदा उद्योगों के संचालन की दक्षता में सुधार लाना और इस क्षेत्र में और आर्थिक अवसर बनाने के लिए फ्रेट कंपनियों और ग्राहकों को आकर्षित करना है।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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