एक बार, मकर संक्रांति पर गुरुग्राम के गाँव अलियार ढाना जरूर आईये !

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प्रति वर्ष होता है सार्वजनकि दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन 

रविवार को गाँव की तीस टीमों ने किया शारीरिक फिटनेस का शानदार प्रदर्शन 

चार वर्ष के बच्चों से लेकर 80 वर्ष के बुजुर्ग भी दौड़े 

90 प्रतिभागियों को मिले पुरस्कार स्वरूप चांदी के सिक्के 

60 साल पुरानी दौड़ प्रतियोगिता आयोजन की परम्परा अब गाँव की पहचान बन गयी : महेश चौहान 

 

सुभाष चौधरी/प्रधान सम्पादक 

एक बार, मकर संक्रांति पर गुरुग्राम के गाँव अलियार ढाना जरूर आईये ! 2गुरुग्राम : हरियाणा राज्य, देश की सुरक्षा और खेल के क्षेत्र में अपना सर्वाधिक योगदान क्यों देता है अगर इसे समझना हो तो आपको जिला गुरुग्राम के मानेसर स्थित गाँव अलियार ढाना आना होगा. आपको मकर संक्रांति के अवसर पर प्रति वर्ष यहाँ आयोजित होने वाली सार्वजनकि दौड़ प्रतियोगिता का साक्षी बनना होगा. यहाँ आकर शारीरिक रूप से फिट रहने का मूल मन्त्र भी मिलेगा और यह अंदाजा भी लगाना आसान हो जाएगा कि इस प्रकार की प्रतियोगिता के लिए हरियाणा सदा कैसे फिट रहता है ? लगभग 60 साल पुरानी दौर प्रतियोगिता आयोजन की यह परम्परा अब इस गाँव की पहचान बन गयी है. बुजुर्गों के दिए इस दर्शन को युवा पीढ़ियों ने आज भी जीवंत और सशक्त स्वरूप देकर बरकरार रखा है जिसमें बच्चे , बुजुर्ग’ महिलायें सभी दौर में शामिल होकर अपनी शारीरिक फिटनेस का शानदार प्रदर्शन करते हैं. इस बार भी विभिन्न उम्र वर्गों में एक हजार से अधिक व्यक्तियों ने दौड़ लगाईं और अगले वर्ष तक स्वयं को स्वस्थ रहने की कसमें खाई.एक बार, मकर संक्रांति पर गुरुग्राम के गाँव अलियार ढाना जरूर आईये ! 3

एक बार, मकर संक्रांति पर गुरुग्राम के गाँव अलियार ढाना जरूर आईये ! 4भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रशिक्षण समिति के प्रमुख महेश चौहान जो गाँव अलियार ढाना के निवासी हैं, इस दौड़ प्रतियोगिता में पिछले 35 वर्षों से शामिल हो रहे हैं. उनके अनुसार सार्वजनिक दौड़ आयोजन की यह परिपाटी अब इस गाँव के लिए वार्षिक महोत्सव बन गई है. बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी इस दिन का इन्तजार, वर्ष भर करते हैं और लगातर दौर का अभ्यास कर प्रतियोगिता में पुरस्कार जीतने की तमन्ना रखते हैं. प्रति वर्ष इसे मकर संक्रांति के अवसर पर प्रथम रविवार को आयोजित किया जाता है लेकिन इस बार गांव में मकर सक्रांति के दिन एक व्यक्ति की मृत्यु होने की वजह से इस आयोजन को आज यानी रविवार को मूर्त रूप दिया जा सका. उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखने के लिए इसे आधार लिंक्ड किया जाता है जिससे पदक जीतने की ललक में कोई अपनी उम्र को छिपा नहीं पाए और अपने से कम उम्र के समूह में शामिल नहीं हो सके.  

लगभग तीन हजार जनसंख्या वाले गाँव अलियार ढाना के इस अनोखे आयोजन को देखने इलाके के दर्जनों गांवों के लोग उमड़ पड़ते हैं. इसके माध्यम से हजारों लोगों में यह सन्देश भी जाता है कि अगर जीवन के किसी भी क्षेत्र में हिट होना है तो स्वयं ही नहीं बल्कि पूरे समाज को भी फिट रखना होगा. और इसका स्पष्ट नजारा रविवार को हरियाणा के इस गाँव में देखने को मिला. लोगों में बच्चों एवं बुजुर्गों के समूह के प्रतिभागियों को देखने का कौतुहल अधिक था. लोग कहते दिखे कि युवा तो शारीरिक रूप से सक्षम रहते ही हैं लेकिन छोटे बच्चे और बुजुर्ग जिस समाज व प्रदेश के स्वस्थ हों उनकी रचनात्मकता सदा बरकरार रहती है. और अलियार ढाना से यह सीख सभी को लेने की जरूरत है.

एक बार, मकर संक्रांति पर गुरुग्राम के गाँव अलियार ढाना जरूर आईये ! 5आज की दौड़ प्रतियोगिता में विभिन्न उम्र की 30 टीमों ने भाग लिया. इसमें 4 से 7 वर्ष , 10 वर्ष, 15 वर्ष 17 वर्ष 18 वर्ष 20 वर्ष , 25 वर्ष, 30 वर्ष 35 वर्ष , 40 वर्ष 45 वर्ष 50 वर्ष के पुरुष व महिलाओं के साथ साथ  60 वर्ष से 80 वर्ष तक के बुजुर्ग भी शामिल हुए.

सबसे ख़ास बात यह है कि इस दौड़ के सहारे ही ग्रामीण आपसी भाई चारा बनाए रखते हैं जिसकी आज किसी भी समाज को बहुत जरूरत है. स्पष्ट है कि यहाँ इसके माध्यम से शारीरिक क्षमता और आपसी भाई चारा दोनों ही आवश्यकताओं के साधने की कोशिश कई दशकों से हो रही है जो अपने आप में तब और महत्वपूर्ण मिशाल बन गई है जब देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं स्वस्थ रहने के लिए योग और व्यायाम करने पर सर्वाधिक बल दे रहे हों.   एक बार, मकर संक्रांति पर गुरुग्राम के गाँव अलियार ढाना जरूर आईये ! 6

भाजपा नेता महेश चौहान बताते हैं कि इस दौड़ को लेकर बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक में उत्साह उफान पर रहता है . आयोजन की तैयारी में सभी का भरपूर सहयोग मिलता है. कुल 30 प्रतिभागी टीमों में  रेस में प्रथम द्वितीय और तृतीय आने वाले 90 लोगों को पुरस्कार स्वरूप चांदी के सिक्के देकर सम्मानित किया गया. प्रथम पुरस्कार पाने वाले को 40 ग्राम के चांदी के सिक्के जबकि द्वितीय और तृतीय पुरस्कार पाने वालों को क्रमशः 20 ग्राम एवं 10 ग्राम के चांदी के सिक्के दिए गए.

 

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