केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की 65वीं बैठक आयोजित
नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की अध्यक्षता में मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की 65वीं बैठक आयोजित की गई। इस बैठक के दूसरे दिन का केंद्रबिन्दु उच्चतर शिक्षा था। इसमें उच्चतर शिक्षा के लिए कई अहम् फैसले लिया गये.
बैठक में जिन प्रस्तावों पर चर्चा हुई :
-सीएबीई नये विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों को खोलने, अवसंरचना का अधिक उत्पादकता के साथ उपयोग करने एवं ओ डी एल एवं ऑन लाइन शिक्षा के इस्तेमाल के द्वारा सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) बढ़ाने का सभी संभव प्रयास करेगा।
-सीएबीई क्षेत्रीय विषमताओं को पाटने के लिए सकारात्मक कदम उठाएगा तथा भावी योजना तैयार करेगा।
-सीएबीई यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने हेतु प्रतिबद्ध है कि किसी भी सुपात्र छात्र को साधनों की कमी के कारण -उच्च शिक्षा के अवसरों से वंचित नहीं रखा जाए।
सीएबीई गुणवत्ता बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण संस्थानों को अधिक स्वायत्ता प्रदान करने तथा अभिशासन को बेहतर बनाने, गुणवत्ता एवं विकल्प में वृद्धि करने के लिए डिजिटल पहल लागू करने पर अधिक जोर देने के लिए की गई पहलों की सराहना करता है।
सीएबीई सभी हितधारकों की जवाबदेही के लिए अधिक प्रयास करेगा।
सीएबीई ने उन्नत भारत, स्वच्छ भारत, एक भारत श्रेष्ठ भारत, स्मार्ट एवं ग्रीन परिसर जैसे नवोन्मेषी कार्यक्रमों में पूरे मन से भाग लेने का निर्णय किया है।
सीएबीई शिक्षा में समानता, सुविधा, गुणवत्ता, जवाबदेही एवं किफायत सुनिश्चित करने के प्रति पुन: संकल्पित है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अपने उद्घाटन संबोधन में शिक्षा में सुधार की आवश्यकता रेखांकित की जिससे कि शिक्षा एवं रोजगार के बीच वर्तमान विषमता एवं समाजगत प्रासंगिकता के मुद्दे पर ध्यान दिया जा सके।
-उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण कार्य एजेंडा राष्ट्र के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप निष्पादन, सुधार एवं रुपांतरण है।
-प्रक्रियाओं एवं कार्यवाहियों में सुगमता के लिए नियामक संगठनों में सुधार लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्चतर शिक्षा संस्थानों की श्रेणीबद्ध स्वायत्ता का कार्यान्वयन निर्धारित मानदंडों के आधार पर किया जा रहा है। आईआईएम को पूर्ण स्वायतता प्रदान कर दी गई है और आईआईटी एवं महाविद्यालयों के लिए भी ऐसा ही किया जा रहा है।
-मंत्र है, ‘वित्त पोषण करें और भूल जाएं’। मंत्री ने मुख्य रूप से अधिक अनुसंधान स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और अनुसंधान संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए 20 विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों/ उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना के बारे में भी जानकारी दी। इस तथ्य पर चिंता जताते हुए कि हमारे उच्चतर शिक्षा संस्थान नवोन्मेषण को बढ़ावा देने के मामले में पीछे हैं, मंत्री महोदय ने कहा कि हैकथोन, पाठ्यक्रम सुधार, ‘स्वयं’ के जरिये किसी भी समय, कहीं भी अध्ययन, शिक्षक प्रशिक्षण जैसी नई पहलों के जरिये इसमें सुधार लाया जा रहा है और इन सभी का लक्ष्य गुणवत्ता में सुधार लाना है।
इस बैठक में केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने भी भाग लिया।
केंद्रीय संस्कृति तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. महेश शर्मा ने युवाओं में सांस्कृतिक गौरव की भावना पिरोने के लिए शिक्षा तथा संस्कृति के एकीकरण की आवश्यकता रेखांकित की। उन्होंने राज्य सरकारों से उच्च शिक्षा संस्थानों को राज्यों में स्थित सांस्कृतिक संसाधन व प्रशिक्षण केन्द्रों से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने मंत्रियों और अधिकारियों से मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था करने तथा युवाओं में सांस्कृतिक गौरव पिरोने के लिए संकल्प लेने का भी आग्रह किया।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने जीईआर में 25.2 प्रतिशत की वृद्धि की सराहना करते हुए कहा कि जीईआर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विशेष प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि बड़ी संख्या में सीटों को बढ़ाने की जरूरत होगी। उन्होंने कुछ प्रमुख मुद्दों को रेखांकित किया जैसे- संस्थानों का निर्माण, प्राकृतिक संसाधन स्थलों के समीप किया जाए; प्रौद्योगिकी को ध्यान में रखते हुए भवन-निर्माण नियमों की समीक्षा की जाए; उच्च शिक्षा क्षेत्र में ज्ञान प्राप्ति के परिणामों के लिए मानदण्ड स्थापित किए जाएं।
उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों में नए क्षेत्रों जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा, साइबर सुरक्षा को भी शामिल किया जाना चाहिए। मंत्री महोदय ने शिक्षा प्रणाली में संस्कृति और मूल्यों को जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि विकास क्रम में भविष्य की ओर आगे बढ़ते हुए हम अपने अतीत को विस्मृत न करें।
उच्च शिक्षा की स्थिति, उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और जवाबदेही को बेहतर बनाने, डिजिटल पहल, न्यू इण्डिया 2022 के लिए कौशल विकास जैसे विषयों पर आधारित संक्षिप्त प्रस्तुतियां दी गईं। इन प्रस्तुतियों में हाल के कुछ डिजिटल कार्यक्रमों और सुधार एजेंडा को भी शामिल किया गया। जैसे- अकादमिक, प्रत्यायन और प्रशासनिक सुधार; राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (आरयूएसए) के माध्यम से गुणवत्ता में सुधार, समानता सुनिश्चित करना तथा राज्य संस्थानों के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं का कार्यान्वयन; शिक्षक और शिक्षण के क्षेत्र में पण्डित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय मिशन के माध्यम से शिक्षकों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना आदि। एक भारत श्रेष्ठ भारत और उन्नत भारत अभियान विषय पर आधारित प्रस्तुतियां भी दी गईं।
आम तौर पर ऐसा माना गया कि राज्य कलस्टर महाविद्यालयों की स्थापना करने,शैक्षणिक एवं अभिशासन सुधारों को कार्यान्वित करने के लिए शानदार कार्य करते रहे हैं जिसकी सराहना की गई। विशेष रूप से, आवासीय विद्यालयों का खोला जाना, कन्या महाविद्यालयों, पोलिटेक्निक, कौशल अकादमियों एवं केंद्रों की स्थापना करना छात्र संरक्षण कार्यक्रम, स्मार्ट वर्ग कक्षाओं का निर्माण, छात्रवृत्तियों के स्टार्टअप प्रावधान के लिए प्रौद्योगिकी केंद्रों को बढ़ावा देना, प्रतिभा आगमन के लिए ईआरयूडीआरटीई कार्यक्रम, उद्योग शैक्षणिक प्रकोष्ठों, आदि जैसे कुछ कदमों की विशेष सराहना की गई।
प्रतिभागियों ने शिक्षा के विभिन्न स्तर के कई पहलुओं एवं छात्रों के शैक्षणिक स्तर को किस प्रकार बेहतर बनाने के लिए क्या प्रयास किया जाए, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार विमर्श किया। राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, सीएबीई सदस्यों ने सक्रियतापूर्वक इन परिचर्चाओं में भाग लिया।
19 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, 28 राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों, सीएबीई के सदस्यों, स्वायतशासी संगठनों के प्रमुखों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, उच्चतर शिक्षा विभाग के सचिव एवं सीएबीई के सदस्य सचिव के.के.शर्मा तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की विशेष सचिव रीना राय, उच्चतर शिक्षा विभाग के विशेष सचिव आर. सुब्रहमण्यम के साथ केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे।