सजायाफ्ता चुनाव नहीं लड़ सकता तो पार्टी का प्रमुख कैसे बन सकता है : सुप्रीम कोर्ट

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अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब माँगा, सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते की मोहलत दी 

नई दिल्ली :  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह सवाल किया है कि आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जा चुका और सजायाफ्ता व्यक्ति  किसी राजनीतिक दल का प्रमुख बन कैसे बन सकता है ? खबर है कि सर्वोच्च अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि जो खुद ही चुनाव लड़ने  के लिए अयोग्य हो घोषित हो चुका है, वह किसी चुनाव के लिए उम्मीदवार कैसे चुन सकता है ?

मीडिया की खबर के अनुसार देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसे कोर्ट के फैसले के खिलाफ मानते हुए केंद्र सरकार से इस मामले पर जवाब माँगा है । बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने जवाब के लिए समय मांगा और  सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते की मोहलत दी है. राजनीतिक रूप से अतिमहत्वपूर्ण मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।

खबर में कहा गया है कि चीफ जस्टिस ने साफ़ तौर पर कहा है कि यह गंभीर मामला है। कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि चुनाव की शुद्धता के लिए राजनीति में भ्रष्टाचार का विरोध किया जाना चाहिए। आशंका जताई गयी कि ऐसे लोग इस मामले में अकेले कुछ नहीं कर सकते, इसलिए अपने जैसे लोगों का एक संगठन बनाकर अपनी मंशा पूरी करते हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा स्कूल या हॉस्पिटल चलाने के लिए किया जाए तो उसमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन देश का शासन चलाने के मामले में इस तरह की परम्परा को रोकने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि यह उनके पहले दिए गए फैसले के खिलाफ है।

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