सूरजकुंड मेला में देखिये थीम राज्य उत्तर प्रदेश के घाटों का नजारा

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दर्शकों के लिए कोतुहल का विषय बन गई हैं घाटों की आकृति 

घाट के साथ युवा ले रहे है सेल्फी

सूरजकुंड मेला में देखिये थीम राज्य उत्तर प्रदेश के घाटों का नजारा 2सूरजकुण्ड, (फरीदाबाद) 13 फरवरी (धर्मेन्द्र यादव ) :  यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा। यह टैग लाईन हरियाणा के जिला फरीदाबाद के सूरजकुण्ड में चल रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड षिल्प मेला में थीम राज्य उत्तर प्रदेष ने दी है। लेकिन यदि हम कहें कि सूरजकुंड मेला में उत्तर प्रदेष के घाट नहीं देखे तो सूरजकुंड मेला नहीं देखा। जी हां यह सत्य है कि उत्तर प्रदेष की बहुमूल्य विरासत घाटों को सूरजकुंड मेला में प्रतिकृत किया गया है।

सूरजकुंड मेला परिसर में थीम राज्य उत्तर प्रदेष के घाटों को बहुत ही सहज ढंग से प्रतिकृत किया गया है। यहां पर भोंसले घाट, मान मंदिर, मणिकरना घाट, चेतसिंह घाट, तुलसी घाट, दरभंगा घाट, काषी विष्वनाथ मंदिर इत्यादि जो वाराणसी के घाट हैं उन्हें दर्षाया गया है।
सबसे पहले हम भोंसले घाट की बात करें तो इसके बारे में लिखा गया है कि सन 1780 में नागपुर के मराठा राजा भोंसले ने इस घाट को बनवाया और इस प्रकार उसके नाम पर रखा गया। भोंसले घाट के निकट दो महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान यमेष्वर मंदिर और यमदित्य मंदिर हैं। यह घाट वाराणसी की बहुत जीवन रेखा तक मराठा शासकों के योगदान का एक और उदाहरण है। वाराणसी में गंगा नदी पर महत्वपूर्ण घाटों में से एक मराठा शासक परिवार ने बनवाया था। चूंकि नागपुर के मराठा शासक भोंसले परिवार से संबंधित थे। घाट को भोंसले घाट के नाम से जाना जाने लगा। घाट की मुरम्मत और जीर्णोद्वार सन 1795 में किया गया था यह शीर्ष पर छोटी कलात्मक खिडकियांे के साथ परंपरागत पत्थरों को भी लगाया गया है।सूरजकुंड मेला में देखिये थीम राज्य उत्तर प्रदेश के घाटों का नजारा 3

मान मंदिर घाट को सन 1600 में आमेर के महाराजा मानसिंह ने बनवाया था। साथ ही एक महल के साथ जो शानदार अलंकृत खिडकी, नक्काषी के साथ-साथ छत पर एक बहुत ही दिलचस्प वेदषाला के लिए प्रसिद्ध भवन के लिए जाना जाता है। इस घाट में वेदषाला 1710 में सांईं जयसिंह द्वारा बनवाई गई थी। वेदषाला में पत्थर से बना यंत्र है।

मणिकरना घाट, यह वह जगह है जहां हिंदुओं के शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। घाट के पास एक तालाब है, जिसे भगवान विष्णु ने भगवान षिव ओषनान करने के लिए कहा जाता है। तालाब के पास आप एक पद चिन्ह पा सकते हैं, जिसे भगवान विष्णु के पदचिन्ह कहा जाता है। 5वीं शताब्दी के साहित्यों में इस घाट का उल्लेख किया गया है।

सूरजकुंड मेला में देखिये थीम राज्य उत्तर प्रदेश के घाटों का नजारा 4तुलसी घाट का नाम 16वीं शताब्दी के महान हिंदु कवि तुलसीदास के नाम पर रखा गया है। तुलसीघाट हिंदु पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण खिडकी है। तुलसीदास ने वाराणसी में महान भारतीय महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब तुलसी का पांडुलिपि गंगा में गिरता था तो वह डूबा नहीं करना था बल्कि नदी में तैरता रहता था। यह भी माना जाता है कि रामलीला सबसे पहले यहंी पर आयोजित की गई थी।

दरभंगा घाट, चुनार के बलुआ पत्थर से बना है, जिसमें खूबसूरत सतंभ है। छत के लिए मजबूत कदम 1930 में बनाए गए थे। 1994 मंे दरभंगा महल को कलाकष होटल समूह द्वारा खरीदा गया, जिन्होंने इसे ब्रजरामा प्लैष कहा और इसे 5 सितारा होटल में बदलने की योजना बनाई।

काषी विष्वनाथ मंदिर में हिंदु धर्म की पूजा के लिए सबसे धार्मिक स्थल है। कई महान हिंदु संत जैसे आदि शंकराचार्य, गौस्वामी तुलसीदास, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, गुरूनाथ आदि इस पवित्र स्थान पर दर्षन व स्नान करने के लिए वाराणसी आए थे। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन में एक बार यहां गंगा स्नान कर लेता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है।
क्रमांक-2018

हस्त शिल्पियों ने थामा डिजिटल इंडिया का हाथ

 हस्त शिल्पियों का महाकुंभ कहे जाने वाले फरीदाबाद के सूरजकुण्ड में चल रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड षिल्प मेला डिजिटल इंडिया का हाथ थामे नजर आ रहा है, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कैषलेस इंडिया मिषन को बल मिल रहा है। मेले में तकरीबल प्रत्येक स्टॉल पर कैशलेस भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। हस्तशिल्पी प्वाइंट ऑफ सेल मशीन के अलावा भुगतान के लिए विभिन्न आॅनलाईन वाॅलेट जैसे पेटीएम का भी उपयोग कर रहे हैं, जिनके माध्यम से उपभोक्ता कैषलेष भुगतान भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं मेला परिसर में पर्यटक निःशुल्क वाई-फाई सुविधा का भी लाभ ले रहे हैं। इसके अलावा मेले की टिकटें बुक माई शो के माध्यम से ऑनलाइन बुक कराई जा सकती है। मेला परिसर में एटीएम और मोबाइल एटीएम की सुविधा भी लोगों को दी जा रही है।

 विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर का कटआउट लोगो को कर रहा आकर्षितसूरजकुंड मेला में देखिये थीम राज्य उत्तर प्रदेश के घाटों का नजारा 5

फरीदाबाद के सूरजकुण्ड में चल रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड षिल्प मेला में विश्व सुंदरी एवं हरियाणा की बेटी मानुषी छिल्लर का खूबसूरत ताज पहना हुआ कटआउट युवतियों को अपनी और खूब आकर्षित कर रहा है. मेले में आने वाली युवतियों में विश्व सुंदरी के कटआउट के साथ सेल्फी और फोटो खिचवाने की होड़ मची हुई है। युवतियां कटआउट के स्टाइल में यहाँ फोटो खिचवाती देखी जा सकती है। युवतियों ही नहंीं युवाओं में भी मानुषी छिल्लर के साथ सेल्फी और फोटो खींचवाने के प्रति भारी के्रेज हैं।
मेला प्रशासन ने विश्व सुंदरी एवं हरियाणा की बेटी मानुषी छिल्लर का खूबसूरत ताज पहना हुआ कटआउट विषेषतौर पर चैपाल के पास प्राइम लोकेशन में लगाया हुआ है. जिस पर सबकी निगाह जाना लाजमी है। विश्व सुंदरी के कटआउट के साथ फोटो खिचवाने वाली युवतियों का कहना था की हमे विश्व सुंदरी के साथ फोटो खिचवाकर बडा ही गर्व महसूस हो रहा है क्योंकि मानुषी हमारे देश का गर्व व गौरव है।

कटआउट के साथ सेल्फी लेने की मची होड़

सूरजकुंड मेला में देखिये थीम राज्य उत्तर प्रदेश के घाटों का नजारा 6विश्व सुंदरी के कटआउट के साथ सेल्फी और फोटो लेने को लेकर युवतियों में होड़ मची हुई है। युवतियों ने इसे अच्छा अनुभव बताया। दिल्ली से अपनी देवरानी के साथ मेला देखने आई ममता गोयल ने युवती ने जहाँ मेले की तारीफ की वहीँ विश्व सुंदरी के कटआउट के साथ फोटो खींचवाकर कहा की मानुषी जहाँ देश का गर्व है वही जाहिर सी बात है की इनके साथ फोटो खींचवाकर हर किसी को अच्छा लगेगा। युवती ने बताया कि आज विष्व सुंदरी का बहुत क्रेज है और हो सकता है आने वाले समय में वे भी इस क्षेत्र में जाएं।

जैतून की लकड़ी से बना सामान आकर्षण का केंद्र

 फरीदाबाद के सूरजकुंड में चल रहे 32वें इंटरनैशनल सूरजकुंड क्राफ्ट मेला में जैतून की लकड़ी को संवारकर बनाई गई शतरंज, क्रॉकरी, फूलदान व अन्य सामान ट्यूनीशिया के क्राफ्ट्समैन लेकर आए हैं, जो मेले में आकर्षक का केंद्र बने हुए हैं। एक बार इन्हें देखने के बाद लोगों की निगाह इनसे नहीं हटतीं।

मेला प्रांगण के विदेशी क्राफ्ट्समैन पविलियन में ट्यूनीशिया के स्टॉल पर दिल्ली से आए आसिफ ने बताया कि ट्यूनीशिया में जैतून के पेड़ काफी ज्यादा होते हैं, जिसकी लकड़ी से क्रॉकरी व खेल का सामान बनाया जाता है। उन्होंने बताया कि किचन में इस्तेमाल होने वाले पलटा, चमचा, इमामदस्ता, टोकरी, बेलन, चकला व अन्य सामान हाथों से बनाया गया है। उन्होंने बताया कि अगर जैतून की लकड़ी से बने बर्तनों में खाना खाया जाए तो सेहत काफी अच्छी रहती है। उन्होंने बताया कि उनकी स्टॉल पर 500 से 20 हजार रुपये तक का सामान उपलब्ध है।

चीनी मिट्टी के बर्तनों से निकल रही है गानों की धुनेंसूरजकुंड मेला में देखिये थीम राज्य उत्तर प्रदेश के घाटों का नजारा 7

आपने चीनी मिट्टी से निर्मित बाउलस का प्रयोग खाना खाने के लिए तो किया होगा। लेकिन क्या कोई इनसे फिल्मी धुनें भी निकाल सकता है। जी हां फरीदाबाद के सूरजकुंड में चल रहे 32वें इंटरनैशनल सूरजकुंड क्राफ्ट मेला में ऐसा ही कारनाम कर रहे हैं तुर्केमेनिस्तान से आए कलाकार द्वारा। उनकी धुन लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। उन्होंने लोगांें की फरमाईष पर आवारा फिल्म के मषहूर गाने आवारा हूं गाने की धुन के अलावा कई अन्य धुनें बजाकर सुनाई।
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वेलेंटाइन-डे के लिए युवाओं ने की जमकर खरीदारी

कल वेलेंटाइन-डे है, जिसकी झलक फरीदाबाद के सूरजकुंड में चल रहे 32वें इंटरनैशनल सूरजकुंड क्राफ्ट मेला में भी देखने को मिली। सूरजकुंड मेला में लोगों विषेषकर युवाओं ने वलेंटाइन डे को खास बनाने के लिए जमकर गिफ्ट्स आईटम की खरीदारी की।
वेलेंटाइन के अवसर पर सूरजकुंड मेला भी रंग-बिरंगे फूलों व गिफ्टस आइटन से सज गया है। षिल्पकारों ने वेलेंटाइन डे को लेकर अपनी दुकानों को विषेषतौर पर सजाया हुआ है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। बदलते ट्रेंड के चलते सूरजकुंड मेला में वेलेंटाइन गिफ्ट्स की अलग-अलग वैरायटी भी दिखाई दे रही हैं। वेलेंटाइन डे के मद्देनजर सूरजकुंड मेला परिसर में सजी दुकानों पर ग्राहाकों की भारी भीड दिखाई दी।

जिन युवा-युवतियों की नई-नई शादी हुई है उन्होंने वेलेंटाइन डे को लेकर मेला में खूब खरीददारी की। उनका कहना है वह शादी के बाद पहले वेलेंटाइन को यादगार बनाना चहते हैं। हिमांशु-दिव्या ने बताया कि उनकी शादी इसी महीने में हुई है। शादी से पहले वेलेंटाइन डे मनाए लेकिन, शादी के बाद पहला वेलेंटाइन है, बहुत अच्छा लग रहा है।

मॉल कल्चर के बावजूद सूरजकुंड मेला का आकर्षण चरम पर 

मॉल कल्चर के बाजवूद हरियाणा के जिला फरीदाबाद में फरवरी माह में लगने वाला ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुण्ड षिल्प मेला आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जिसका अंदाजा यहां उमडने वाली भीड को देखकर बखूबी लगाया जा सकता है।
एनसीआर में पडने वाले हरियाणा के जिला फरीदाबाद में प्रतिवर्ष लगने वाला विश्वविख्यात सूरजकुंड षिल्प मेला को लेकर देश-विदेश के पर्यटकों में जबर्दस्त आकर्षण बरकरार है। प्रतिवर्ष फरीवरी माह में यह मेला शुरू हो जाता है जो दो सप्ताह से ज्यादा दिनों तक चलता है। षिल्प कला से संबंधित सामान इस मेले की सबसे बड़ी खासियत है। यहां षिल्पकार अपनी कला के एक से बढकर एक नमूने दर्षकों के लिए प्रस्तुत करते हैं। पिछले एक दशक में मॉल कल्चर के दौर में भले ही मेले के स्वरूप और रंग-ढंग में बदलाव आया है लेकिन सूरजकुंड मेला की सार्थकता आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है।
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मेंहदी प्रतियोगिता में डिंपल सौंलकी को प्रथम पुरस्कार

हरियाणा के जिला फरीदाबाद के सूरजकुंड में चल रहे 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड षिल्प मेला में आज मेहंदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मेहंदी प्रतियोगिता में आज प्रथम स्थान बल्लभगढ के श्री हरदयाल विद्या मंदिर स्कूल की डिंपल सौलंकी को मिला। वहीं दूसरा पुरस्कार फरीदाबाद के बीएन पब्लिक स्कूल की साजिया को दिया गया। इसी प्रकार तीसरा पुरस्कार ओल्ड फरीदाबाद के भारतीय विद्या निकेतन सीनियर सैकेंडरी स्कूल की ज्योति को दिया गया। इन सभी विजेताओं को सेल्फ मेड श्रेणी के तहत पुरस्कार दिए गए।
इस प्रतियोगिता में फरीदाबाद के राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल घोंची की वर्षा और पूजा को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। इसी प्रकार फरीदाबाद के बीएन पब्लिक स्कूल की वरिषा और नेहा जेसवाल को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

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