उन्नाव और कठुआ गैंगरेप मामले को लेकर गोलबंदी शुरू
देश और विदेश में कई बार अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बावजूद शिक्षाविदों का मोदी के नाम खुला ख़त
नई दिल्ली। उन्नाव और कठुआ गैंगरेप मामले को लेकर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अब तक देश और विदेश में कई बार अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बावजूद दुनियाभर के विद्वानों ने उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है. मिडिया की खबर के अनुसार दुनियाभर के 600 से अधिक शिक्षाविदों और विद्वानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर इस सम्बन्ध में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उनके कथित मौन रहने पर सवाल उठाये हैं. पत्र में विद्वानों ने पीएम मोदी पर कठुआ और उन्नाव मामले पर निष्क्रीयता दिखाने का आरोप लगाया है। आश्चर्यजनक रूप से यह पत्र उस वक्त जारी किया गया है जब मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 वर्ष और उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामले में दोषी पाये जाने पर पाक्सो एक्ट में मौत की सजा के साथ और भी सख्त सजा का प्रावधान करते हुए संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दी है।
खबर के अनुसार प्रधानमंत्री को संबोधित उक्त पत्र में विद्वानों ने कहा है कि वे कठुआ और उन्नाव एवं उनके बाद की घटनाओं पर अपने गहरे गुस्से और पीड़ा का इजहार करना चाहते हैं। पत्र में यह गंभीर आरोप लगाया गया है कि देश में बने गंभीर हालत पर और सताधारी पार्टी के नेताओं के हिंसात्मक घटनाओं से जुड़े होने को लेकर पीएम ने लंबी चुप्पी साध रखी है।
बताया जाता है कि उक्त पत्र पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय, हार्वर्ड एवं कोलंबिया विश्वविद्यालयों एवं देश के विभिन्न आईआईटी के शिक्षाविदों और विद्वानों के हस्ताक्षर हैं।
उल्लेखनीय है कि कठुआ गेंगरेप की घटना पर गत 13 अप्रेल को पीएम मोदी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. उन्होंने अपने भाषण में देश को यह आश्वस्त किया था कि ऐसे अपराधियों को सख्त सजा दिलाई जायेगी, इसके बाद 20 अप्रेल को भी नरेन्द्र मोदी ने लंदन में सेंट्रल हॉल वेस्टमिनिस्टर में आयोजित भारत की बात सबके साथ कार्यक्रम के दौरान भी इस मसले पर सख्त रुख अख्तियार करने की घोषणा की थी. इसके तत्काल बाद जब पीएम 21 अप्रेल को सुबह स्वदेश लौटे उसके तीन से चार घंटे के अन्दर उनकी अध्यक्षता में आयोजित केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस मसले को गंभीरता से लेते हुए 3 घंटे तक चर्चा हुई और पाक्सो एक्ट में संसोधन केलिए अध्यादेश लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी इस संशोधन के अनुसार अब 12 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के साथ बलात्कार के दोषी लोगों को अब मृत्यू दंड देने के प्रावधान कसर दिया गया.