मनोहर लाल का राज्य व्यय की दक्षता में सुधार के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने पर बल
सुभाष चौधरी /प्रधान संपादक
चंडीगढ़, 4 मई : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 15 वें वित्त आयोग को हस्तांतरण फार्मूले में प्रदर्शन मानदंड शामिल करने, राज्य व्यय की दक्षता में सुधार के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने, सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को अपनाने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए राज्य को प्रोत्साहित करने, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक संसाधनों के आवंटन, फसली क्षेत्र, सिंचित क्षेत्र और वन क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में निवेश को प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया।
आज यहां 15वें वित्त आयोग के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने इसके अलावा कई अन्य सिफारिशें कीं। बैठक में हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने क्षैतिज हस्तांतरण के लिए सूचक मैट्रिक्स का भी सुझाव दिया। इनमें विकास-20 प्रतिशत- इनकम डिस्टेंस (जब उच्च आय वाले जिलों की प्रति व्यक्ति आय शेष राज्य की प्रति व्यक्ति आय की औसत से दोगुनी हो जाती है) और पूंजीगत व्यय, आमदनी के बीच समान रूप से विभाजित, वित्तीय दक्षता और अनुशासन- 20 प्रतिशत- संसाधन लामबंदी और पीएफएमएस और डीबीटी को अपनाने के बीच समान रूप से विभाजित, जनसंख्या- 17.5 प्रतिशत- ग्रामीण और शहरी अनुपात के बीच समान रूप से विभाजित, लिंग अनुपात और युवा जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल में सुधार क्षेत्र-15 प्रतिशत- वन कवर, फसली क्षेत्र और सिंचित क्षेत्र में समान रूप से विभाजित क्षेत्र के बीच समान रूप से विभाजित और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में योगदान- 27.5 प्रतिशत- खाद्यन्नों के केंद्रीय पूल, सशस्त्र बलों और खेलों में योगदान के बीच समान रूप से विभाजित।
उन्होंने कहा कि भौतिक और सामाजिक आधारभूत संरचना पर अगले पांच वर्षों में किया गया पूंजीगत निवेश का स्तर अगले कुछ दशकों के लिए देश के विकास प्रक्षेपण का फैसला करेगा। इस दिशा में, यह सुझाव दिया जाता है कि हस्तांतरण फार्मूले में एक मानदंड शामिल हो सकता है जो पूंजीगत व्ययों में राज्यों के प्रदर्शन को आंके और बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों के लिए अधिक संसाधन आवंटित करेगा। कुशल संसाधन लामबंधी घाटे को कम करने और पूंजीगत निवेश के लिए अधिशेष उत्पन्न करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस संबंध में, राज्यों को कर और गैर-कर उपायों के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन जुटाने और अपने राजस्व के रिसावों को बंद करने की दिशा में अपने प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मनोहर लाल ने कहा कि पीएफएमएस और डीबीटी, दोनों राज्य व्यय की दक्षता में सुधार के लिए शक्तिशाली उपकरण हैं, और राज्यों को समेकन को बढ़ावा देने और विशेष रूप से राजस्व व्यय के लिए उधार लेने को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनसंख्या को दिए गए महत्व को भी ग्रामीण और शहरी आबादी के विभाजन के आधार पर विभाजित करने की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण है कि जिन राज्यों में अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है उन्हें अधिक संसाधन आवंटित किए जाएं। इसके अलावा, जनसंख्या मानदंड को अन्य प्रमुख जनसांख्यिकीय कारकों जैसे कि लिंग अनुपात में सुधार (पुरुषों पर महिलाएं) और युवा आबादी को भी ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वन कवर को निधि के विभाजन का निर्णय लेने के मानदंडों में से एक के रूप में शामिल करने के लिए 14 वें वित्त आयोग की सराहना करता है लेकिन यह भी विचार है कि वन क्षेत्र, फसली क्षेत्र और सिंचित क्षेत्र के बीच संतुलन बनाने के लिए इसमें संशोधन किया जाना चाहिए। हरियाणा की कृषि उत्पादकता, सकल फसली क्षेत्र और सिंचित क्षेत्र केंद्रीय अन्न भंडार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि हरियाणा देश के भौगोलिक क्षेत्र के केवल 1.34 प्रतिशत को कवर करता है, लेकिन यह केंद्रीय पूल में लगभग 15 प्रतिशत योगदान देता है। 15 वें वित्त आयोग यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि हरियाणा के लोग खेल और सशस्त्र बलों में प्रतिनिधित्व के संदर्भ में राष्ट्रीय गौरव के ध्वजवाहक हैं। राष्ट्रमंडल खेल 2018 में, भारत द्वारा जीते गए 66 पदकों में से 22 पदक हरियाणा के खिलाडिय़ों ने प्राप्त किए। इसी प्रकार, देश की आबादी का मात्रा 3 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद किसी भी अन्य राज्य की तुलना में भारतीय सेना में हरियाणा का योगदान अधिक है। वास्तव में, हर 10 वें सेन्यकर्मी हरियाणा से संबंधित हैं। इन राष्टï्रीय प्राथमिकताओं में निवेश को प्रोत्साहित करके इस प्रवृत्ति को मजबूत करने की जरूरत है ताकि राज्य सरकार अपने खिलाडिय़ों को विश्व स्तरीय आधारभूत संरचना प्रदान कर सके और नागरिक और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए पहलों को लागू कर सके। उन्होंने बल देते हुए कहा कि इससे हरियाणा के लोग को अपने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय योगदान जारी रखने के लिए प्रेरित होंगे।
उन्होंने आयोग का ध्यान इस तथ्य की ओर भी आकर्षित किया कि हरियाणा की किसी भी तरह के पूर्व हस्तांतरण राजस्व घाटा अनुदान के लिए सिफारिश नहीं की गई थी क्योंकि राज्य के पूर्व-अंतरण के आधार पर राजस्व अधिशेष राज्य होने का अनुमान था। हालांकि, यह 15 वें वित्त आयोग के विचार के लिए है कि राज्य वर्ष 2005-06 से 2007-08 तक तीन वर्ष की अवधि के अलावा ऐतिहासिक रूप से राजस्व घाटे में रहा है, जिसके बाद वैट लागू हुआ। जबकि राज्य सरकार स्थिति को बदलने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, लेकिन राज्य की प्रतिबद्ध देनदारियों (7वें वेतन आयोग की सिफारिशों, उदय योजना और श्रमिकों की मजदूरी के कार्यान्वयन) में वृद्धि के कारण राजस्व घाटे के आने वाले वर्षों में जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने आयोग से इस अवार्ड अवधि के लिए राज्य की यथार्थवादी वित्तीय स्थिति पर विचार करने और राजस्व घाटा अनुदान की उचित राशि प्रदान करने का आग्रह किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकार अपनी प्रतिबद्ध देनदारियों को वित्त पोषित करने के बजाय पूंजीगत व्यय के लिए उपलब्ध वित्त का उपयोग करने में सक्षम है।
मुख्यमंत्री ने एनसीआर क्षेत्र के लिए अनुदान सहायता की भी मांग की और कहा कि यदि राज्य को एनसीआर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव के लिए अतिरिक्त संसाधन प्रदान किए जाते हैं, तो वह अन्य अविकसित जिलों के विकास के लिए मुक्त राजकोष का उपयोग कर सकता है। उन्होंने आयोग से 14 वें वित्त आयोग द्वारा अपनी अवार्ड अवधि के लिए अनुशंसित आवंटन की तुलना में धन की प्राप्ति के अंतर को पूरा करने की राज्य की सिफारिश पर विचार करने का भी आग्रह किया है। पिछले तीन वर्षों में राज्य को 21896.92 करोड़ रुपये की आवंटित राशि के तुलना में 19391.23 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के तहत सृजित बुनियादी ढांचे के रखरखाव और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए किए गए व्यय से राज्य वित्त पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसलिए, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विभाजन अनुपात का निर्णय करते समय आयोग को इन पहलुओं पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएसएस को केंद्र सरकार द्वारा सनसट क्लॉज के साथ कार्यान्वित किया जाता है जिसमें राज्यों को सीएसएस के तहत कुछ वर्षों के बाद जारी राशि रोक दी जाती है या उसमें कमी आने लगती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को 2014-15 में भारत सरकार से सीएसएस के तहत 3,309 करोड़ रुपये मिले। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में यह राशि घटकर 2,511 करोड़ रुपये हो गई है।
मनोहर लाल ने वित्त आयोग से देश के सकल घरेलू उत्पाद में हरियाणा उत्कृष्ट योगदान को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय करों का बड़ा हिस्सा आवंटित करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा का देश के सकल घरेलू उत्पाद में 3.7 प्रतिशत योगदान है, यहां देश की 2.9 प्रतिशत आबादी है और यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 1.34 प्रतिशत कवर करता है। इस संदर्भ में, 14 वें वित्त आयोग द्वारा आवंटित करों के विभाजित पूल में केवल 1.084 प्रतिशत हिस्सा उचित नहीं है। उन्होंने इक्विटी और अन्य मानकों को संतुलित करते हुए सार्वजनिक खर्च की गुणवत्ता और दक्षता बढ़ाने के लिए पांच व्यापक संकेतकों के आधार पर एक इक्विटी और दक्षता आधारित ग्रैनुलर नेशनल फ्रेम वर्क का भी सुझाव दिया। इसमें विकास, राजकोषीय दक्षता एवं अनुशासन, आबादी, क्षेत्र और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में योगदान शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने आयोग से राज्य में लगभग 14000 तालाबों के कायाकल्प के लिए राज्य सरकार द्वारा स्थापित तालाब प्रबंधन प्राधिकरण के लिए धन की विशेष व्यवस्था करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कई विभाग इस प्राधिकरण का हिस्सा हैं और इस कार्य को पूरा करने के लिए भारी बजट की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में घटते जलस्तर के कारण 37 खंडों की डार्क जोन के रूप में पहचान की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इन ब्लॉकों में सूक्ष्म सिंचाई की परियोजनाओं को लागू करने का फैसला किया है ताकि उपलब्ध पानी का उचित उपयोग किया जा सके।
उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान, राज्य सरकार ने जनहित में विभिन्न निर्णय लिए हैं और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से प्रणाली में व्यवस्थित परिवर्तन भी किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के कार्यान्वयन के माध्यम से 671 करोड़ रुपये की भारी बचत करने में सफल रही है जिसे पहले विभिन्न योजनाओं के अपात्र लाभार्थियों को वितरित किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग को इस पर ध्यान देना चाहिए और इस राशि का एक हिस्सा राज्य सरकार को प्रोत्साहन के रूप में हस्तांतरित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष 15 अगस्त तक 380 गर्वमेंट टू सिटीजन (जी टू सी) सेवाओं को ऑनलाइन किया जाएगा और लोग जिला और तहसील स्तर पर अंत्योदय के साथ-साथ अटल सेवा केंद्रों में इन सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से, सभी योजनाओं को एक मंच पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी श्रृंखला में, राज्य के सात जिलों में अंत्योदय भवन स्थापित किए गए हैं और शेष जिलों में ऐसे केंद्र खोलने की प्रक्रिया भी चल रही है। बाद में, इन अंत्योदय भवनों को उप-मंडल स्तर पर भी स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा जन्म का ऑनलाइन पंजीकरण करने वाला देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य में डिजिटल साक्षरता पर काम कर रही है ताकि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सेवाओं के निष्पादन में सुधार हो सके। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम देश का सबसे अच्छा आईटी हब है, जबकि उसके बाद बेंगलुरु है।
राज्य में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर विशेष जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में मेक इन हरियाणा और सक्षम हरियाणा योजनाएं लागू की हैं। इसके अलावा, हरियाणा युवाओं के कौशल को बढ़ाने के लिए कौशल विकास विश्वविद्यालय खोलने वाला पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि सक्षम युवा योजना के तहत, शिक्षित बेरोजगार युवाओं को 100 घंटे सुनिश्चित गारंटीकृत कार्य के बदले 9000 रुपये प्रति माह और 7500 रुपये प्रति माह प्रदान दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में उद्यमियों की सुविधा के लिए हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन नीति लागू की है। इस योजना के तहत, अपनी इकाइयां स्थापित करने के इच्छुक उद्यमियों को एक ही छत के नीचे सभी आवश्यक मंजूरी प्रदान की जाती है।
इस अवसर पर बोलते हुए, 15 वें वित्त आयोग के सदस्य डॉ. अशोक लाहिड़ी ने प्रति व्यक्ति आय, परिसंपत्ति प्रबंधन प्रकोष्ठï स्थापित करने और नकद प्रबंधन प्रणाली, माल एवं सेवा कर, संपत्ति पंजीकरण, अंत्योदय सेवा केंद्र और शिक्षित पंचायत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अगुआई वाली राज्य सरकार की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यद्यपि हरियाणा ने कई क्षेत्रों में बेंचमार्क स्थापित किया है, लेकिन देश को राज्य से और अधिक उम्मीदें हैं। उन्होंने गुरुग्राम में किए गए विकास की सराहना की और कहा कि वैश्विक शहर का विकास चीन के शंघाई शहर की तर्ज पर किया जाना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि आयोग राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन का बारीकी से अध्ययन करेगा।
इससे पूर्व मुख्य सचिव, डी.एस. ढेसी ने स्वागत सम्बोधन दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, राजेश खुल्लर, विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं प्रधान सचिव और 15वें वित्त आयोग के वरिष्ठï अधिकारी उपस्थित थे।