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‘हरियाणा वीजन जीरो’ द्वारा इंजीनियरों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
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उन्होंने कहा कि इंजीनियरों के लिए यह कार्यशाला दुर्घटना के कारणों के बारे मेें जागृति लाने में काफी सहायक होगी। उन्होंने कहा कि सडक़ पर चलने के लिए सभी को कुछ नियमों का पालन करना होता है। यहां तक कि सडक़ के साथ बने फुटपाथ पर भी चलने के लिए पैदल यात्री के लिए कुछ नियम होते हैं, जिनकी पालना जरूरी है। उमा शंकर ने कहा कि सडक़ के राईट ऑफ वे को डिजाईन करते समय पैदल यात्री, वैंडर, दुपहिया वाहन चालक तथा अन्य वाहनों चालको सहित सडक़ का प्रयोग करने वालों सभी का ध्यान रखने की जरूरत है। अभी होता यह है कि फुटपाथ पर वैंडर अर्थात् रेहड़ी-फड़ी वाले कब्जा कर लेते हंै और पैदल यात्रियों को सडक़ पर चलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सडक़ का डिजाईन तैयार करते समय उन सडक़ों का विशेष ध्यान रखें जिन पर वाहनों की गति बढ़ सकती है। उन सडक़ों पर भी वाहन कहां और किन स्थानों पर गति पकड़ सकते हैं। इसी प्रकार, ऐसे चौराहों का भी बेहत्तर ढंग से डिजाईन तैयार करने की जरूरत है जहां पर वाहन तेज गति से निकलते हैं जो गंभीर दुर्घटना का कारण बनते हैं। श्री उमाशंकर ने यह भी कहा कि ट्रेफिक नियमों को ठीक ढंग से लागूू किया जाना चाहिए।
यात्री सुरक्षा सडक़ इंफ्रास्ट्रक्चर के डिजाईन पर निर्भर : विनय प्रताप
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इससे पहले अपने विचार रखते हुए गुरुग्राम के उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने कहा कि इस वर्कशॉप के माध्यम से पैदल यात्रियों और वाहन चालकों की सडक़ पर सुरक्षा इंजीनियरिंग के पहलु के हिसाब से सभी के सामने लाने का प्रयास किया गया है। उनका मानना था कि वाहन चालक और पैदल यात्री की सुरक्षा काफी हद तक सडक़ इंफ्रास्ट्रक्चर के डिजाईन पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि सडक़ पर गाड़ी किस प्रकार से चले यह चालक के हाथ में नहीं बल्कि इसमें इंजीनियरों की बहुत बड़ी भूमिका है। श्री सिंह ने कहा कि पहले सडक़ सुरक्षा के बारे में सोचते ही टै्रफिक नियमों की पालना की बात आती थी, लेकिन अब रोड़ इंजीनियरिंग की भूमिका पर भी विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रोड़ इंजीनियरिंग यदि ठीक हो तो वाहन अपने आप अपनी लेन में चलेंगे और इसमें ह्यूमन इंटरफेस भी कम होगा। श्री सिंह ने यह भी कहा कि सडक़ पर सुरक्षा के बारे में पहले केवल गाड़ी के अंदर की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाता था लेकिन अब यह महसूस किया जाने लगा है कि गाड़ी के बाहर भी जो लोग हैं जैसे पैदल यात्री, दुपहिया वाहन चालक आदि की सुरक्षा भी हमारे ऊपर निर्भर है। उन्होंने कहा कि सही डिजाईन किया हुआ सडक़ इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित होता है। अभी भी सडक़ डिजाईन में छोटे-छोटे बदलाव करके हम अपनी सडक़ो को ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं।
अलग-अलग वाहनों लेन निर्धारित होनी चाहिए : यशपाल यादव
इस मौके पर नगर निगम आयुक्त यशपाल यादव ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सडक़ पर चलते हुए हम सभी स्पेस अर्थात् जगह के लिए स्पर्धा में रहते हैं। उन्होंने कहा कि सडक़ पर साईक्लिस्ट, दुपहिया वाहन, छोटे वाहन तथा बड़े हैवी वाहन सभी के लिए अलग-अलग लेन निर्धारित होनी चाहिए। उनका मानना है कि ऐसा करने से सडक़ दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। साथ ही श्री यादव ने कहा कि सडक़ टै्रफिक के लिए बनाई जाती हैं परंतु देखा यह गया है कि सडक़ का काफी भाग पार्किंग में प्रयोग हो रहा है। सडक़ पूर्ण रूप से टै्रफिक के लिए ही हों। उन्होंने हरियाणा वीजन जीरो के प्रतिनिधियों से कहा कि वे अलग-अलग विभागों के लिए अलग-अलग मोड्यूल बनाए जो बेहत्तर होगा। श्री यादव ने यह भी कहा कि इंजीनियरों के लिए यह जानना जरूरी है कि फुटपाथ और सडक़े युजर फै्रंडली हों। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिलाया कि नगर निगम गुरुग्राम शहर की सडक़ों को सुरक्षित बनाने में पूरा सहयोग देगा और आज की यह वर्कशॉप सडक़ सुरक्षा की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगी।
10 जिलों में सडक़ दुर्घटनाओं में कमी आई
कार्यशाला को संबोधित करते हुए हरियाणा वीजन जीरो की प्रतिनिधि सारिका पाण्डा ने बताया कि यह प्रोजैक्ट पिछले वर्ष जून-जुलाई में शुरू किया गया था और पिछले आठ महीने में प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिए गए हरियाणा के 10 जिलों में सडक़ दुर्घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस प्रोजैक्ट के तहत 3 साल में सडक़ दुर्घटनाओं में एक तिहाई कमी लाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था के लोग हर महीने प्रोजैक्ट वाले जिलों में 40 किलोमीटर सडक़ों का निरीक्षण कर रहे हैं। अब तक इन 10 जिलों में संस्था द्वारा 415 कै्रश इंवैस्टिगेशन की जा चुकी है तथा संस्था द्वारा सुझाए गए 270 सुधारों को लागू किया गया है। अब तक इन 10 जिलों में 3600 किलोमीटर सडक़ों की इंस्पैक्शन की जा चुकी है।
इनमें 48 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है और 15 चौराहों के डिजाईन में सुधार किया गया है, जिनमें से 5 चौराहे गुरुग्राम जिला में स्थित हैं। उन्होंने बताया कि सडक़ दुर्घटनाओं में हरियाणा में हर साल सडक़ दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 10 प्रतिशत की बढ़ौत्तरी होती है। गुरुग्राम में सन् 2016 में यह मृत्युदर 14 प्रतिशत थी जो 2017 में घटकर 11 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा सडक़ दुर्घटनाओं की वजह से मृत्युदर में कमी अंबाला में दर्ज की गई है। अंबाला जिला में 19 प्रतिशत मृत्यु कम हुई है। सारिका पाण्डा ने बताया कि कार्यशाला का आयोजन आज गुरुग्राम से शुरू किया गया है और अगले दो महीनों में प्रोजैक्ट वाले सभी 10 जिले कवर किए जाएंगे। इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त आर के सिंह भी उपस्थित थे।