प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान (पीएमएसएमए) एक करोड़ के स्‍तर के पार

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हमारे देश में एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है सुरक्षित गर्भावस्‍था : जेपी नड्डा

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान (पीएमएसएमए) एक करोड़ के स्‍तर के पार 2नई दिल्ली : केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान (पीएमएसएमए) के जबरदस्‍त समर्थन के लिए प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी का दिल से आभार व्‍यक्‍त किया क्‍योंकि यह कार्यक्रम प्रसवपूर्ण जांच के संदर्भ में एक करोड़ के स्‍तर को पार कर चुका है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की परिकल्‍पना यह थी कि 9 महीने की गर्भावस्‍था के प्रतीक के तौर पर हर महीने की 9 तारीख गर्भवती महिलाओं को समर्पित होना चाहिए। उनके दृष्टिकोण को पूरा करने और देश भर में गर्भवती महिलाओं को व्‍यापक एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व जांच सुनिश्चित करने के लिए पीएमएसएमए कार्यक्रम को 2016 में शुरू किया गया था। श्री नड्डा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत एक करोड़ से अधिक प्रसवपूर्व जांच की गई और इस महत्‍वाकांक्षी योजना के तहत हर महीने 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तायुक्‍त प्रसवपूर्व जांच की सुविधा उपलब्‍ध कराई जा रही है। सुरक्षित गर्भावस्‍था अब हमारे देश में एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है।’

श्री नड्डा ने संतोष व्‍यक्‍त करते हुए आगे कहा कि यह कार्यक्रम भारत के दुर्गम और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में सफल रहा है क्‍योंकि देश भर में की गई 1 करोड़ से अधिक जांच में से 25 लाख से अधिक जांच उच्‍च प्राथमिकता वाले जिलों में आयोजित किए गए। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा अधिक ध्‍यान देने के लिए पहचान इन जिलों की पहचान की गई है। श्री नड्डा ने कहा, ‘हालांकि सभी राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने गर्भवती महिलाओं तक पहुंचने के लिए उल्‍लेखनीय प्रयास किए लेकिन नॉन-एम्‍पावर्ड एक्‍शन ग्रुप (ईएजी) राज्‍यों में महाराष्‍ट्र और एम्‍पावर्ड एक्‍शन ग्रुप राज्‍यों में राजस्‍थान ने सबसे अधिक जांच दर्ज की है। पीएमएसएमए केंद्र पर आने वाली सभी गर्भवती महिलाओं की जांच एक प्रसूति रोग विशेषज्ञ/चिकित्‍सक द्वारा उचित तरीके से की गई।’

श्री जेपी नड्डा ने माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान पर तत्‍पर होने और इस उल्‍लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के सभी डॉक्‍टरों के लिए भी हृदय से आभार व्‍यक्‍त किया। साथ ही उन्‍होंने सभी डॉक्‍टरों से आग्रह किया कि वे’आईप्‍लेजफॉर9′ के लिए अपनी प्रतिबद्धता जारी रखें और देश में मातृ एवं शिशु मृत्‍यु दर को घटाने के प्रयास को बढ़ावा दें।

गौरतलब है कि मन की बात के 31 जुलाई 2016 के एपिसोड में माननीय प्रधानमंत्री ने निजी क्षेत्र के डॉक्‍टरों से आग्रह किया था कि वे साल में 12 दिन इस कार्यक्रम को समर्पित करें और हर महीने की 9 तारीख को पीएमएसएमए के तहत स्‍वैच्छिक सेवाएं प्रदान करें। विभिन्‍न राज्‍यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 12,800 से अधिक सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर हर महीने की 9 तारीख को पीएमएसएमए सत्र आयोजित किए जा रहे हैं और इससे गर्भवती महिलाओं को उनके दूसरे और तीसरे तैमासिक के दौरान निर्धारित तिथि को व्‍यापक एवं गुणवत्तायुक्‍त प्रसवपूर्ण देखभाल की सुविधा मिल रही है। निजी क्षेत्र के 4,800 से अधिक डॉक्‍टरों ने पीएमएसएमए के तहत स्‍वैच्छिक सेवा प्रदान करने का वचन दिया है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जैसे उच्‍च प्राथमिकता वाले जिलों में 385 से अधिक निजी क्षेत्र के स्‍वयंसेवकों ने सेवाएं प्रदान की हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान इनमें से कई स्‍वयंसेवकों ने आसपास के सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर 10 बार से अधिक मुफ्त सेवाएं प्रदान की हैं।

ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जहां निजी क्षेत्र के डॉक्‍टरों ने दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए उम्‍मीद से कहीं अधिक उत्‍साह दिखाया। उदाहरण के लिए, रायपुर की जानीमानी स्‍त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा उपाध्‍याय ने सरकार द्वारा पेश की गई यात्रा सुविधा को ठुकराते हुए अपने खर्च पर पीएमएसएमए के तहत सेवाएं देने के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित नारायणपुर जिले तक पहुंची।

व्‍यापक एवं गुणवत्तायुक्‍त एएनसी और उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था की पहचान एवं उस पर लगातार निगरानी रखना इस अभियान का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था की समय रहते पहचान के लिए इस कार्यक्रम के तहत 84 लाख हीमोग्‍लोबिन जांच, 55 लाख एचआईवी जांच, गर्भावस्‍था के दौरान होने वाले मधुमेह की 41 लाख जांच, सिफिलिस के लिए 33 लाख जांच और 15 लाख से अधिक अल्‍ट्रासाउंड किए गए जो गर्भवती महिलाओं की व्‍यक्तिगत जरूरतों पर आधारित थीं। नैदानिक दशाओं और जांच के आधार पर 5.50 लाख गर्भवती महिलाओं को उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था के तौर पर पहचान की गई और उन्‍हें उचित देखभाल के लिए किसी विशेषज्ञ अथवा उच्‍चतर स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों पर भेजा गया। उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था की पहचान माताओं और शिशुओं को रोके जाने वाली मृत्‍यु से बचाने की ओर उठाया गया पहला कदम है।

श्री नड्डा ने कहा, ‘भारत ठोस प्रसायों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिये रोजे जाने योग्‍य शिशुओं और माताओं की मृत्‍यु की रोकथाम के लिए प्रतिबद्ध है। पीएमएसएमए कार्यक्रम राज्‍यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सरकारी डॉक्‍टरों और बड़ी तादाद में स्‍वैच्छिक सेवाएं देने के लिए वचनबद्ध निजी क्षेत्र के डॉक्‍टरों की मदद से एक करोड़ के स्‍तर के पार पहुंच गया है।’

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