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राज्यों से सम्बंध प्रगाढ़ बनाने के लिए ऐसे मेलों का आयोजन जरूरी : प्रो. रामबिलास शर्मा

उन्होनें कहा कि इस मेला में स्टालों के साथ-साथ मेला की अवधि को भी बढाया गया है। जो पहले 14 दिन की थी को 16 दिन किया गया है। इस मेले में मथुरा, वृन्दावन , आयोध्या, प्रयागराज, काशी के घाटों के साथ-साथ अन्य प्रसिद्ध स्थलों के द्वारों व कलाकृतियों को प्रमुखता के साथ दर्शाया गया है। उन्होनें कहा कि यहां के किसानों ने हरियाणा की धरती को हरा-भरा कर दिया है और हरियाणा के नाम को चरितार्थ किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की धरती संदेश देने वाली धरती हैं जहां महाराजा अग्रसेन ने संदेश दिया था कि जो भी नागरिक आए तो उसे एक ईंट व एक मुद्रा देकर भेजा जाए अर्थात इस प्रकार के कार्यकलाप से उस नागरिक को सम्मान मिलता था।
उन्होंने कहा कि राज्यों से सम्बंध प्रगाढ़ बने, इसके लिए ऐसे मेलों का आयोजन होते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बार इस मेला में 1000 से अधिक कलाकार, बुनकर व हस्तशिल्प कलाकार आए हैं और उत्तर प्रदेश मेला में थीम राज्य के रूप में शिरकत कर रहा है। उन्होनें कहा कि गीता का संदेश हरियाणा में दिया गया, जो आपसी संस्कृति की एक पहचान है। इसी प्रकार, इस बार इस मेला में लगभग 28 देशों की संस्कृति व कला का संगम यहां पर होगा। उन्होंने बताया कि इस बार मेला में किर्गीस्तान भागीदार देश के रूप में भाग ले रहा हैं, जो विश्व प्रसिद्ध झीलों के रूप में जाना जाता हैं, इसके अलावा, यह देश सोना, जैविक खेती इत्यादि के लिए भी प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि भारत और किर्गीस्तान के साथ पर्यटन, कृषि के अलावा अन्य क्षेत्रों में 6 समझौते किए गए है, जिससे वसुदेव कुटुम्बकम् के दर्शन होते है।