नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सैनिकों और पूर्व सैनिकों के हकों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भोपाल में शौर्य स्मारक का उद्घाटन कर रहे थे, उसी दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ये चिट्ठी सामने आई। पत्र में सेना के गौरवमयी इतिहास की प्रशंसा करते हुए केजरीवाल ने कहा कि चाहे 1948 हो, 1965, 1971, 1999 या फिर 29 सितंबर का सर्जिकल स्ट्राइक, सेना ने हमेशा जांबाजी, बहादुरी और पराक्रम का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि काफी समय से सैनिक और पूर्व सैनिक आर्थिक हक और बकाए की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन उनकी आर्थिक बकाए को देने की बजाय, पिछले कुछ दिनों में सरकार ने ऐसे कदम उठाए जिससे सेना के मनोबल पर सीधा असर पड़ा है और देश की जनता में भी रोष है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि 30 सितंबर को जब सेना के जवान सफल सर्जिकल स्ट्राइक कर लौटे थे, तो केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर भारतीय सेना की विकलांगता पेंशन में भारी कटौती कर दी। युद्ध के दौरान, आतंकियों से लड़ते समय, विषम परिस्थितियों में रहने के कारण कई बार सैनिक विकलांग हो जाते हैं। अब तक की व्यवस्था में अगर सैन्यकर्मी सेवा के दौरान सौ फीसदी विकलांग हो जाते थे, तो उन्हें अंतिम वेतन के बराबर पेंशन मिलती थी। पर अब स्लैब बदल दिया गया है, जिससे सैनिकों को भारी आर्थिक नुकसान होगा।
केजरीवाल ने कहा कि पांच साल की सेवा के बाद एक सैनिक का वेतन करीब 28-29 हजार बनता है। सौ फीसदी विकलांग होने पर वो प्रतिमाह इतनी ही पेंशन का हकदार बनता है। लेकिन इस नए नियम के मुताबिक उसे केवल 12 हजार रुपये विकलांग पेंशन मिलेगी। इसी तरह युद्ध में सौ फीसदी विकलांग होने पर कर्नल का वेतन अगर 80 हजार रुपये प्रति माह है, तो नए नियम के मुताबिक उसे केवल 27 हजार विकलांगता पेंशन मिलेगी। उन्होंने अनुरोध किया है कि इस पेंशन को घटाने की बजाय बढ़ाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दूसरा अनुरोध शहीदों के परिजनों को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की नीति बनाने का किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने यहां ये नीति बनाई है। इसी तर्ज पर केंद्र सरकार भी नीति बनाए और हर शहीद सैनिक के परिजनों को केंद्र सरकार की ओर से एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाए। उन्होंने तीसरा अनुरोध वन रैंक वन पेंशन की अनियमितताओं को दूर कर पूर्ण रूप से लागू करने का किया है।
आखिर में प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए पत्र में लिखा गया है कि जिस इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए दुश्मन से बदला लिया, वैसे ही इच्छाशक्ति दिखाकर वो सेना के साथ आर्थिक नाइंसाफी नहीं होने देंगे।