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पूर्व आईजी रणवीर शर्मा, हज कमेटी चेयरमैन औरंगजेब व जमियत उलमा हिंद की चार
राज्यों के सदर मोलाना याहया करीमी भी हुए शामिल
: जो कौमें अपने इतिहास को भूल जाती हैं वे मिट जाया करती हैं: याहया करीमी
: संविधान में 73वां संसोधन हो गया है लेकिन नेता और अधिकारी उसे लागू नहीं कर सकते: रणवीर शर्मा पूर्व आईजी
: शहीदों की याद में मिनार बनाई जाऐगी : हज कमेटी चेयरमैन औरंगजेब
यूनुस अलवी

इस मौके पर पूर्व आईजी रणवीर शर्मा ने कहा कि मेवातियों का इतिहास कुर्बानी भरा रहा है। देश की आजादी में मेवातियों द्वारा दी गई कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होने कहा आजाद होने के बाद भी मेवातियों को आजादी नहीं मिली है। आज भी मेवात के लोग बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, रेल और यूनिवर्सिटी जैसी चीजों के मोहताज है। अगर सरकारें संविधान के 73वें संसोधन को ही लागू कर दें तो लोगों को सरकारों के आगे हाथ नहीं फैलाना पडेगा बल्कि लोग अपनी समस्यआों को समाधान खुद कर सकेगें। भले ही संविधान में 73वां संसोधन हो गया है लेकिन नेता और अधिकारी उसे लागूल नहीं कर सकते। अगर उन्होने 29 विभागों को जनता यानि पंचायत के हवाले कर दिया तो नेता और अफसरों को खाने के लिए कुछ नहीं बचेगा। जनता के अधिकारों का विकेंद्रीय करण करदो रिश्वतखोरी अपने आप ही बंद हो जाऐगी।
जमियत उलमा हिंद की नोर्थ जोन के सदर मोलाना याहया करीमी ने कहा कि जो कौमें अपने इतिहास को भूल जाती हैं वे मिट जाया करती हैं। सबसे ज्यादा देश की आजादी में कुर्बानी देने वाले मुसलमानों से आज देश भक्ति का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है जबकि जिन्होने देश की आजादी में कोई हिस्सा नहीं लिया आज वे राज कर रहे हैं।
हरियाणा हज कमेठी के चेयरमैन औरंगजेब ने कहा कि पुन्हाना के शहीदों की याद में एक शहीदी मिनार बनवाई जाऐगी। मेवात में यूनिवर्सिटी खुलवाई जाऐगी। वह इस बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री से बात करेगें। औरंगजेब ने कहा कुछ पढे लिखे युवा फेसबुक पर गलत ब्यानबाजी करते हैं जिससे दोनो समुदायों के लोगों में मनमुटाव होता है। इसे रोकना होगा।
शहीदाने सभा के खुरशीद खाईका का कहना है कि देश की आजादी में मेवात से करीब 22 हजार लोग शहीद हुऐ थे वहीं 8 जनवरी 1858 को अकेले पुन्हाना हल्का के 283 लोगों को पुन्हाना की पुलिस चौकी की जगह पर अंग्रेजों ने फांसी दी थी। मेवाती हमेशा देश की खातिर मुगल, अंग्रेज और विदेशी आक्रमणकारियों से लडे। ऐसेे आयोजनों को मसकद यही है कि आने वाली नसलों को अपने बुजुर्गो के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती रहें।
हमारा अधिकार मोर्चा के संरक्षक फजरूदीन बेसर ने कहा कि देश के करोडों लोगों ने आजादी के लिए अपनी जाने दी उनको याद करना तो जरूरी है लेकिन आज हमकों अपने अधिकारों के हकों की लडाई लडनी पड रही है। ये कैसी आजादी है। आजादी के 70 साल बाद भी लोगों को मूलभूत सुविधाऐं उपलब्ध नहीं हैं।
इस मौके पर फजरूदीन बेसर, राजेंद्र पहलवान, दशरत चौहान रेवाडी, चंद्र सैन चेयरमैन, ऐडवोकेट गुलाम नबी, हमीद सरपंच, सरफूद्दीन राष्ट्रीय अध्यक्ष शहीदाने सभा, खुरशीद खाईका, पूर्व जिला पार्षद मल्लाह, जिला पार्षद आमीन, अखतर ऐडवोकेट झारोकडी, तौसीफ बीसरू, जानू नवलगढ, ऐजाज, वासिद अली, मुबीन बिछौर, साबिर सहित काफी प्रमुख लोग मौजूद थे।