इमरजेंसी के दौरान जेल जाने वालों को मिलेगी पेंशन

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प्रदेश सरकार ने ‘हरियाणा राज्य शुभ्र ज्योत्स्ना पेंशन और अन्य सुविधाएं नियम, 2018’ अधिसूचित किया 

चण्डीगढ़, 17 अप्रैल : हरियाणा सरकार ने ‘हरियाणा राज्य शुभ्र ज्योत्स्ना पेंशन और अन्य सुविधाएं नियम, 2018’ अधिसूचित किए है, जिसके तहत हरियाणा के ऐसे निवासियों, जिन्होंने 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक आपातकाल की अवधि के दौरान सक्रिय रूप से भाग लिया और उन्हें एमआईएसए अधिनियम,1971 या भारत के प्रतिरक्षा अधिनियम,1962 तथा इसके तहत बनाए गए नियमों के तहत कारावास जाना पड़ा, को 10,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि ये नियम ऐसे व्यक्तियों की विधवाओं के लिए भी लागू होंगे।

उन्होंने बताया कि वह हरियाणा राज्य का निवासी होना चाहिए और उसे आपातकालीन अवधि के दौरान अर्थात 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक किसी भी अवधि के लिए कारावास जाना पड़ा हो। उसे इसके लिए सम्बन्धित जेल अधीक्षक द्वारा जारी और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित जेल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि कोई व्यक्ति रिकॉर्ड गुम होने या अनुपलब्ध होने के कारण जेल के प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकता, तो वह दो सह-कैदियों से प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर सकता है। सह-कैदियों का ऐसा प्रमाणपत्र संबंधित जिले के विधायक या सांसद द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि लाभार्थी आपातकालीन पीडि़तों को अपने बैंक खातों में पेंशन की राशि हस्तांतरित करने के लिए किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में आधार से जुड़ा बचत बैंक खाता खोलना होगा और प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में ‘जीवित-प्रमाणपत्र’ देना होगा, जैसाकि अन्य पेंशनधारकों के मामले में किया जा रहा है। किसी अन्य राज्य सरकार से पेंशन या किसी भी तरह का मानदेय लेने वाले आपातकालीन पीडि़त भी पात्र होंगे। हालांकि, यदि कोई अन्यथा पात्र आपातकालीन पीडि़त इसी उद्देश्य के लिए 10,000 रुपये प्रतिमाह से कम राशि प्राप्त कर रहा है तो इस योजना के तहत पेंशन की पात्रता उस राशि तक कम हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इस विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा स्वीकृृति के बाद, पेंशन की राशि लाभार्थी आपातकालीन पीडि़तों के बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी। किसी आपातकालीन पीडि़त के निधन के मामले में, मासिक पेंशन उसकी जीवित पत्नी या पति को दी जाएगी। आवेदन मुख्य सचिव, हरियाणा को संबोधित किए जाएंगे। इन नियमों के तहत पेंशन की स्वीकृृति के लिए आवेदन फार्म इन नियमों के साथ संलग्न परिशिष्ट-क में दिए गए प्रपत्र में जमा करवाना होगा।
सभी जिलों के संबंधित उपायुक्तों की अध्यक्षता में पहले से ही गठित समितियां, प्राप्त होने वाले नए आवेदनों की समीक्षा करेंगी तथा राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें भेजेंगी, जिसका निर्णय अंतिम होगा। संबंधित उपायुक्त की सिफारिश पर इन नियमों के तहत पेंशन स्वीकृृत करने के लिए मुख्य सचिव सक्षम प्राधिकारी होंगे। सरकार का निर्णय अंतिम माना जाएगा। यदि आवेदक राज्य सरकार से कोई अन्य पेंशन प्राप्त कर रहा है, तो पेंशन का वह भाग शुभ्र ज्योत्स्ना पेंशन से घटाया दिया जाएगा, केवल वृृद्धावस्था पेंशन अपवाद होगी। यदि लाभार्थी ( पति या पत्नी, जैसा भी मामला हो),की मृृत्यु हो गई है, तो पेंशन उसकी जीवित पत्नी या पति को दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि यदि लाभार्थी राज्य से कोई अन्य मानदेय/वेतन प्राप्त कर रहा है तो वह इस पेंशन न के लिए पात्र नहीं होगा। आवेदक केवल एक ही जिले से आवेदन कर सकता है और उसे इस आशय का शपथ पत्र जमा करवाना होगा कि उसने किसी अन्य जिले से आवेदन नहीं किया है। सक्षम प्राधिकारी द्वारा पेंशन की सिफारिश के बाद, पेंशन कोषाध्यक्ष, चेरिटेबल एंडॉमेंट्स, हरियाणा चंडीगढ़ (एजीओटी) द्वारा सीधे पेंशनभोगी के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी।

उन्होंने बताया कि हरियाणा के निवासियों, जो इस योजना के तहत पात्र हैं, को 1 नवम्बर, 2017 से 10,000 रुपये की मासिक पेंशन दी जाएगी। नैतिक पतन के आरोपों पर न्यायालय द्वारा सजा देने और झूठी जानकारी या शपथपत्र देने पर पेंशन रद्द की जा सकती है।

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