पाताल भुवनेश्वर : रहस्यमय खंभे में छिपा कलयुग का अंत !

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गुफा की गहराई 100 फीट

स्कंद पुराण में मिलता है उल्लेख

शशि रानी

उत्तराखंड राज्य के जिला पिथौरागढ़ स्थित गंगोलीहाट में पाताल भुवनेश्वर नामक एक अत्यंत रहस्यमयी गुफा है। अनादिकाल से यहां एक खंभा गढ़ा हुआ है। बताया जाता है कि यह लगातार बढ़ रहा है। स्कंद पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है।

कहा जाता है कि यह खंभा कलयुग का प्रतीक है। वर्तमान में यह खंभा 6 इंच का है। जब यह खंभा बढक़र गुफा की छत पर पहुंचेगा उस दिन कलयुग समाप्त हो जाएगा। और फिर से सतयुग लौटेगा।

लोगों का मानना है कि तब भयानक प्रलय होगा और चारों और तबाही का मंजर होगा। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस कलयुग के प्रतीक खंभे के अलावा भी यहां और भी कई छोटे-छोटे खंभे हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि इन खंभों से अन्य दूसरे युगों की समय सीमा जुड़ी हुई है।

उल्लेखनीय है कि जिला पिथौरागढ़ की तहसील को गुफाओं वाला देव कहा गया है। पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट क्षेत्र महाकाली मंदिर, चामुंडा मंदिर, गुफा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से सर्वाधिक चर्चा यहां की रहस्यमय गुफा की होती है। इसे देखने आने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

यह स्थल इसलिए भी लोगों को और आकर्षित करता है क्योंकि पर्वतों, चीड़, देवदार व पहाड़ी नदियों से घिरा यह सुनसान और सुरम्य स्थान नैसर्गिक सौंदर्य से भरा हुआ है। धरती से 90 फीट और समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस गुफा में सैंकड़ों मूर्तियों और खंभे श्रद्धालुओं के लिए रहस्यमय बने हुए हैं। इसे क्षेत्र को भगवान महादेव की रहस्यमयी नगरी के नाम से जाना जाता है।
इस गुफा में प्रवेश के लिए बेहद संकीर्ण रास्ता है। यह लगभग 100 फीट नीचे जाता है। नीचे एक-दूसरे से जुड़ी कई गुफाएं हैं। यह गुफाएं पानी ने चूना पत्थर को काट कर बनाईं हैं। मंदिर के अंदर संकरे पानी की धारा से होते हुए गुफा में जाना होता है। कहा जाता है कि यहां पाण्डवों ने तपस्या की और कलियुग में आदि शंकराचार्य ने इसकी खोजह की।

यहां आने के लिए उत्तराखंड राज्य के कुंमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ती है। भौगोलिक परिस्थितियों अपने आप में किसी आश्चर्य से कम नहीं है। घने जंगलों एवं पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमांत कस्बे गंगोलीहाट की पाताल भुवनेश्वर गुफा वर्षों से लोगों के लिए कौतूहल का विषय है साथ श्रद्धा का केन्द्र भी। यहां आने वाले रास्ते में धवल हिमालय पर्वत की नयनाभिराम नंदा देवी, पंचचूली, पिंडारी, ऊंटाधूरा आदि चोटियों का दर्शन भी होता है।

पहुचने का रास्ता :

1.हल्द्वानी से 210 किलोमीटर वाया..अल्मोड़ा, वन्या, पनार और गंगोलीहाट।
2.टनकपुर रेलवे स्टेशन से 184 किलोमीटर वाया चम्पावत, घाट और गंगोलीहाट।
3.दिल्ली से 350 किमी की दूरी तय कर अल्मोड़ा पहुंच सकते हैं। अल्मोड़ा से गंगोलीहाट से केवल 8 किमी की दूरी तय कर आप पहुंच सकते हैं।

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