हरियाणा के बजट में कोई नया कर नहीं

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 कैप्टन अभिमन्यु ने किया 1 लाख 15 हजार 198.29 करोड़ रुपये का बजट विधान सभा में पेश 

पिछले वर्ष के बजट अनुमान से 12.6 प्रतिशत की वृध्धि 

सकल घरेलु उत्पाद में 9 फीसदी वृद्धि का अनुमान

सार्वजनिक उपक्रमों के घाटे में कमी आई

चंडीगढ़ : वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु द्वारा आज राज्य विधानसभा में वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पेश किए गए हरियाणा के 1,15,198.29 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड बजट में किसी नये कर का प्रस्ताव नहीं किया गया है बल्कि उद्योगों द्वारा इस्तेताल की जाने वाली प्राकृतिक गैस पर वैट 12.5 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत किया गया है। 

    अपने लगातार चौथे और सामाजिक-कल्याण से ओत-प्रोत बजट की विषय वस्तु का उल्लेख करते हुए, कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि ‘हरियाणा एक हरियाणवी एक’ की थीम के अनुरूप इस बजट का उद्देश्य संतुलित विकास के एक नए युग की शुरुआत करना है, जहां राज्य के चहुंमुखी विकास और समृद्धि के लाभ से कोई भी अछूता न रहे। इस बजट में वित्तीय विवेक को संसाधनों के इष्टïतम प्रभाव के लिए उनको विवेकपूर्ण उपयोग से जोडऩे की बात कही गई है।

सतत विकास लक्ष्यों के साथ आवंटन को संरेखित करने जैसी कुछ पहलों  के द्वारा इस बजट में परिवर्तन के एक युग की शुरुआत करने के लिए सामाजिक कल्याण का मार्ग अपनाने और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में ठोस सुधार करने की कल्पना की गई है।

यह बजट पिछले वर्ष 1,02,329.35 करोड़ रुपये के स्वर्ण जयंती वर्ष के बजट में 12.6 प्रतिशत और 1,4,791.38 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान 2017-18 से 14.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। बजट परिव्यय में 30,012 करोड़ रुपये का 26.1 प्रतिशत पूंजीगत व्यय और 85,187 करोड़ रुपये का  73.9 प्रतिशत राजस्व व्यय शामिल है। 

कर और गैर-कर प्राप्तियों की बेहतर प्राप्ति के लिए, वित्त मंत्री ने 76,933.02 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियों का अनुमान लगाया है, जिसमें 49,131.74 करोड़ रुपये की राज्य की अपनी कर प्राप्तियां और 11,302.66 करोड़ रुपये की गैर कर-राजस्व प्राप्तियां शामिल हैं।

         कर राजस्व का प्रमुख स्रोत जीएसटी 23,760 करोड़ रुपये, वैट 11,440.00 करोड़ रुपये, आबकारी शुल्क 6,000 करोड़ रुपये और स्टाम्प एवं पंजीकरण 4,500 करोड़ रुपये हंै। गैर-कर प्राप्तियों में ईडीसी से 4,000 करोड़ रुपये, परिवहन से 2,000 करोड़ रुपये और खान से 8,00 करोड़ रुपये शामिल हैं। 

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि सरकार अपने सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत तक उधार भी ले सकती है। इसके अलावा, चालू वित्तीय वर्ष में भारत सरकार से सहायतानुदान वित्तपोषण का एक और प्रमुख स्रोत है।

 वित्त वर्ष 2018-19 में विभिन्न क्षेत्रों के लिए बजटीय आवंटन के हिस्से का         पुन:आकलन करते हुए, उन्होंने कहा कि इसे अधिकतर मामलों में बढ़ा दिया गया है। कुल बजट का लगभग 28.7 प्रतिशत आर्थिक सेवाओं (अर्थात कृषि और संबद्ध क्षेत्र, सिंचाई और ग्रामीण विद्युतीकरण सब्सिडी-12.22 प्रतिशत, बिजली-5.87 प्रतिशत, परिवहन, नागरिक उड्डयन, सडक़ और पुल-4.73 प्रतिशत, ग्रामीण विकास और पंचायत-3.76 प्रतिशत तथा अन्य-2.12 प्रतिशत) के लिए आवंटित किया गया है। 

चूंकि 33.89 प्रतिशत सामाजिक सेवाओं (शिक्षा-12.96 प्रतिशत, समाज कल्याण-7.46 प्रतिशत, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण- 4.14 प्रतिशत, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी-3.20 प्रतिशत और अन्य-6.13 प्रतिशत) के लिए आवंटित किया गया है, सामान्य सेवाओं को 14.4 प्रतिशत (प्रशासनिक सेवाएं-4.79 प्रतिशत, पेंशन-7.21 प्रतिशत और अन्य-2.40 प्रतिशत) हिस्सा मिला है और 23.01 प्रतिशत ऋण के पुनर्भुगतान (मूल-10.82 प्रतिशत और ब्याज-12.19 प्रतिशत) के लिए आवंटित किया गया है।

     अर्थव्यवस्था के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था में सभी प्रमुख मापदंडों, विशेष रूप से जीएसडीपी, जीएसवीए, राजस्व प्राप्तियां-जीएसडीपी अनुपात, पूंजीगत व्यय और प्रति व्यक्ति आय के मामले में वृद्घि हुई है। 

      इसके अलावा, राजस्व घाटे की बढ़ती प्रवृत्ति को बदल दिया गया है, राजकोषीय घाटे को सीमा के भीतर रखा गया है और विभिन्न क्षेत्रों के योगदान का बंटवारा उस प्रवृत्ति की ओर संकेत करता है जिसमें एक विकासशील और परिपक्व अर्थव्यवस्था निहित है। 

    वर्ष 2017-18 के दौरान, अग्रिम अनुमानों के अनुसार, हरियाणा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद द्वारा 8.0 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने की सम्भावना है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 6.6 प्रतिशत दर्ज की गई है। 

वर्ष 2017-18 में, प्राथमिक क्षेत्र में सकल राज्य मूल्य वर्धित की ग्रोथ 2.5 प्रतिशत, द्वितीयक क्षेत्र में 7.7 प्रतिशत और तृृतीयक क्षेत्र में 9.4 प्रतिशत अनुमानित है। वर्ष 2017-18 के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्बन्धित आंकड़े प्राथमिक क्षेत्र के लिए 3.0 प्रतिशत, द्वितीयक क्षेत्र में 5.1 प्रतिशत और तृृतीयक क्षेत्र में 8.3 प्रतिशत अनुमानित हैं। 

वर्ष 2016-17 में, वर्तमान मूल्यों पर राज्य की प्रति व्यक्ति आय 1,78,890 रुपये अनुमानित थी, जोकि वर्ष 2017-18 में 1,12,764 रुपये के अखिल भारतीय आंकड़े की तुलना में बढक़र 1,96,982 रुपये रहने की सम्भावना है, जोकि देशभर में सर्वाधिक में से एक है।

वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के माननीय प्रधानमंत्री जी के विजन को पूरा करने के लिए, वित्त मंत्री ने कृषि को लाभकारी बनाने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने तथा किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के शारीरिक, वित्तीय और मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने के उद्देश्य से कई उपाय किए हैं। 

यह जानते हुए कि रोजगार का रास्ता कौशल विकास से होकर जाता है, वित्तमंत्री ने वर्ष 2018-19 में कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के लिए परिव्यय बढ़ाकर 657.94 करोड़ रुपये किया है, जोकि संशोधित अनुमान 2017-18 के 458.71 करोड़ रुपये से 43.43 प्रतिशत अधिक है। 

कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि गत तीन वर्षों के दौरान विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन नीतियों का अनुसरण करके, वर्तमान सरकार केवल राजस्व घाटे को छोडक़र, सभी राजकोषीय मानकों को 14वें वित्त आयोग द्वारा और एफआरबीएम एक्ट के तहत निर्धारित सीमाओं के अंदर रखने में सक्षम हुई है। यहां तक कि राजस्व घाटे के मामले में भी, राज्य सरकार बढ़ते रुझान को बदलने में सक्षम हुई है। 

उन्होंने कहा कि इस तथ्य से स्पष्ट है कि वर्ष 2016-17 में राजस्व घाटा जोकि सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.92 प्रतिशत था, बजट अनुमान 2017-18 में कम होकर 1.80 प्रतिशत रह गया और संशोधित अनुमान 2017-18 में 1.35 प्रतिशत तक कम होने की सम्भावना है।  उन्होंने कहा कि ‘वित्त वर्ष 2018-19 के लिए, मेरा लक्ष्य इसे सकल राज्य घरेलू उत्पाद के लगभग 1.20 प्रतिशत तक नीचे लाने का है और वर्ष 2019-20 के अंत तक हमारा लक्ष्य इसे शून्य के निकट लाने का है।’

  मंत्री ने कहा कि प्रभावी राजस्व घाटा एक बेहतर संकेतक है,क्योंकि इसमें राजस्व घाटे से पंूजीगत परिसम्पत्तियों के सृजन हेतु दिया गया अनुदान शमिल नहीं है। इस पैमाने पर हमारी स्थिति अत्यंत सुखद है। प्रभावी राजस्व घाटा वर्ष 2016-17 में 2.81 प्रतिशत की तुलना में बजट अनुमान 2017-18 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 1.19 प्रतिशत था। संशोधित अनुमान 2017-18 में इसके राज्य सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.52 प्रतिशत रहने की सम्भावना है। इससे प्रमाणित होता है कि पूर्ववर्ती वर्षों की तुलना में वर्ष 2017-18 में अर्थव्यवस्था में पूंजीगत परिसम्पत्तियों के सृजन पर अधिक बल दिया गया। वर्ष 2018-19 में भी, सकल राज्य घरेलू उत्पाद के मात्र 0.39 प्रतिशत के सम्भावित प्रभावी राजस्व घाटे के साथ, यही रुझान रहने की सम्भावना है।

राजकोषीय घाटा राज्यों के लिए 14वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित राज्य सकल घरेलू उत्पाद के तीन प्रतिशत की निर्धारित सीमा के अन्दर रहा है।  

हरियाणा में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के क्रियान्वयन का उल्लेख करते हुए,  कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि राज्य सरकार ने पेंशन, छात्रवृत्ति और सार्वजनिक वितरण प्रणाली समेत विभिन्न योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण लागू करके बिचौलियों और छदï्म लाभार्थियों को निकाला है, जिससे  लगभग 1000 करोड़ रुपये वार्षिक की बचत हुई है। 

उन्होंने विश्व बैंक की ‘ईज ऑफ  डूइंग बिजनेस’ में पिछले तीन वर्षों में भारत की स्थिति में 42 स्थानों के अप्रत्याशित उछाल के लिए भारत सरकार  को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए अभूतपूर्व सुधारों के चलते संभव हो पाया है। 

उन्होंने कहा कि हरियाणा उन कुछेक राज्यों में से एक है, जिन्होंने यूएनडीपी की सहायता से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर आधारित अपना विजन 2030 दस्तावेज तैयार किया है। अपने पहले प्रयास में, राज्य सराकार ने बजट आवंटन को सतत विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित करने और वैश्विक तथा राष्ट्रीय संकेतकों की व्यापक सूची के माध्यम से कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि 1.15 लाख करोड़ रुपये के कुल बजट में से, 44,911.16 करोड़ रुपये की राशि उन योजनाओं के लिए आवंटित की गई है, जिनसे प्रदेश में उचित समय में 15 सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। 

वित्त मंत्री ने कहा, ‘कहने की आवश्यकता नहीं कि मैंने ‘हरियाणा एक हरियाणवी एक’ की भावना के अनुरूप प्रत्येक हितधारक तक पहुंचने का प्रयास किया है। मेरा बजट अभिभाषण अत्यंत ध्यान व धैर्य से सुनने के लिए, मैं इस गरिमामय सदन के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूँ। मैं सभी सदस्यों से अपने बजट प्रस्तावों, जिनका उद्देश्य संतुलित विकास के नए युग का सूत्रपात करना है, जिसमें राज्य के सर्वांगीण विकास और समृृद्धि के लाभों से कोई भी अछूता न रहे, पर चर्चा एवं विचार-विमर्श करने और इन्हें अंगीकार करने का आग्रह करता हूँ।’

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