पुलिस विभाग ने 2300 कर्मचारी गिरफ्तार किए, बाद में दूर जाकर छोड़ा
यूनुस अलवी
मेवात : मेवात जिला के 25 विभागों के कर्मचारियों और यूनियनों ने मंगलवार को नुहं के मिनी सचिवालय पर जमकर प्रदर्शन किया बाद में अपनी मांगों को मनवाने के लिए उन्होंने गिरफ्तारियां दी इस मौके पर करें 23 सौ कर्मचारी मौजूद थे बाद में सभी कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर दूसरी जगह जाकर छोड़ कर खानापूर्ति की मंगलवार को कर्मचारियों की वजह से अफरा-तफरी का माहौल बना रहा।
इस मौके पर आशा वर्कर, मिड डे मील वर्कर, मैकेनिक यूनियन कर्मचारी, वन विभाग, पशुपालन विभाग, सर्व शिक्षा अभियान, किसान महासभा हरियाणा, शिक्षा विभाग, नगर पालिका, पंप ऑपरेटर, स्वीपर कम चौकीदार, मेडिकल कॉलेज नुह कर्मचारी यूनियन, मेडिकल एसोसिएशन, भवन निर्माण यूनियन, कंप्यूटर एसोसिएशन, होमगार्ड एसोसिएशन, रिटायर्ड कर्मचारी संघ, बैंक एसोसिएशन, मिनिस्ट्री स्टाफ एसोसिएशन, ग्रामीण चौकीदार, ग्रामीण श्रम मजदूर संघ, फायर ब्रिगेड स्टेशन, बिजली विभाग, स्कूल चौकीदार सहित करीब 25 विभागों की यूनियनों के करीब 2300 कर्माचारी मौजूद थे।
सभी विभागों के कर्मचारियों ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी हुई थी कि मंगलवार को सभी विभागों के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर मिनी सचिवालय पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और अपनी गिरफ्तारियां देंगे लेकिन कर्मचारियों को देखते हुए प्रशासन कि कहीं तैयारी नजर नहीं आई।
सर्व कर्मचारी संघ मेवात के जिला अध्यक्ष तैयब हुसैन ओर सीटू के राज सिंह ने बताया कि कि जब सर प्रशासन को पता था कि कर्मचारी अपने गिरफ्तारियां देने के लिए एकत्रित हो रहे हैं तो पूरी बसों का इंतजाम करना चाहिए था प्रशासन ने मात्र 17 गाड़ियों का ही जाम किया जिसकी वजह से करीब ढाई घंटे तक अन्य बसों का इंतजार करना पड़ा उन्होंने बताया कि सभी कर्मचारियों ने गिरफ्तारी दी बाद में पुलिस प्रशासन ने कर्मचारियों को बसों में भरकर कई थाने ले जाकर छोड़ा तो कहीं बस अड्डा छोड़ा और प्रसासन पर केवल खानापूर्ति का आरोप लगाया। उनका कहना है कि प्रसासन ने पानी का भी इंतजाम नही किया था।
सभी कर्मचारियों की मांग थी कि उनको न्यूनतम वेतन कम से कम ₹18000 दिया जाए समान काम समान वेतन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जाए ठेका और आउटसोर्सिंग प्रथा को खत्म किया जाए मेडिकल केस में कर्मचारी का और उनके परिवार का सरकार फुल खर्चा उठाएं 2006 से रुके हुए अलाउंस भत्ता को दिया जाए कर्मचारियों का कहना है कि फिलहाल मिड डे मील कर्मचारी को जहां ₹1000 मिलते हैं वहीं आशा वर्कर को ढाई हजार रुपए दिए जाते हैं ऐसे में कर्मचारी अपने परिवार का कैसे भरण पोषण कर सकता है। वह कर्मचारियों की मांग थी कि 2004 के बाद लगे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए। मेडिकल कैशलेस स्कीम पूर्ण रूप से दी जाए और इसमें परिवार को भी शामिल किया जाए।