शंखध्वनि से भागते हैं रोग

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शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन

 

योग साधाना भी संभव

 

हिन्दु धर्म में प्राकृतिक रूप से प्राप्त कुछ अनोखी वस्तुएं हैं जिनका हमारे जीवन से सीधा संबंध है। कालांतर में हम इन्हें भूल जाते हैं। ऐसा ही एक अमोघ वस्तु है शंख। इसका श्रोत है समुद्र। सृष्टि के रचियता परम पिता ब्रह्मा एवं पालन कर्ता भगवान विष्णु के विग्रह से स्पष्ट होता है कि इसे उन्होंने भी धारण किया है। इससे सिद्ध होता है जो वस्तु हमारे ईष्ट को भी अति प्रिय है उसमें कुछ गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है। सभी देवी देवता इसे अपनी भुजाओं में धारण करते हैं। देवताओं ने इसे कभी अस्त्र के रूप में उपयोग किया कभी धार्मिक अनुष्ठानों के आरंभ व पुर्णाहुती का संकेत देने के लिए। भगवान श्रीकृष्ण के पांचजन्य शंख के नाम से तो हम सभी परिचित हैं। उन्हें यह अतिशय प्रिय था। इसी शंख के माध्यम से उनकी कई लीलाएं सम्पन्न हुईं थीं। माता दुर्गा की पूजा करने वाले शप्तसती का पाठ करते हैं। उस महान रचना में बारंबार शंखध्वनि शब्द का उल्लेख आया है। कई असुरों वध में में मां भगवती ने इसका उपयोग किया है। विचारणीय बात यह है कि इसका उपयोग केवल और केवल हिन्दु धर्मावलम्बियों द्वारा ही किया जाता है।

अतएव शंख नामक यह अनमोल धरोहर वेशकीमती है। इसका उपयोग हम सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों व पूजा व ज्योतिष विधि विधानों में भी करते हैं। साथ ही हमारे स्वास्थ्य से भी इसका सीधा संबंध है।

क्या कहता है नासा :

संभव यह सुनकर आपको आश्चर्य लगे लेकिन यह सत्य है कि शंख की आकृति और हमारी धरती की बनावट एक समान है। वैज्ञानिक दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित व विश्वनीय संस्था नासा ने इस बात की पुष्टि की है कि शंख बजाने से खगोलीय ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि से जीवाणुओं का नाश होता है। इसकी ध्वनि का कंपन लोगों में ऊर्जा व शक्ति का संचार करता है।

शंख से होने वाले लाभ :

1. शंख शत प्रतिशत कैल्शियम से निर्मित होता है। इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है।

2. अध्यात्मिक दृष्टि से इसका बड़ा महत्व है। इसका फायदा जितना शंख की ध्वनि से सुनने वाले को पहुंचता है उससे कहीं अधिक लाभ शंख बजाने वाले को होता है। अध्यात्म की दुनिया में साधना के जिस स्तर पर पहुंचने के लिए हम वर्षों तपस्या करते हैं उस जगह पहुंचना केवल श्रद्धा व विश्वास के साथ शंख बजाकर संभव है। शंख बजाने से योग की 3 क्रियाएं एक साथ होती हैं : कुम्भक, रेचक, प्राणायाम। इन क्रियाओं का वर्णन महर्षि पातंजली रचित ग्रंथों में आया है। लेकिन उन्होंने शारीरिक रूप से इसका अभ्यास करने की विधि बताई है। शंख बजाने वाले इस बात को जानते हैं कि इसमें कितनी तन्मयता एवं शक्ति की आवश्यकता होती है। इससे ही सिद्ध होता है कि यह शरीर को कैसे इन स्थितियों में पहुंचाता है। और अगर शंख बजाने से हम इन तीन क्रियाओं को कर सकेंगे तो योग साधान की अन्य क्रिया में आगे बढऩा हमारे लिए और आसान हो सकता है।

3. अगर आप हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा एवं मंदाग्नि जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं तो शंख को नियमित रूप से बजाना शुरू करें। पूजा अर्चना के दौरान भी नियमित रूप से बजा सकते हैं। इससे आश्चर्यजनक लाभ होगा।

4. शंख बजाना एक यौगिक क्रिया है। नियमित रूप से शंख बजाने से फेफड़े मजबूत होते हैं।

5. धार्मिक ग्रंथ बताते हैं कि शंख में पानी रखकर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है। उनकी मानसिक उत्तेजना कम होती है।

6. शंख की ध्वनि सुनने से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय होता है।

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