नीदरलैंड और हरियाणा के बीच बागवानी के क्षेत्र में समझौता

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संरक्षित बागवानी और अवशेष प्रबंधन के क्षेत्र में मिला कर करेंगे काम 

परियोजना पर होंगे 30 करोड़ खर्च 

नीदरलैंड और हरियाणा के बीच बागवानी के क्षेत्र में समझौता 2चंडीगढ़, 20 अप्रैल:  हरियाणा में संरक्षित बागवानी और अवशेष प्रबंधन के क्षेत्र में बढ़ावा देने मद्देनजर नीदरलैंड का वागेनिनजेन विश्वविद्यालय हरियाणा के साथ काम करेगा और हिसार के कृषि विश्वविद्यालय और करनाल बागवानी विश्वविद्यालय के साथ इस क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे। दोनों देशों के इन विवि के बीच एक परियोजना के तहत कार्य किया जाएगा। पराली व अन्य बायोमास के प्रबंधन पर हिसार कृषि विश्व विद्यालय के साथ काम करेगा जिस प्रोजेक्ट पर तीस करोड रूपये ख़र्च होगे ।

इससे पहले नीदरलैण्ड सरकार के कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी फ़ेडरिक वौसनार ने हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ के नेतृत्व वाले प्रतिनिधि मंडल की अगुवाई की। विश्वविद्यालय के अंतराष्ट्रीय निदेशक डा एच जे एम हब लोफर, डा ऐ जे आरजो रोथयूईस विश्व विद्यालय के एशिया मामलों के प्रबंधक व डा आई आर एच वोलटर वरिष्ठ वैज्ञानिक बायोमास प्रबंधन ने हरियाणा के मंडल के समक्ष अपनी प्रस्तुतियाँ दी ।

हरियाणा सरकार की और से कृषि विभाग के प्रधान सचिव डॉ अभिलक्ष लिखी ने हरियाणा की कृषि बागवानी की प्रस्तुति दी।
संरक्षित खेती वैज्ञानिक डा बेन गियरलिंग्स ने पूरे संरक्षित बाग़वानी के विभाग का दौरा कराया । प्रतिनिधि मंडल मे विधायक बलवंत सिह , बख़्शीश सिंह, अनुराग रस्तोगी व मंदीप बराड व नीदरलैण्ड मे भारतीय दुतावास के अधिकारी सम्मिलित थे ।

उल्लेखनीय है कि वागेनिनजेन विश्वविद्यालय मे नीदरलैंड व अन्य देशों के ग्यारह हज़ार छात्र अध्ययन करते है । ऐसे में यहां का अध्ययन अपने आप मे महत्वपूर्ण है।

कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने बताया वागेनिनजेन के साथ महाराणाप्रताप बाग़वानी विश्वविद्यालय संरक्षित बागवानी के विकास के लिये काम करेगा इस प्रोजेक्ट पर पाँच करोड की राशि ख़र्च होगी जिसका व्यय विश्व बैंक प्रदान करेगा ।
नीदरलैंड का वागेनिनजेन विश्वविद्यालय पराली व अन्य बायोमास के प्रबंधन पर हिसार कृषि विश्व विद्यालय के साथ काम करेगा जिस प्रोजेक्ट पर तीस करोड रूपये ख़र्च होगे ।

नीदरलैण्ड मे “फ़ूड वैली “ करके संगठन की शुरूआत की है जो इको सिस्टम की अवधारणा पर आधारित है । किसी खाद्य पदार्थ के उत्पादन प्रक्रिया से लेकर जितनी प्रक्रियायों से वह गुज़रता है उसके सभी स्तरों पर खाने पीने योग्य रहने यानि सेहत के लिये न्यूट्रिसन वैल्यू के साथ उपयोगी रहने की जाँच के साथ साथ उपयोगी खाद्यों व पेय पदार्थों का बढ़ते जाने व दुनिया मे अनुपयोगी खाद्य व पेय पदार्थ समाप्त होना संगठन का ध्येय है । संसार की सभी बड़ी फ़ूड बिजनेस की कम्पनियाँ इनकी सदस्य है । शौध,प्रशिक्षण, अध्ययन, कांफ्रेस संगठन की कार्यप्रणाली है ।

रोजरवैन हौसल एम डी फ़ूड वैली ने प्रतिनिधि मंडल के सामने अपनी प्रस्तुति दी । भारतीय विद्यार्थी फ़ूड वैली के साथ शौध करे यह अपेक्षा भी जताई ।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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